Militancy in Kashmir: दक्षिण कश्मीर से चार युवक लापता, आतंकी संगठनों में शामिल होने की आशंका
सेना ने युवाओं को आतंकवाद की राह पर चलने से रोकने के लिए कई कदम उठाए कई युवाओं ने आत्मसमर्पण भी किया बावजूद इसके युवा आतंकी संगठनों में शामिल होते रहे। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि उनका मकसद युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल करना है।
श्रीनगर, जेएनएन। दक्षिण कश्मीर के जिला पुलवामा और शोपियां के चार युवक पिछले एक सप्ताह से लापता हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इनमें कई युवा आतंकी संगठन में शामिल हो गए हैं। ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि इनमें से कई युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो गए हैं हालांकि पुलिस ने इस संबंध में बस इतना कहा कि वे जांच कर रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद ही वह स्पष्ट रूप से कुछ कह पाएंगे।
लापता हुए युवकों में उमर खांडे पुत्र मुश्ताक अहमद खांडे पुत्र तुलबाग पंपोर पुलवामा, अमीर अहमद मलिक पुत्र अब्दुल गफ्फार मलिक निवासी निवासी हेदरगुंड जैनापोरा शोपियां, शाहनवाज अहमद निवासी सेमबोरा पुलवामा और उमर मलिक निवासी सुगन शोपियां शामिल है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 16 वर्षीय उमर मुश्ताक 11वीं कक्षा का छात्र है। वह पिछले सप्ताह अपने घर से अचानक से लापता हो गया था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि उमर के परिवार ने गत माह 26 अक्टूबर को पुलिस थाना पांपोर में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। वहीं शोपियां के हैदरगुंड का रहने वाला 22 वर्षीय अमीर अहमद मलिक, अपने दोस्त के साथ क्रिकेट खेलने के लिए घर से निकला और उसके बाद वापस नहीं लौटा।
इसी तरह सुगन शोपियां का रहने वाला उमर मलिक भी पिछले सप्ताह से लापता है। उमर अल-बदर कमांडर जीनत उल इस्लाम का पड़ोसी है। यह इलाका आतंकवाद का गढ़ रहा है। इसी इलाके से सद्दाम पाडर, वसीम शाह जैसे दर्जनों आतंकी निकले हैं।
वहीं नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लापता इन युवकों के मामले में पुलिस जांच चल रही है। यह कहना जल्दबाजी होगी कि ये सभी युवक आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए हैं। वर्ष 2016 के बाद से ही दक्षिण कश्मीर आतंकवादियों का गढ़ रहा है। यह वो समय था जब आतंकवाद घाटी में फिर से वापसी कर रहा था। सैंकड़ों आतंकियों के मारे जाने के बाद कई युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे थे।
सेना ने युवाओं को आतंकवाद की राह पर चलने से रोकने के लिए कई कदम उठाए, कई युवाओं ने आत्मसमर्पण भी किया बावजूद इसके युवा आतंकी संगठनों में शामिल होते रहे। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि उनका मकसद युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल करना है। उन्होंने कहा कि कई युवाओं ने आत्मसमर्पण कर दिया है, हम चाहते हैं कि बाकी युवा भी हथियार छोड़ अपने घरों को वापस लौट आएं।