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जम्मू कश्मीर में चरम पर पहुंची कांग्रेस की गुटबाजी पर सीधी कार्रवाई के मूड में नहीं हाईकमान

नेताओं की खुली चुनौती देने के बावजूद हाईकमान कार्रवाई के मूड में नहीं है। गुलाम नबी आजाद को अखिल भारतीय स्तर की पार्टी की अनुशासनात्मक समिति से तो बाहर किया गया है। जम्मू संभाग के अधिकांश कांग्रेस नेता आजाद का समर्थन कर रहे हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 05:14 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 05:57 PM (IST)
जम्मू कश्मीर में चरम पर पहुंची कांग्रेस की गुटबाजी पर सीधी कार्रवाई के मूड में नहीं हाईकमान
प्रदेश कांग्रेस के अंदर पहले ही गुटबाजी थी लेकिन कुछ दिन पहले ये गुटबाजी खुले तौर पर सामने आ गई।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। प्रदेश कांग्रेस कमेटी जम्मू कश्मीर में पार्टी की चरम पर पहुंची गुटबाजी में सीधी कार्रवाई से हाईकमान बच रही है। किसी को नोटिस नहीं दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के अंदर पहले ही गुटबाजी थी लेकिन कुछ दिन पहले ये गुटबाजी उस समय खुले तौर पर सामने आ गई जब गुलाम नबी आजाद के समर्थकों कई नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। एक गुट आजाद का तो दूसरा मीर का है।

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नेताओं की खुली चुनौती देने के बावजूद हाईकमान कार्रवाई के मूड में नहीं है। गुलाम नबी आजाद को अखिल भारतीय स्तर की पार्टी की अनुशासनात्मक समिति से तो बाहर किया गया है। जम्मू संभाग के अधिकांश कांग्रेस नेता आजाद का समर्थन कर रहे हैं। आजाद ने गत दिवस ही जम्मू संभाग का पांच दिवसीय दौरा समाप्त किया है। आजाद के दौरे के दौरान ही उनके समर्थक नेताओं ने प्रदेश प्रधान मीर के खिलाफ बगावत की।

पार्टी के पदों से इस्तीफा देने वालों में पार्टी के उपप्रधान व पूर्व मंत्री जीएम सरूरी, पूर्व एमएलसी जुगल किशोर, विकार रसूल, डा. मनोहर लाल शर्मा, गुलाम नबी मोंगा, नरेश गुप्ता, सुभाष गुप्ता, अमीन भट्ट, अनवर भट्ट व अनायत अली शामिल थे। पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद को छोड़ कर गुलाम नबी आजाद के समर्थक अधिकतर नेताओं ने अपने पद से त्यागपत्र दिया है। इतना ही कठुआ में तो पूर्व मंत्री मनोहर लाल शर्मा ने आजाद के कार्यक्रम में खुले आम कह दिया कि मीर-शीर नहीं चलेगा। सिर्फ गुलाम नबी आजाद ही चलेगा।

जीएम सरूरी व गुलाम नबी मोंगा के अन्य किसी के पास भी पार्टी का कोई पद नहीं है। इन नेताओं ने आरोप लगाए थे कि उनको पार्टी में नजरअंदाज किया गया है। हालांकि प्रदेश प्रधान इस्तीफा देने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने या नोटिस जारी करने के मूड में नहीं है। वह इन नेताओं को आइना दिखा रहे है कि इस्तीफा देने वालों की स्वयं की भूमिका कितनी सक्रिय है, वे अपने अंदर झांकें। वही गुलाम नबी आजाद ने पार्टी गुटबाजी पर कुछ न बोलते हुए कहा है कि लोकतंत्र में अपनी बात कहने की हर एक को इजाजत है।

पार्टी सूत्र बताते हैं कि कुछ समय के बाद पार्टी की जम्मू कश्मीर प्रभारी रजनी पाटिल दौरा कर सभी नेताओं से बातचीत करेगी। सब को एकजुट रखने की कोशिश होगी। प्रदेश प्रधान जीए मीर का कहना है कि इस्तीफा देने के मामलों की जांच की जा रही है। प्रदेश प्रधान होने के नाते मुझे किसी ने इस्तीफा नहीं दिया। जब पूरा मामला पता चलेगा तो ही अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। जो लोग मुझ पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, उनको जिला विकास परिषद में पार्टी उम्मीदवारों के चयन का जनादेश दिया गया था। जो दो बार एमएलसी या एक बार एमएलसी रह चुके है, उनके बूथ पर पार्टी को कितने वोट मिले थे, वे बताए तो सही। सही होता कि ये नेता अपनी समस्याओं या मुद्दों को मेरे समक्ष लाते, बात होती।

पूर्व मंत्री डा. मनोहर लाल शर्मा का कहना है कि वह कांग्रेस के सच्चे सिपाही है, कांग्रेस छोड़ कर कहीं नहीं जा रहे है और न ही कोई पार्टी बना रहे है। लोकतंत्र में अपनी बात करने का हक सभी को है। हम पार्टी का भला चाहते हैं। पार्टी बेहतर करें।  


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