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Jammu Kashmir: कांग्रेस की सियासत को गर्माएगा आजाद का जम्मू दौरा, 26 फरवरी को जम्मू आ रहे हैं आजाद

प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर से पहले सैफुद्दीन सोज व उनसे पहले प्रदेश कांग्रेस की कमान पीरजादा मोहम्मद सईद के हाथ थी । ये सभी नेता कश्मीर से हैं। ऐसे में जम्मू संभाग से पहले मुख्यमंत्री बनने वाले आजाद जम्मू क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 01:29 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 01:29 PM (IST)
Jammu Kashmir: कांग्रेस की सियासत को गर्माएगा आजाद का जम्मू दौरा, 26 फरवरी को जम्मू आ रहे हैं आजाद
समर्थक यह संदेश देने की तैयारी में हैं कि जम्मू कश्मीर की राजनीति में उनका स्थान मजबूत है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को तीन दिवसीय जम्मू दौरा प्रदेश में कांग्रेस की सियासत को गर्माएगा। आजाद 26 फरवरी को जम्मू आ रहे हैं।

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पार्टी सूत्रों के अनुसार आजाद के तीन दिवसीय कार्यक्रम के बारे में अधिकारिक तौर पर प्रदेश कांग्रेस को कोई सूचना नही है। लेकिन यह तय है कि आजाद के करीबी नेता व कार्यकर्ता इस दौरे को लेकर उत्साहित हैं। ऐसे में 26 से लेकर 28 फरवरी तक सामाजिक संगठन की ओर से जम्मू में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में आजाद को जोरशोर से सम्मानित किया जाएगा। आजाद उस समय जम्मू में आ रहे हैं जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर जम्मू में डेरा डाल कर संभाग में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं।

गत दिनों राज्यसभा के सांसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद गुलाम नबी आजाद का यह पहला जम्मू दौरा है। ऐसे में जम्मू संभाग के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आजाद के समर्थकों द्वारा जम्मू पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया जाना तय है। आजाद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की राजनीति में अहम स्थान रखते हैं। ऐसे में उनके आने से समर्थक उत्साहित हैं। कांग्रेस में पिछले दो दशक की सियासत में कश्मीर के नेताओं का पलड़ा भारी रहा है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर से पहले सैफुद्दीन सोज व उनसे पहले प्रदेश कांग्रेस की कमान पीरजादा मोहम्मद सईद के हाथ थी । ये सभी नेता कश्मीर से हैं। ऐसे में जम्मू संभाग से पहले मुख्यमंत्री बनने वाले आजाद जम्मू क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं।

मौजूदा हालात में उनका दौरा और भी अहम हो जाता है। इस समय आजाद दिल्ली में कांग्रेस की सियासत में नजरअंदाज हुए हैं। उनका कांग्र्रेस के महासचिव के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें पार्टी में कोई अहम जिम्मेवारी नही दी गई है। अब उनका राज्यसभा का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। ऐसे में आजाद के भाजपा से नजदीकियां बढ़ने को लेकर भी अटकलों का दौर जोर पकड़ चुका है। ऐसे में उनका आने से समर्थक यह संदेश देने की तैयारी में हैं कि जम्मू कश्मीर की राजनीति में उनका स्थान मजबूत है। 


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