कुपवाड़ा में आतंकियों व सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़, 5 जवान शहीद, 5 आतंकी मारे गए
उत्तरी कश्मीर के हलमतपोरा (कुपवाड़ा) में मंगलवार से जारी मुठभेड़ में पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। इनमें तीन सेना व दो पुलिस के जवान हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो,। उत्तरी कश्मीर के हलमतपोरा (कुपवाड़ा) में मंगलवार से जारी मुठभेड़ में पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। इनमें तीन सेना व दो पुलिस के जवान हैं। आतंकियों से लोहा लेते सेना के एक कमांडो व पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर समेत चार अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हैं। एक सैन्यकर्मी लापता बताया जा रहा है। इस बीच, एक और आतंकी के मारे जाने के साथ ही मुठभेड़ में मारे गए दहशतगर्दो की संख्या भी पांच हो गई है।
बचे दो अन्य आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़ जारी है। बताया जा रहा है आतंकियों के इस दल ने करीब दस दिन पहले ही गुलाम कश्मीर से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की है। अधिकारिक तौर पर लापता जवान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों ने उसकी पहचान सेना की 160 टीए वाहिनी के अब्दुल मजीद बजाड़ के रूप में की है। शहीदों में तीन जम्मू कश्मीर के निवासी हैं।
शहीदों की पहचान सेना की 160 टीए बटालियन के मोहम्मद अशरफ राथर निवासी कुपवाड़ा, सेना की तीन जैक राइफल के हवालदार जोरावर सिंह, पांच बिहार रेजिमेंट के नायक रंजीत, राज्य पुलिस के विशेष अभियान दल (एसओजी) से संबंधित एसपीओ मोहम्मद यूसुफ चेची निवासी कचहामा (कुपवाड़ा) और कांस्टेबल दीपक पंडित निवासी नगरोटा (जम्मू) के रूप में हुई है।
सेना और राज्य पुलिस के संयुक्त कार्यदल ने मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर जंगल में तलाशी अभियान चलाया था। इस अभियान में सेना के पैरा कमांडो भी हिस्सा ले रहे हैं। हलमतपोरा के फतेहखान इलाके में जंगल के बाहरी छोर पर सुरक्षाबलों ने आतंकियों को मुठभेड़ में उलझा लिया था। इसके बाद वहां शुरू हुई गोलीबारी में देर शाम तक चार दहशतगर्द मारे गए थे।
मुठभेड़ के दौरान आतंकी निकटवर्ती बस्ती में दाखिल होने में कामयाब रहे थे। देर रात सुरक्षाबलों ने धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए मारे गए चार आतंकियों में से तीन के शव अपने कब्जे में ले लिए। इसके बाद अभियान रोक दिया गया। सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही सुरक्षाबलों ने अभियान को दोबारा शुरू किया।
सुबह करीब 11 बजे सुरक्षाबलों के एक दस्ते ने आतंकियों को उनके ठिकाने में ही घुसकर मारने का प्रयास किया। ऐसा करते हुए कुछ जवान आतंकियों की सीधी फायरिंग रेंज में आ गए। आतंकियों द्वारा दागे गए राइफल ग्रेनेड की चपेट में आने से चार सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य सुरक्षाबलों ने घायल साथियों को वहां से हटाते हुए मोर्चा संभाला। घायल जवानों को तुरंत निकटवर्ती अस्पताल ले जाया गया, जहां सभी को शहीद घोषित कर दिया। देर शाम मुठभेड़ में सेना का एक और जवान शहीद व एक आतंकी मारा गया।
सूत्रों ने बताया कि दोपहर बाद करीब साढे़ तीन बजे मुठभेड़ में राज्य पुलिस के सब इंस्पेक्टर हर विंदर सिंह, एसपीओ जावेद अहमद, सेना के एक कमांडो और सीआरपीएफ के जवान समेत चार सुरक्षाकर्मी जख्मी हो गए। इन सभी को निकटवर्ती सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मारे गए आतंकियों से पांच एसाल्ट राइफलें, भारी मात्रा में हथगोले, राइफल ग्रेनेड, यूबीजीएल, कारतूस, संचार उपकरण व अन्य युद्धक सामग्री समेत पांच पाउच भी मिले हैं।
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने कुपवाड़ा मुठभेड़ में शहीद हुए जम्मू कश्मीर पुलिस व सेना के जवानों को श्रद्धांजलि दी।मुख्यमंत्री ने शहीदों के परिवारों को सांत्वना देते हुए उनसे हमदर्दी जताई। उन्होंने शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की। वहीं उपमुख्यमंत्री ने भी शहीदों के परिवारों को इस दुख की घड़ी में हिम्मत रखने के लिए कहा। सेना, पुलिस के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने शहीदों की आत्मा की शांति की कामना भी की।
पत्नी और बच्चों को नहीं दी शहादत की जानकारी
कश्मीर संभाग के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए राज्य पुलिस के सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल दीपक पंडित की शहादत की जानकारी उसकी पत्नी और दो बच्चों को नहीं दी गई। रिश्तेदारों के अनुसार दीपक की शहादत का पता चलने पर उसके परिवार के सदस्य खुद को संभाल नहीं पाएंगे। शहीद कांस्टेबल दीपक के करीबी रिश्तेदार वर्ष 1989 में विस्थापन के दौरान अपने परिवार के साथ कश्मीर से जम्मू आया था।
जम्मू के मिश्रीवाला में स्थित विस्थापितों के शिविर में वह कई वर्षो तक रहा। वर्ष 2007 में दीपक पुलिस में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुआ। बहादुरी के चलते ही उसे पुलिस की आतंकवाद विरोधी दस्ते स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) में शामिल किया गया। कश्मीर में कई मुठभेड़ों में दीपक ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। कई कुख्यात आतंकियों को मार गिराने में उसने अहम भूमिका निभाई। दीपक आतंकियों के निशाने पर था। यही कारण था कि वह अपने घर कम आता था और अपने परिवार को जगटी विस्थापित कॉलोनी में अपने रिश्तेदारों के साथ ही रखा था। दीपक की शहादत की जानकारी उसके करीबी रिश्तेदारों को सबसे पहले मिली। इसके बाद जगटी कॉलोनी में रहने वालों ने फैसला किया कि उसकी पत्नी, दोनों बच्चों और मां को इस बारे में नहीं बताया जाएगा। वीरवार सुबह उन्हें इस बाबत बताया जाएगा।
घर में अकेला कमानेवाला था दीपक
दीपक पंडित के पिता का काफी समय पहले देहांत हो गया था। दीपक अपने परिवार का अकेला सहारा था। वर्ष 2004 में दीपक की शादी स्वीटी पंडित से हुई थी। दीपक के दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा अमन पंडित नौवीं कक्षा में पढ़ रहा है, जबकि बेटी पलक पंडित सातवीं कक्षा में पढ़ती है। दीपक की मां पुष्पा पंडित भी साथ ही रहती हैं। दीपक अपने परिवार के साथ जगटी टाउनशिप के ब्लॉक नंबर 176 के फ्लैट नंबर 21, लेन नंबर 27 में रह रहा है।
जगटी में शोक की लहर
जगटी टाउनशिप में दीपक की मौत की जानकारी मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई। टाउनशिप में रहने वाले अधिकतर परिवार दीपक को बचपन से जानते थे। विस्थापन के बाद से ही सभी परिवार कश्मीर से जम्मू आ गए थे। इसके बाद कई वर्षो तक मिश्रीवाला कैंप में रहने के बाद सरकार ने उन्हें जगटी में क्वार्टर अलॉट किए थे। दीपक के बचपन के दोस्त संदीप कौल के अनुसार वह बचपन से ही बहुत बहादुर था और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने की बात करता था।