बंदरों के लिए लगाए जाएंगे फलदायक पौधे
जंगलों में कंद मूल खाकर जीवन यापन करने वाले बंदर शहरों में आकर चिप्स कु
गुलदेव राज, जम्मू जंगलों में कंद मूल खाकर जीवन यापन करने वाले बंदर शहरों में आकर चिप्स कुरकुरे, ब्रेड खाने के आदी हो चुके हैं। जंगलों में पेड़ों के कटने, घटते आहार और सड़क किनारे लोगों द्वारा फेंकी जा रही चीजों से बंदरों की खान-पान की शैली बदल गई है। हालांकि बंदरों को कई बार पकड़कर जंगल में छोड़ा गया, लेकिन ये फिर लौट लाए। इन बंदरों को पुन जंगलों में भेजने के लिए सरकार की नीति बदली है।
की पसंद के फलों के पौधे अधिक से अधिक जंगलों में लगाया जाएगा। साथ ही उन पौधों को लगाया जा रहा है जिसके बीज बंदर बड़े चाव से खाते हैं। जम्मू कश्मीर के 20,230 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जंगल का हिस्सा है। नए वित्त वर्ष में जंगलों व वन्यजीवों के संरक्षित क्षेत्रों में पचास लाख पौधे लगाए जाने की तैयारी है। 40 फीसद पौधे फलों के होंगे जिसमें अमरूद, जामुन, शहतूत, आम, बेर प्रमुख हैं। यह इसलिए कि बंदरों को कुरकुरे , चिप्स, ब्रेड खाने की आदत खत्म की जा सके। जम्मू संभाग की रामनगर, नंदनी, त्रिकुटा हिल्स व सुद्वमहादेव के वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में पिछले साल एक लाख पौधे रोपे गए जिसमें साठ हजार पौधे फलों के लगाए गए। तीन या चार वर्षो में यह पौधे फल देने लगेंगे । हर माह दर्जन भर बंदरों की जाती है जान जम्मू से कटड़ा व ऊधमपुर तक के सड़क मार्ग की बात करें तो हर माह 10 से 12 बंदरों की जान सड़क दुर्घटना में चली जाती है। फीडिंग लेने के चक्कर में सड़कों पर दौड़ने वाले बंदर वाहनों से टकरा जाते हैं। अनेकों जख्मी हो जाते हैं।
प्रयास है: मंजीत पेड़ परिचर्चा अभियान के सक्रिय सदस्य मंजीत सिंह का कहना है कि जंगलों में फलदायक पौधे लगाना अच्छा प्रयास है। इससे अनगिनत प¨रदों व दूसरे जीवों को लाभ मिलेगा। फीडिंग न की जाए : अमित वन्यजीव संरक्षण विभाग के वार्डन अमित शर्मा का कहना है कि बंदरों को फीडिंग करना वैसे भी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है। फीडिंग करने से बंदर जंगलों में नही जाते और सड़क किनारों पर मंडराते रहते हैं। फीडिंग के चक्कर में कई बार हादसे हो जाते हैं और इन जीवों को जान गंवानी पड़ती है। लोग समझदार बनें और फीडिंग न करें। जंगलों में फलदायक पौधे लगवाए जाने से वहां आहार की उपलब्धता और बढ़ेगी ।