Jammu: लोक कलाओं के संरक्षण के लिए लोक कलाकारों का प्रोत्साहन जरूरी
लोगों ने पूछा आप खुद बांध की सफाई क्यों नहीं करते उत्साह में उसने कुछ साथियों की मदद से ऐसा करना शुरू किया। जब कुछ अखबारों में इस काम की खबर आने लगी और लोग वहां पहुंचे तो अंततरू बांध की सफाई कराई गई।
जम्मू, जागरण संवाददाता : संगीत नाटक अकादमी के छात्रवृत्ति धारक रंगमंच कलाकार नीरज कुन्देर ने नटरंग के नेशनल थिएटर टॉक शो यंग वॉयस ऑफ थिएटर में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोक कलाओं के संरक्षण के लिए कलाकारों के प्रोत्साहन की जरूरत है।
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता अभिनेता और नटरंग के वरिष्ठ कलाकार अनिल टिक्कू के साथ बातचीत में नीरज ने थिएटर की अपनी यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में उन्होंने 111 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रंगमंच उत्सव का आयोजन किया था।
इसके अलावा, अपने निरंतर प्रयासों से नीरज कुन्देर आदिवासी बहुल बघेलखंड क्षेत्र में लोक कलाओं के एक मजबूत प्रवक्ता और एक सांस्कृतिक कार्यकर्ता के रूप में उभरे हैं। सीधी के अलावा उन्होंने रीवा, सतना, शहडोल आदि जिलों के करीब 550 गांवों को लोककला गांवों से जोड़ा है। ये वो गांव हैं जहां नीरज की संस्था इंद्रावती नाट्य समिति ने 4500 से अधिक पारंपरिक लोक गायन, नृत्य और कहानी सुनाने की गतिविधियों का आयोजन किया है। नीरज की मूल रुचि रंगमंच है।
उन्होंने कई वर्षों तक इसमें गहन प्रशिक्षण लिया। वह एक कार्यकर्ता के रूप में जनहित के मुद्दों को भी उठाते हैं और उनका कार्यकर्ता बनना भी स्थानीय जरूरतों से जुड़ा था। 2014 में जब सीधी में एक बांध में हजारों मछलियां मर गईं, तो उन्होंने दोस्तों के साथ इस पर चर्चा की और इस पर एक नुक्कड़ नाटक किया।
लोगों ने पूछा, आप खुद बांध की सफाई क्यों नहीं करते, उत्साह में उसने कुछ साथियों की मदद से ऐसा करना शुरू किया। जब कुछ अखबारों में इस काम की खबर आने लगी और लोग वहां पहुंचे तो अंततरू बांध की सफाई कराई गई। वह रंगमंच की ताकत की खोज करने और समाज की बेहतरी के लिए इसका इस्तेमाल करने में विश्वास करते हैं।
नटरंग की कोर टीम जो इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का प्रबंधन कर रही है। उनमें नीरज कांत, अनिल टिक्कू, सुमीत शर्मा, संजीव गुप्ता, विक्रांत शर्मा, मोहम्मद यासीन, बृजेश अवतार शर्मा, गौरी ठाकुर और चंद्र शेखर शामिल हैं।