Kashmir: लौटेगा शेर गढ़ी महल का वैभव, वर्ष 1772 में अफगान के गवर्नर आमिर खान जानशेर ने कराया था निर्माण
जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग के पूर्व महानिदेशक मोहम्मद सलीम बेग ने कहा कि शेर गढ़ी की इमारत बहुत ही खूबसूरत है। यह एंग्लो-कश्मीरी वास्तुकला के मेल की एक लाजवाब उपलब्धि है। इमारत चौकोर है और पूरी तरह पत्थर से बनी है। इसके दरवाजे खिड़कियां छत व सीलिंग लकड़ी की है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : झेलम दरिया के किनारे स्थित शेर गढ़ी महल के अच्छे दिन फिर लौटने वाले हैं। उसके आंगन में पसरी वीरानी को दूर करने के लिए चिनार के पेड़ों के नीचे शायरों, कवियों की महफिलें भी सजेंगी। अफगान और डोगरा शासनकाल के वैभव की गवाह रही शेर गढ़ी को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आर्ट म्यूजियम गैलरी घोषित कर दिया है। परिसर में विभिन्न विषयों और परिस्थितियों को दर्शाती करीब डेढ़ हजार लघु चित्रकला को लगाया जाएगा। ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण दुर्लभ पांडुलिपियां भी यहां रखी जाएंगी। शेर गढ़ी यूरोपीय और कश्मीरी वास्तुकला के संगम का एक नायाब नमूना भी है। इसे डोगरा शासनकाल की एक निशानी भी कहा जाता है।
शेर गढ़ी जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में दक्षिण हिस्से पर झेलम दरिया के किनारे स्थित है। शेर गढ़ी का निर्माण अफगान गवर्नर आमिर खान जानशेर ने 1772 में कराया था। इतिहासकारों का मत है कि शेर गढ़ी जिस जगह बनाई गई है, वहां कभी कश्मीर पर 1062 में शासन करने वाले लोहार वंश के राजा अनंत का महल हुआ करता था। शेर गढ़ी से ही आमिर खान जानशेर पूरे कश्मीर पर अपनी हुकुमत चलाता था। डोगरा शासकों ने भी शेर गढ़ी से ही अपना राजकाज चलाया। इस दौरान इस महल में कई बार मरम्मत और बदलाव हुए।
आजादी के बाद शेर गढ़ी में कुछ वर्षों तक जम्मू कश्मीर का सचिवालय बहाल रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री व बाद में मुख्यमंत्री बने स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया। सचिवालय नयी जगह स्थानांतरित हो गया। 1970 में आग की एक घटना ने भी शेर गढ़ी को नुकसान पहुंचाया। इसे जम्मू कश्मीर विधानमंडल परिसर के रूप में करीब 11 साल पहले तक इस्तेमाल किया जाता रहा। वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने शेर गढ़ी की अहमियत को ध्यान में रखते हुए पूरी इमारत के संरक्षण और जीर्णाेद्धार का एलान किया। उन्होंने इसे एक एतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से कार्ययोजना तैयार करने को कहा था। शेर गढ़ी को छह जुलाई 2017 को प्रदेश संरक्षित एतिहासिक धरोहर का दर्जा दिया गया था।
दुर्लभ पांडुलिपियां, सिक्के प्रदर्शित व संरक्षित किए जाएंगे : अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के निदेशक मुनीर उल इस्लाम ने बताया कि शेर गढ़ी को फिर से गुलजार करने की तैयार हो चुकी है। इसे एक आर्ट म्यूजियम गैलरी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें पेंटिंग, दुर्लभ पांडुलिपियां, दुर्लभ सिक्के, पुराने समय की विभिन्न महत्वपूर्ण वस्तुएं, डोगरा और मुगल शासकों की निशानियां संग्रहालय नियमों के अनुरूप प्रदर्शित व संरक्षित किए जाएंगे।
खूबसूरती का लाजवाब नमूना है शेर गढ़ी : जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के पूर्व महानिदेशक मोहम्मद सलीम बेग ने कहा कि शेर गढ़ी की इमारत बहुत ही खूबसूरत है। यह एंग्लो-कश्मीरी वास्तुकला के मेल की एक लाजवाब उपलब्धि है। यह इमारत चौकोर है और पूरी तरह पत्थर से बनी है। इसके दरवाजे, खिड़कियां, छत व सीलिंग लकड़ी की है। इसमें आर्ट गैलरी बनाया जाना स्वागतयोग्य है, लेकिन प्रशासन को चाहिए कि वह विशेषज्ञों की मदद से इसकी मरम्मत करे। इसका इस्तेमाल पूरी सूझबूझ और रचनात्मकता के साथ होना चाहिए।
सूरजकुंड की तर्ज पर हर साल दो मेगा कला-शिल्प मेले लगाने की तैयारी : संस्कृति विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश प्रशासन ने अभिलेखागार, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को निर्देश दिया है कि वह सूरजकुंड की तर्ज पर हर साल दो मेगा कला-शिल्प मेले आयोजित करने की कार्ययोजना भी तैयार करे। शेर गढ़ी परिसर के संरक्षण कार्य में जुटे अधिकारियों ने बताया कि परिसर में पुराने विधानसभा भवन के सामने स्थित तीन एकड़ का लॉन वार्षिक कश्मीरी कला-शिल्प, प्रदर्शनियों व साहित्यक मेलों, बाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों और लोक नृत्य व संगीत संध्या के आयोजन के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। इसके अलावा परिसर में पर्यटकों व स्थानीय लोगों के आकर्षण के लिए हस्तशिल्प मेले अैर परंपरागत कश्मीर व्यंजन मेले का भी आयोजन किया जा सकता है। अभिलेखागार विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पुराने सचिवालय परिसर में स्थित अभिलेखागार लाइब्रेरी को भी शेर गढ़ी में स्थित पुराने विधानसभा परिसर में स्थानांतरित किया जाएगा।