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बड़ा सवाल: जम्मू-कश्मीर से दो बार रहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, फिर भी नहीं समझ पाए दर्द

स्वास्थ्य संस्थान लोगों से जुड़े होते हैं। जनप्रतिनिधियों को इसे प्राथमिकता देना चाहिए लेकिन आज तक किसी भी पार्टी के घोषणा पत्र में स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को जगह नहीं मिल पाई।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 11:11 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 11:11 AM (IST)
बड़ा सवाल: जम्मू-कश्मीर से दो बार रहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, फिर भी नहीं समझ पाए दर्द
बड़ा सवाल: जम्मू-कश्मीर से दो बार रहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, फिर भी नहीं समझ पाए दर्द

जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू कश्मीर से दो लोग केंद्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रह चुके हैं, लेकिन राज्य के मर्ज को फिर भी नहीं समझ पाए। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से राज्य आज भी पिछड़ा हुआ है। हालांकि, कश्मीर में स्वास्थ्य सुविधाएं जम्मू संभाग से बेहतर हैं, लेकिन वहां पर भी मरीजों को सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक हजार लोगों के लिए एक डॉक्टर होना चाहिए, जबकि राज्य में दो हजार लोगों के लिए एक डॉक्टर है। आने वाले दिनों में मेडिकल कॉलेज के खुलने से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की उम्मीद है, लेकिन अभी मरीजों को इलाज के लिए दरबदर होना पड़ रहा है। स्वास्थ्य संस्थान सीधे तौर पर लोगों से जुड़े होते हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों को इसे प्राथमिकता देना चाहिए थी। लेकिन इसके पीछे क्या वजह है कि आज तक किसी भी पार्टी के घोषणा पत्र में स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को जगह नहीं मिल पाई।

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ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र से पहली बार वर्ष 1967 में पूर्व सदर-ए-रियासत डॉ. कर्ण सिंह सांसद बने थे। वह उस समय सबसे युवा सांसद थे। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। डॉ. कर्ण सिंह के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय रहा। इसके बाद इसी संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद बने भाजपा के प्रो. चमन लाल गुप्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे। उनके पास रक्षा, नागरिक उड्डयन मंत्रलय रहे। राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद हालांकि इस सीट से चुनाव तो नहीं जीत पाए, परंतु वह इसी संसदीय क्षेत्र के रहने वाले हैं।

वह केंद्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रह चुके हैं। मौजूदा समय में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी इसी संसदीय क्षेत्र से हैं और वह पेशे से डॉक्टर रहे हैं, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर ही हैं। इस संसदीय क्षेत्र में छह जिले आते हैं। डोडा, किश्तवाड़, रामबन, ऊधमपुर, रियासी और कठुआ। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से डोडा, किश्तवाड़ और रामबन सबसे अधिक पिछड़े हुए हैं। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने जरूर डोडा के लिए मेडिकल कॉलेज मंजूर किया। इसे अगले सत्र से खोलने की तैयारी भी हैं। परंतु इन जिलों में डॉक्टरों के तीस से चालीस फीसद पद खाली पड़े हुए हैं।

ऊधमपुर जिले में नहीं खुला कैंसर सेंटर

ऊधमपुर के लिए पांच साल पहले जो कैंसर सेंटर मंजूर हुआ था, वह आज तक नहीं खुल पाया है। दो साल पहले जब डोडा जिले के बाड़वां क्षेत्र में हेपेटाइटिस-बी फैला था। उस पूरे क्षेत्र के तेरह गांवों में एक भी डॉक्टर नहीं था। इन क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी कांट्रेक्ट आधार पर नियुक्त हैं। विशेषज्ञ डॉ. तो दूरदराज के क्षेत्रों में आज तक नियुक्त नहीं हो पाए हैं। अभी भी भी लोग मेडिकल कॉलेज जम्मू पर ही निर्भर हैं। यही वजह है कि ऊधमपुर के मरीज आज भी इलाज के लिए जीएमसी में पहुंचते हैं।

राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी

राज्य में विशेषज्ञ डाक्टरों की सबसे अधिक कमी है। उनकी नियुक्ति के लिए यहां पर कोई भी नीति नहीं बनाई गई है। राज्य से बाहर जब डॉक्टर सुपर स्पेशलाइजेशन कोर्स करने जाते हैं तो उनमें आधे भी वापस नहीं आते हैं। इसका एक कारण यहां पर डॉक्टरों का कम वेतन होना और उनकी नियुक्ति के लिए कोई भी नीति नहीं होना भी है। एक साल में ही राज्य के सरकारी अस्पतालों से बीस से अधिक डॉक्टर त्यागपत्र दे चुके हैं, जबकि बाहर चले गए डेढ़ सौ के करीब डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इससे राज्य में रहने वाले मरीजों का दर्द ही बढ़ रहा है।

सीनियर डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा जम्मू मेडिकल कॉलेज

जम्मू-पुंछ संसदीय क्षेत्र में भी स्थिति कोई बहुत बेहतर नहीं है। पिछले पांच साल में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू करने के दावे तो हुए लेकिन राजकीय मेडिकल कॉलेज में भी सुविधाएं नहीं हैं। कई विभागों में वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी है। स्वास्थ्य विभाग की हालत ऐसी है कि चयनित हुए 923 मेडिकल आफिसर्स में से 437 ने ज्वाइन ही नहीं किया। हालात यह है कि राजनीतिक दलों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं कभी भी मुद्दा नहीं होती।

राज्य में आयुष्मान में भी सभी गरीबों को नहीं मिला लाभ

राज्य में भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान) को लागू हुए करीब चार माह हो गए हैं। इस दौरान कइयों को लाभ भी मिला है। लेकिन अभी हजारों लोग ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से नीचे रहने के बावजूद उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इस मुद्दे को राजनीतिक दल भी उठा रहे हैं।

कश्मीर संभाग में भी स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं

कश्मीर में स्वास्थ्य सुविधाएं जम्मू संभाग से बेहतर हैं। मगर वहां पर भी मरीजों को सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कश्मीर में दो नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेस भी हैं। मगर डॉक्टरों की वहां पर भी कमी बनी हुई है। कश्मीर में तीस फीसद से अधिक डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं। श्रीनगर शहर में तो फिर भी सुविधाएं हैं, मगर दूरदराज के क्षेत्रों में मरीजों का हाल बेहाल हे। राज्य में करीब दो हजार लोगों के लिए एक डॉक्टर है जो कि देश में सबसे कम राज्यों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक हजार लोगों के लिए एक डॉक्टर होना चाहिए। ऐसे में मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इधर-उधर भटनके सिवाय दूसरा को विकल्प नहीं है।

  • 1967 में डॉ. कर्ण सिंह के पास रहा था स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय
  • 1996 से प्रो. चमन लाल भाजपा से तीन बार लगातार केंद्र में मंत्री रहे
  • 2010 में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे गुलाब नबी आजाद
  • 2014 में से मौजूदा पीएमओ में केद्रीय राज्यमंत्री है डॉ. जितेंद्र सिंह
  • राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को अपग्रेड करने के लिए अपने कार्यकाल के दौरान कई कदम उठाए। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर यह सुनिश्चित बनाया कि हर गरीब को सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं मिलें। भाजपा के वर्तमान सांसदों ने इस क्षेत्र की उपेक्षा की है। इस बार उनके लिए स्वास्थ्य फिर से बड़ा मुददा है। लोगों को हर सुविधा मिलनी चाहिए। -लाल सिंह, पूर्व सासंद
  • राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। पांच नए मेडिकल कॉलेज बनाए हैं। दो एम्स स्थापित होने जा रहे हैं। राज्य में आयुष्मान योजना लागू हुई है। इससे गरीबों को लाभ मिल रहा है। उन्हें इलाज के लिए तरसना नहीं पड़ रहा है। आगे भी स्वास्थ्य उनके लिए अहम मुद्दा होगा। - जुगल किशोर, सांसद, जम्मू-पुंछ
  • केंद्र में यूपीए सरकार ने जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य के लिए काफी कुछ किया। इस समय जो पांच मेडिकल कॉलेज खुले रहे हैें, वह भी यूपीए सरकार ने ही मंजूर किए थे। कांग्रेस ने हमेशा प्रयास किया है कि लोगों को सुविधाएं मिलें। कांग्रेस का प्रयास होगा कि हर व्यक्ति को अस्पतालों में ही सुविधा मिले। - जीए मीर, कांग्रेस प्रदेश प्रधान 

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