फारूक ने कहा-कश्मीर समस्या के हल के लिए भारत-पाक वार्ता जरूरी
रसाना मामले का फैसला अब अदालत करेगी क्योंकि मामला वहां चला गया है। कोर्ट के फैसले का इंतजार करें। सीबीआइ जांच की मांग करने वालों को कोर्ट पर भरोसा करना चाहिए।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को एक बार फिर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों मुल्कों में बिना बातचीत यह मसला हल नहीं होने वाला।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को इस सिलसिले में पहल करते हुए पाकिस्तान के साथ संवाद बहाल करना चाहिए। नेकां भी इसमें पूरा सहयोग करेगी। हम शुरू से ही कश्मीर समस्या के सर्वमान्य और स्थायी समाधान के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमें यकीन है कि 70 वर्षो से जटिल होता जा रहा यह मसला सिर्फ बातचीत और दोस्ती के माहौल में ही हल हो सकता है। जंग कोई समाधान नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि एक दिन दोनों मुल्कों का शीर्ष नेतृत्व आपसी दुश्मनी और तनाव को भूलकर, जम्मू कश्मीर के लोगों की बेहतरी, पूरे क्षेत्र में शांति, सौहार्द व तरक्की के लिए इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। शांति बहाली सभी के हित में है, लेकिन एक बात जरूर है कि नई दिल्ली को कश्मीर मसले के राजनीतिक पहलू को ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित पक्षों को विश्वास में लेना होगा। इसमें देरी हालात को और बिगाड़ेगा। सभी से बातचीत होनी चाहिए। चाहे जम्मू के लोग हों या कश्मीर का कोई वर्ग, लद्दाख के लोग हों या कोई और, सभी को साथ लेकर चलेंगे तभी यहां शांति, सौहार्द और खुशहाली का माहौल रहेगा।
रसाना मामले में कोर्ट के फैसले का करें इंतजार
रसाना मामले का फैसला अब अदालत करेगी क्योंकि मामला वहां चला गया है। कोर्ट के फैसले का इंतजार करें। सीबीआइ जांच की मांग करने वालों को कोर्ट पर भरोसा करना चाहिए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को लखनपुर में पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेम मेहता के आवास पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब अदालत ही तय करेगी कि मामले में कोई कमी रह गई है तो उसे सीबीआइ को सौंप सकती है।
यह कोर्ट को ही देखना है, लेकिन किसी बेगुनाह को सजा न हो और दोषियों को फांसी होनी चाहिए। हमारे राज्य में ऐसे कर्म करने वालों को फांसी देने का प्रावधान होना चाहिए। इसके लिए विधानसभा में कानून पास किया जाए फिर राज्यपाल सीधे अध्यादेश ला सकते हैं। फारूक ने कहा कि सरकार रहे न रहे, यह सवाल नहीं रहा। सबसे ज्यादा गंभीर सवाल राज्य के दो हिस्से हो रहे हैं, जिसमें श्रीनगर अलग और जम्मू अलग हो रहा है। राज्य के तीन हिस्से हैं। तीनों को जोड़कर रखना है। हमने हमेशा तीनों हिस्सों को जोड़कर रखा है।
इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी हैं। हमें आपसी भाईचारे को कायम रखना है। जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने में काफी समय लगेगा। आपसी भाईचारे को कायम रखना है। जब यह सरकार बनी थी और गठजोड़ हुआ था तब लोगों को बड़ी उम्मीदें थी, जो पूरी नहीं हो पाई। सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। सरकार ने तीन साल में ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे हम कह सकें कि राज्य तरक्की कर रहा है। केंद्र की अपनी पार्टी है, उसे हर हाल में इसे बचाने का प्रयास रहेगा, लेकिन इन्हें प्रधानमंत्री के 80 हजार करोड़ के पैकेज का हिसाब देना होगा। जम्मू कश्मीर के हालात बदतर हो गए हैं। लोगों को बिजली, पानी और सड़क नहीं मिल रही है। हर जगह अशांति फैली है। सीमा पर भी लोग चैन से नहीं हैं और अंदर भी नहीं हैं। बेरोजगारी मुंह बाए खड़ी है, जो सबसे बड़ी समस्या है। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
उन्होंने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान का स्वागत किया, जिसमें उन्होंने कश्मीर समस्या को गोली से नहीं बातचीत से हल होने की बात कही है। फारूक ने कहा कि वह आज अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में माथा टेकर आए हैं। इसलिए बहुत खुश हैं। उन्हें गुरु का आशीर्वाद मिल गया है। अगर गुरु ने चाहा तो अगली सरकार उनकी होगी। फारूक के साथ नेकां विधायक देवेंद्र सिंह राणा भी थे।