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फारूक व उमर ने 370 की बहाली का राग अलापा, विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर के लिए मांगा पूर्ण राज्य का दर्जा

सर्वदलीय बैठक के बाद दिल्ली से श्रीनगर पहुंचते ही नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला ने फिर अनुच्छेद 370 की बहाली का राग अलापना शुरू कर दिया है। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पूर्व जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 27 Jun 2021 07:58 AM (IST)Updated: Sun, 27 Jun 2021 07:58 AM (IST)
फारूक व उमर ने 370 की बहाली का राग अलापा, विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर के लिए मांगा पूर्ण राज्य का दर्जा
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जनमत संग्रह का वादा किया था, लेकिन वह बाद में मुकर गए।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : सर्वदलीय बैठक के बाद दिल्ली से श्रीनगर पहुंचते ही नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला ने फिर अनुच्छेद 370 की बहाली का राग अलापना शुरू कर दिया है। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पूर्व जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है।

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नेकांध्यक्ष डा. फारूक ने अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पीपुल्स एलांयस फार गुपकार (पीएजीडी) कहीं भी अपने मकसद से पीछे नहीं हटा है। अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली पर सभी ने जोर दिया है। बैठक में क्या हुआ, हमने क्या बात की और आगे क्या करना है, इस पर मैं सबसे पहले अपनी पार्टी के नेताओं को पीएजीडी की बैठक में चर्चा करूंगा। उसके बाद ही बैठक को लेकर कोई बयान दूंगा। एक बात तय है कि केंद्र ने हमेशा अपने कदम पीछे खींचे हैं।

उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जनमत संग्रह का वादा किया था, लेकिन वह बाद में मुकर गए। इसके बाद वर्ष 1996 में जम्मू कश्मीरी में विधानसभा चुनाव से पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने स्काई इज द लिमिट कहते हुए आजादी से कम आटोनामी तक कुछ देने की बात की थी। उन्होंने यह वादा सदन में किया था। बाद में इसका क्या हुआ? उन्होंने कहा कि यहां केंद्र के प्रति अविश्वास की भावना है। केंद्र को इसे दूर करना चाहिए, क्या वह ऐसा करता है या यह अविश्वास की भावना को बने रहने देना चाहता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. कर्ण सिंह ने भी कहा कि जम्मू कश्मीर को पहले राज्य का दर्जा दिया जाए।

प्रधानमंत्री ने वादा तो किया है, लेकिन हमारा अनुभव कुछ और कहता है। डा. फारूक ने कहा कि बैठक जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य बनाने और राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में पहला कदम है। बैठक में सभी ने अपना अपना पक्ष रखा है। क्या अब पीएजडी समाप्त होगा तो उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है। पीएजीडी क्यों समाप्त होगा। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बैठक के लिए न्योता पीएजीडी को नहीं मिला था,सभी दलों को अलग अलग न्योता मिला था। सभी नेता गए थे। अगर पीएजीडी को न्योता मिला होता तो फिर एक ही नेता जाता। बैठक में हमने अपनी अपनी दलीय नीतियों के आधार पर बात की है, लेकिन किसी ने भी पीएजीडी के एजेंडे की उपेक्षा नहीं की।

उमर ने कहा कि हमने बैठक में साफ किया कि चाहे कुछ भी हो हम अनुच्छेद 370 को वापस लेकर रहेंगे। हम कानूनी, और राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे। 370 समाप्त करना भाजपा का एजेंडा था और उसे इसे पूरा करने में 70 साल लग गए। अब हमें अगर इसे वापस लाने में सात दिन या 70 हफ्ते, महीने या साल लगें हम इसके लिए लड़ेंगे। बैठक में सिर्फ मुजफ्फर हुसैन बेग और कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने अदालत में विचाराधीन होने के नाते 370 पर बात करने से इन्कार किया,लेकिन यह दोनों पीएजीडी के सदस्य नहीं हैं। अयोध्या का विवादित ढांचा अदालत में विचाराधीन मामला था तो क्या भाजपा ने उस पर कभी बात नहीं की।


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