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Kashmir: ...जब गुपकार में पहली बार बनी 'रहमत की दीवार', फारूक की बेटी ने दीवार को लेकर राजनियकों के दौरे पर साधा निशाना

लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर गुपकार मार्ग पर इस दीवार का क्या औचित्य है। वहां तो कश्मीर की क्रीमी लेयर रहती है। सॢदयों का सबसे सर्द मौसम भी बीत चुका है। फरवरी भी आधा समाप्त हो चुका है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 08:54 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 08:54 AM (IST)
Kashmir: ...जब गुपकार में पहली बार बनी 'रहमत की दीवार', फारूक की बेटी ने दीवार को लेकर राजनियकों के दौरे पर साधा निशाना
अब तो कश्मीर में गॢमयों ने हल्की दस्तक भी देना शुरू कर दी है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: गुपकार कश्मीर का सबसे पाश इलाका। बुधवार को यह मार्ग उस समय चर्चा में आया, जब वहां रातोरात तैयार हुई रहमत की दीवार लोगों को नजर आई। रहमत की दीवार सॢदयों में अक्सर श्रीनगर समेत प्रदेश के विभिन्न भागों में नजर आती है, जहां कई लोग गरीबों के लिए कपड़े व अन्य सामान छोड़ जाते हैं। गुपकार में पहली बार रहमत की दीवार बनी है।

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वह भी तब जब बुधवार को विदेशी राजनियक कश्मीर के हालात जानने दो दिवसीय दौरे पर श्रीनगर पहुंचे। सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला की बेटी साफिया अब्दुल्ला खान ने इस दीवार की तरफ सभी का ध्यान दिलाते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, यह रातों रात गुपकार में तैयार हो गई है। कहीं यह विदेशी मेहमानों को गर्म कपड़े प्रदान करने के लिए तो नहीं बनाई गई है।

उन्होंने इस दीवार को लेकर कटाक्ष कर विदेशी राजनियकों के दौरे पर निशाना साधा है। उन्होंने जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी का भी हवाला दिया जो अक्सर लोगों में परोपकारिता की भावना को जगाने व गरीबों की मदद के लिए इस तरह के प्रयास करते रहते हैं।

डीएसपी शेख आदिल ने साफिया के ट्वीट पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने लिखा मेरा इस दीवार से कोई सरोकार नहीं है। जिन्होंने यह तैयार की है, उन्होंने इसमें आवश्यक सुधार कर लिया है। इसके बाद साफिया ने खान ने एक और ट्वीट कर कहा कि मुझे पता चल गया है कि गुपकार रोड पर रहमत की दीवार सेना ने तैयार की है। हालांकि, यह मामला शांत हो गया है, लेकिन स्थानीय हल्कों में इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है।

लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर गुपकार मार्ग पर इस दीवार का क्या औचित्य है। वहां तो कश्मीर की क्रीमी लेयर रहती है। सॢदयों का सबसे सर्द मौसम भी बीत चुका है। फरवरी भी आधा समाप्त हो चुका है। अब तो कश्मीर में गॢमयों ने हल्की दस्तक भी देना शुरू कर दी है। 


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