पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी 8 मार्च को करेंगे नई पार्टी का एलान, बेग-मीर की भूमिका स्पष्ट नहीं
बुखारी के नेतृत्व में पीडीपी के आठ वरिष्ठ नेताओं और पूर्व विधायकों ने पार्टी की घोषित नीति के खिलाफ जनवरी में उपराज्यपाल से भी मुलाकात की थी।
श्रीनगर, राज्य ब्यूृरो : जम्मू कश्मीर में नए सियासी संगठनों पर जारी अटकलों का दौर खत्म होने वाला है। प्रदेश के पूर्व वित्तमंत्री सईद अल्ताफ बुखारी 8 मार्च को अपनी नई सियासी पार्टी का एलान करेंगे। इससे पहले शनिवार को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में पार्टी के संविधान पर मुहर लगा दी जाएगी। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में लगभग ठप पड़ी राजनीतिक हलचल फिर से जोर पकड़ने की उम्मीद है।
दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत में बुखारी ने अपनी रणनीति का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि नए संगठन की लगभग सभी तैयारियां हो चुकी हैं। इसका संभावित नाम ‘अपनी पार्टी’ होगा। शनिवार को हम श्रीनगर में वरिष्ठ साथियों और कोर कमेटी के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। इसमें पार्टी के संविधान को मंजूरी देने के अलावा झंडे और निशान का भी फैसला करेंगे। हालांकि यह सब तय है, लेकिन कोर कमेटी का औपचारिक अनुमोदन आवश्यक है। बुखारी ने कहा कि रविवार को पार्टी के एलान के बाद हम पूरे जम्मू कश्मीर में सियासी गतिविधियां शुरू करेंगे। हर जिले और तहसील में हम जाएंगे। लोगों को अपने एजेंडे से अवगत कराएंगे। अगले सप्ताह जम्मू में भी एक बैठक करेंगे और वहां लोगों को अपने मकसद के बारे में बताएंगे। हमने यह पार्टी सत्ता के लिए नहीं, जम्मू कश्मीर के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए और उनका शोषण रोकने के लिए ही बनाई है।
बेग की भूमिका अभी भी स्पष्ट नहीं: नया सियासी संगठन तैयार करने में अल्ताफ बुखारी के साथ पीडीपी के कई पूर्व विधायक और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर भी जुटे हैं। कांग्रेस के दो पूर्व विधायक उस्मान मजीद और शोएब लोन भी इससे जुड़ रहे हैं। इनके अलावा पीडीएफ के चेयरमैन हकीम यासीन भी हैं। पीडीपी के संरक्षक और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग के भी नए संगठन में शामिल होने की चर्चा है, लेकिन देर रात तक संगठन में बेग और गुलाम हसन मीर की भूमिका के बारे में स्थिति साफ नहीं हो पाई।
दो माह से सक्रिय थे: बुखारी के नेतृत्व में पीडीपी के आठ वरिष्ठ नेताओं और पूर्व विधायकों ने पार्टी की घोषित नीति के खिलाफ जनवरी में उपराज्यपाल से भी मुलाकात की थी। इसके अलावा यह लोग कश्मीर दौरे पर आए विदेशी राजनयिकों से भी मिले थे।
ठप हैं सियासी गतिविधियां: जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक आने के बाद से राज्य में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और अन्य छोटे दलों की गतिविधियां सीमित थीं। इन दलों का राजनीतिक एजेंडा भी अप्रासंगिक हो चुका है और इनके बड़े नेता एहतियातन नजरबंद हैं या फिर पीएसए के तहत बंदी हैं। राज्य के पुनर्गठन के खिलाफ इन्होंने किसी तरह की चुनावी सियासत का हिस्सा न बनने का एलान किया था। इससे प्रदेश में एक तरह का राजनीतिक शून्य पैदा हो गया था।
सांझी सरकार में भी थे दावेदार : अल्ताफ बुखारी को पीडीपी के ताकतवर नेताओं में गिना जाता रहा है। नवंबर 2018 में पीडीपी-कांग्रेस-नेकां के गठजोड़ की सरकार बनाने की कवायद के दौरान उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया गया था। पिछले साल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।