Jammu Kashmir: कश्मीर में नजरबंद चार और कश्मीरी नेता रिहा, दो दिनों में 9 नेता किए रिहा
रिहा किए गए नेताओं में पीडीपी के नेता अब्दुल हक खान कांग्रेस नेता हाजी अब्दुल रशीद नेकां नेता नजीर अहमद गुरेजी और पीपुल्स कांफ्रेंस नेता मोहम्मद अब्बास वानी शामिल हैं।
श्रीनगर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के करीब पांच महीने बाद प्रशासन ने कश्मीर में नजरबंद नेताओं को रिहा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। केंद्रीय मंत्रियों के जम्मू कश्मीर दौरे से पूर्व वीरवार को पांच नेताओं को रिहा जाने के बाद आज शुक्रवार को प्रशासन ने चार और नेताओं को रिहा कर दिया है। रिहा किए जाने वाले नेताओं में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस और कांग्रेस का एक-एक नेता शामिल है। कुल मिलाकर इन दो दिनों में नजरबंद नौ कश्मीरी नेताआें को रिहा कर दिया गया है।
शुक्रवार दोपहर रिहा किए गए नेताओं में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता अब्दुल हक खान, कांग्रेस नेता हाजी अब्दुल रशीद, नेकां नेता नजीर अहमद गुरेजी और पीपुल्स कांफ्रेंस नेता मोहम्मद अब्बास वानी शामिल हैं।
गत वीरवार को प्रशासन ने दो पूर्व विधायकों सहित पांच नेताओं को रिहा किया था। ये नेता भी पांच अगस्त को हिरासत में लिए गए थे। इनमें पहलगाम से नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व विधायक अल्ताफ अहमद कालू, नेकां की युवा इकाई के प्रदेश प्रधान, श्रीनगर नगर निगम के पूर्व मेयर सलमान सागर, शौकत गनई, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के पूर्व विधायक निजामदीन बट और मुख्तार बाबा शामिल थे। शुक्रवार को रिहा किए गए नेता अपने-अपने घरों में ही नजरबंद थे। हालांकि उपजेल एमएलए हॉस्टल में अभी हिरासत में रखे नेताओं की संख्या लगभग 21 है।
इसके अलावा हिरासत में रखे गए तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती के अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के शाह फैसल फिलहाल बंद ही रहेंगे।
अगस्त के अंत में शुरू हुई थी प्रक्रिया
57 नेताओं को पहले शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर स्थित सेंटूर होटल में रखा था। हालात में बेहतरी के आधार पर विभिन्न नेताओं को सशर्त रिहा करने की प्रक्रिया अगस्त के अंत में शुरूहुई। पहली नवंबर को जब सबजेल एमएलए होस्टल में हिरासत में लिए नेताओं को स्थानांतरित किया गया तो उनकी संख्या लगभग तीन दर्जन रह गई थी। इसी क्रम में पांच नेताओं को रिहा किया है।
बिना बांड भरे किसी नेता की रिहाई नहीं होती
रिहा किए जाने वाले नेताओं को हालात सामान्य बनाए रखने में सहयोग करने व भड़काऊ बयानबाजी न करने का बांड भरना होता है, लेकिन रिहा नेताओं ने बांड भरा है या नहीं। इसकी किसी ने पुष्टि नहीं की थी। अधिकारियों ने कहा कि बिना बांड कोई रिहाई नहीं होती। नेकां व पीडीपी के पांच नेताओं को रिहा करने से पूर्व तीन जनवरी को प्रशासन ने पीडीपी के पूर्व विधायक मुहम्मद अशरफ मीर, रफीक मीर को मुक्त कर दिया था। 30 दिसंबर को नेकां, कांग्रेस व पीडीपी को रिहा किया है।