Move to Jagran APP

Jammu: पूर्व भाजपा नेता लाल सिंह की पत्नी का नाम आरोप पत्र में हाेने से इंकार नहीं

सीबीआई ने बीते वर्ष जून माह में मामाले की प्राथमिक जांच शुरू की थी।जिसमें पाया गया कि जम्मू कश्मीर भूमि सुधार कानून की आड़ में जंगलात और सरकारी जमींन को पूर्व भाजपा नेता के नाम करने में राजस्व और जंगलात के अधिकारियों की भी मिलीभगत रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:39 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 11:39 AM (IST)
Jammu: पूर्व भाजपा नेता लाल सिंह की पत्नी का नाम आरोप पत्र में हाेने से इंकार नहीं
भाजपा नेता के 10 ठिकानों पर छापेमारी कर चल अचल संपति से संबधित दस्तावेज बरामद किए थे।

जम्मू, जागरण संवाददाता: सरकारी जमींन को हथिया कर एजूकेशन ट्रस्ट चलाने के मामले में फंसे भाजपा के पूर्व नेता की पत्नी और राजस्व अधिकारी का नाम आरोप पत्र में होने की आशंका है। इस बात की तस्दीक जम्मू कश्मीर के राजस्व विभाग का सीबीआई द्वारा भेजे गए उस पत्र से हो गई है, जिसमें एक अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति मांगी है।

loksabha election banner

भाजपा के पूर्व नेता लाल सिंह की पत्नी कांता अंडोत्रा जो बीआर एजूकेशनल ट्रस्ट की चैयरपर्सन हैं, से सीबीआई ने कई बार पूछताछ भी की है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने ट्रस्ट की चैयरपर्सन और कठुआ के पूर्व डिप्टी कमिश्नर अजय सिंह जम्वाल और मढीन क्षेत्र के पूर्व तहसीलदार अवतार सिंह के खिलाफ बीते वर्ष सितंबर माह में मामला भी दर्ज किया है।इसके अलावा तत्कालीन नायब तहसीलदार छन्न अरोड़ियां मढीन तहसील देस राज, तत्कालीन गिरदावर रामपाल तत्कालीन पटवारी सुदेश कुमार और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।राजास्व अधिकारी की भूमिका भी पड़ताल के दौरान संदिग्ध पाई गई।सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक कांता अंडोत्रा सहित राजस्व और जंगलात के अधिकारियों का नाम आरोप पत्र में होने से इंकार नही किया जा रहा है।

क्या है एजूकेशनल ट्रस्ट: बीआर एजूकेशनल ट्रस्ट एक बी.एड और नर्सिंग कालेज है, जो सरकारी भूमि को कथित तौर पर अधिग्रहित कर बनाया गया है।मामले की पड़ताल लगभग पूरी हो चुकी है। सीबीआई जल्द आरोप पत्र कोर्ट में पेश कर देगी।जांच के दौरान सीबीआई ने ट्रस्ट के नाम पर बने कालेज सहित भाजपा नेता के 10 ठिकानों पर छापेमारी कर चल अचल संपति से संबधित दस्तावेज बरामद किए थे।

सीबीआई ने बीते वर्ष जून माह में मामाले की प्राथमिक जांच शुरू की थी।जिसमें पाया गया कि जम्मू कश्मीर भूमि सुधार कानून की आड़ में जंगलात और सरकारी जमींन को पूर्व भाजपा नेता के नाम करने में राजस्व और जंगलात के अधिकारियों की भी मिलीभगत रही है। भूमि सुधार कानून के अधीन 32 कनाल भूमि सरकारी भूमि को नेता के नाम कर दिया। जबकि यह भूमि बागवानी के लिए दर्शायी गई।जिसका राजस्व विभाग में भी कोई रिकार्ड नही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.