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Farmer Producer Organisation: समूह में खेती कर किसान बदलें अपनी तकदीर, जागरूक होने की जरूरत

पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्र में खेती करना कठिनाइयों से भरा होता है। अच्छी बात यह है कि जम्मू-कश्मीर में हर तरह की जलवायु है। ऐसे में यहां पर हर तरह की पैदावार संभव है। किसान खेती में क्या बदलाव कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 07:39 AM (IST)
Farmer Producer Organisation: समूह में खेती कर किसान बदलें अपनी तकदीर, जागरूक होने की जरूरत
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक (विस्तार) बीके चंदन

जम्‍मू, जागरण संवाददाता: जम्मू कश्मीर में खेती का काम अन्य राज्यों से कुछ हटकर है। एक तो यहां पर किसान छोटे हैं। वहीं पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्र में खेती करना कठिनाइयों से भरा होता है। अच्छी बात यह है कि जम्मू-कश्मीर में हर तरह की जलवायु है। ऐसे में यहां पर हर तरह की पैदावार संभव है। किसान खेती में क्या बदलाव कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, इस बारे में दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता गुलदेव राज ने कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक (विस्तार) बीके चंदन से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश-

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म्मू क्षेत्र में किसान छोटे हैं, उनके पास बहुत ज्यादा जमीन नहीं। खेती पर खर्च ज्यादा है। किसानों को लाभ कैसे दिलाया जा सकता है?

फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (FPO) किसानों का समूह है। समझ लें कि किसान अपना एक संगठन बनाएंगे जो कि पंजीकृत होगा। उसको जीएसटी नंबर जारी होगा। यह संगठन कंपनी की तरह काम करेगा। अपने ब्रांड से उत्पाद पैक कर सकता है। मार्केट में सभी किसानों का उत्पाद पहुंचा सकता है। कृषि विभाग विभाग इस तरह के संगठन बनाने में जुटा हुआ है। जब किसान मिलकर काम करेंगे तो खेती खर्च अपने आप कम होगा और वहीं भी मार्केट मिलेगी। अब किसानों को अकेले मंडी में माल लेकर जाने की जरूरत नहीं। वहीं सरकार की कृषि की योजनाओं का सीधा लाभ भी एफपीओ को मिलेगा। सरकार चाह रही है कि किसान मिलकर खेती करें। इससे बिचौलियों का खेल भी खत्म हो जाएगा। कृषि विभाग एफपीओ बनाने में पूरा सहयोग दे रहा है। वहीं एफपीओ को कैसे चलाना है, उसके लिए पूरी सहायता कर रहा है। किसानों को इस बारे मे सोचना चाहिए।

अब तक जम्मू संभाग में कितनी एफपीओ बनाई जा चुकी है। क्या मापदंड रखे गए हैं?

कृषि विभाग हर जिले में तीन फार्मर प्रोडयूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) बनाएगा। अब तक जम्मू संभाग में 17 एफपीओ बनाई जा चुकी है।  मैदानी इलाकों में एफपीओ बनाने के लिए कम से कम 300 किसानों को एकजुट होना होगा। पहाड़ी क्षेत्रों में 100 किसान मिलकर इस तरह का संगठन बना सकते हैं। संख्या अगर कम हो तो भी संगठन बनाने का विचार हो सकता है। एफपीओ बनाने से किसानों की काफी समस्याओं का हल अपने आप निकल आएगा। कृषि विभाग एफपीओ का मार्गदर्शन करेगा।

ग्रामीण युवा जो पढ़े-लिखे हैं, पर उनके पास नौकरी नहीं है, वे खेती से कैसे सपने पूरे कर सकते हैं?

देखिए, जो युवा काम करने का जज्बा रखता है, उसके लिए मंजिल दूर नहीं। जमीन कम भी हो मगर हौंसले होने चाहिए। क्योंकि कृषि सेक्टर में बहुत-सी राह निकल सकती है। इस सेक्टर में मेहनत से एक रुपये को दस रुपए में तब्दील किया जा सकता है। खेती का मतलब उत्पाद ही नहीं है, उत्पाद से आगे बढ़कर भी काम किया जा सकता है। मक्का और दूसरी चीजों से पोल्ट्री फीड बनती है। वर्मी कंपोस्ट खाद का यूनिट लग सकता है। कृषि यंत्र बनाने का काम शुरू हो सकता है। आटा पैकिंग में आ सकता है। कैटल फीड का यूनिट लगाया जा सकता है। फिर मशरूम, मधुमक्खी पालन, दूध उत्पाद, कैश क्राप बहुत कुछ है। आटा या आरएस पुरा बासमती चावल पैकिंग में आ सकते हैं। शेड नेट खेती को समझा जाए।

इन किसानों के लिए कोई खास योजना इन दिनों चल रही है?

इन दिनों आत्मनिर्भर भारत के तहत किसानों को खेतीबाड़ी के लिए जरूरी साजो सामान, मशीनें व दूसरे यंत्र खरीदने के लिए केंद्र सरकार की योजना है। किसानों को 50 फीसद सब्सिडी पर यह सामान उपलब्ध हो सकता है। जिस किसान की अगर कोई जरूरत है तो वह अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकता है। किसानों को सरकारी योजना का लाभ उठाना चाहिए।

किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

यही कि वे जैविक खेती पर आएं क्योंकि अब जैविक खेती का जमाना है। इस खेती का क्रम आरंभ हो चुका है। दूसरी ओर यह कहना चाहता हूं कि अब खेती बदल चुकी है। किसान समझदार बनें और आधुनिक खेती में आएं। किसान मार्केट का अध्ययन करे और फिर विचार करे कि उसे क्या खेती करनी है। साल में अधिक से अधिक फसलें कैसे ली जाएं, इस बारे में किसान को सोचना है।


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