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जम्मू-कश्मीर: वर्चुअल कहानी गोष्ठी में झलकी नारी संवेदना

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने कथाकारों का औपचारिक स्वागत किया।उन्होंने कहा कि संस्था ने ऑफलाइन जाने और साहित्यिक समारोहों को सभागारों में आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के अचानक उछाल ने फिर से बाधा उत्पन्न कर दी।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 05:54 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 05:54 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: वर्चुअल कहानी गोष्ठी में झलकी नारी संवेदना
इस विशेष कहानी गोष्ठी में देश तथा विदेशों में रहने वाले डोगरी भाषा प्रेमी तथा साहित्यकार भी जुड़े।

जम्मू, जागरण संवाददाता : गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में डोगरी संस्था जम्मू, जो मातृभाषा डोगरी और क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराओं के लिए काम करने वाला साहित्यिक संगठन है, ने वर्चुअल माध्यम से एक विशेष कहानी गोष्ठी का आयोजन किया।

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इस विशेष कहानी गोष्ठी में, डोगरी कहानीकारों कृष्णा शर्मा, सुदेश राज और राजेश्वर सिंह ‘राजू’ ने अपनी लघु कहानियां पढ़ीं। गोष्ठी की शुरुआत अंग्रेजी, हिंदी और डोगरी के लेखक राजेश्वर सिंह राजू से हुई। जिन्होंने इस अवसर पर अपनी कहानी ‘किश नेई’ पढ़ी। जो एक छोटी बच्ची के मनोविज्ञान के इर्द-गिर्द घूमती है। कई बार उस लड़की से माता-पिता द्वारा भेदभाव किया जाता है। जिससे वह अपने आप में घुटती हुई उदास रहती है। लेकिन जब भी उसके माता-पिता उसकी उदासी का कारण पूछते हैं, तो वह हमेशा ‘किश नेई’ कुछ नहीं कह कर जवाब देती है।

इसके बाद लघु कथाकार सुदेश राज ने भावनात्मक कहानी ‘मां’ पढ़ी, जो अपने जवान बेटे की मृत्यु के उपरांत मां के कष्टों के इर्द-गिर्द घूमती है।गोष्ठी के अंत में लघु कथाकार कृष्ण प्रेम ने ‘युग-युगांतर’ कहानी पढ़ी। जो 1947 के कुख्यात विभाजन की पृष्ठभूमि में एक विचारोत्तेजक कहानी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने कथाकारों का औपचारिक स्वागत किया।उन्होंने कहा कि संस्था ने ऑफलाइन जाने और साहित्यिक समारोहों को सभागारों में आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के अचानक उछाल ने फिर से बाधा उत्पन्न कर दी है।जिसके चलते संस्था को अपनी नियमित साहित्यिक गतिविधियों को ऑनलाइन जारी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

तत्पश्चात कहानियों पर विश्लेषण करते हुए, उन्होंने कहा कि तीनों कहानीकार डोगरी साहित्य में जाने-माने हस्ताक्षर हैं और उनकी नारी प्रधान चरित्र वाली प्रत्येक कहानी पूरी संवेदनशीलता के साथ समाज के लिए महत्वपूर्ण संदेश देने में सफल रही है। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध रंगमंच कार्यकर्ता और डोगरी कवि पवन वर्मा ने किया।जिन्होंने कहानी गोष्ठी को सुचारू रूप में चलाने में तकनीकी योगदान भी दिया।इस विशेष कहानी गोष्ठी में देश तथा विदेशों में रहने वाले डोगरी भाषा प्रेमी तथा साहित्यकार भी जुड़े। 


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