सुरक्षा ड्यूटी के नाम पर अब नहीं चलेगी फरलो, हर हरकत पर रहेगी नजर
Safety Duty. जम्मू कश्मीर में वीआइपी के ठिकाने और उस क्षेत्र के सुरक्षा हालात का भी ब्योरा रखा जाएगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार से सुरक्षा प्राप्त वीआइपी की सुरक्षा व्यवस्था में आ रही खामियों पर खुफिया विभाग ने नजरें टेढी कर दी हैं। खुफिया विभाग ने इनपुट दिया है कि ड्यूटी के नाम पर अकसर अधिकतर अंगरक्षक या तो फरलो पर रहते या फिर वीआइपी के दूसरे काम कर रहे हाेते हैं। इस वजह से अकसर बिना हथियार के ही घूम रहे होते हैं। इससे सबक लेते हुए संरक्षित व्यक्तियों और उनके अंगरक्षकों की गतिविधियों की निगरानी राज्य पुलिस के खुफिया विंग के हवाले करने के बाद पुलिस ने वीआइपी और उनके अंगरक्षकों की प्रोफाइलिंग भी शुरू कर दी है। इसमें वीआइपी के ठिकाने और उस क्षेत्र के सुरक्षा हालात का भी ब्योरा रखा जाएगा। साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि अंगरक्षक वीआइपी के साथ या संरक्षित स्थल पर मौजूद हैं या नहीं।
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में बीते एक साल के दौरान आतंकियों ने लगभग एक दर्जन संरक्षित व्यक्तियों को निशाना बनाते हुए राज्य पुलिस द्वारा उन्हें बतौर अंगरक्षक प्रदान किए गए पुलिसकर्मियों से उनके हथियार लूटे हैं। दिसंबर के दौरान आतंकियों ने श्रीनगर के जवाहरनगर इलाके में रहने वाले कांग्रेस नेता व पूर्व एमएलसी मुजफ्फर अहमद पर्रे के अंगरक्षकों से हथियार लूटे थे। वारदात के समय पर्रे राज्य से बाहर थे, जबकि उनके सुरक्षाकर्मी कश्मीर में ही थे और उन्होंने इस संदर्भ में कोई सूचना अपने अधिकारियों को नहीं दी थी।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों द्वारा इन वीआइपी के सुरक्षाकर्मियों से हथियार लूटे जाने की घटनाओं के आकलन के आधार पर पता चला है कि संबंधित सुरक्षाकर्मी अकसर अपने हथियार के बिना ही घूमते हैं। साथ ही, वह सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभालने के बजाय संबधित व्यक्ति के अन्य काम ज्यादा करने लग जाते हैं या यह समझते हैं कि एक्टिव ड्यूटी से आराम मिला है। अकसर यह भी देखा गया है कि वह संबंधित व्यक्ति को बताकर अपने घर भी एक-दो दिन के लिए चले जाते हैं। जबकि वरिष्ठ अफसरों को इसकी भनक भी नहीं होती। यह पूरी तरह नियमों की अवहेलना है।
आइजीपी कश्मीर डा एसपी पाणि ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने वीआइपी के अंगरक्षकों से हथियार लूटे जाने की घटनाओं का सख्त नोटिस लिया है। इसलिए जो भी लूपहोल या कोताहियां हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है। वीआइपी और उनके अंगरक्षकों की प्रोफाइलिंग से पता रहेगा कि वह कहां, किन जगहों पर रह रहे हैं। किन क्षेत्रों में सुरक्षा प्राप्त वीआइपी अधिक हैं। साथ ही यह भी ज्ञात रहेगा कि उनके अंगरक्षकों की तादाद क्या है।
उन्होंने बताया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक व्यावहारिक नीति को लागू किया जा रहा है। इसमें संरक्षित व्यक्ति, उसके अंगरक्षकों व अंगरक्षकों के संदर्भ में उनके उच्चाधिकारियों को भी शामिल कर,सभी को जवाबदेय बनाया जा रहा है। इसलिए अब कश्मीर में सभी संरक्षित व्यक्तियों और उनके अंगरक्षकों की प्रोफाइलिंग की जा रही है।
उन्होंने बताया कि संरक्षित व्यक्तियों की प्रोफाइलिंग में उनके स्थायी घर, वर्तमान घर के बारे में जानकारियों को भी शामिल किया गया है। वह किस मोहल्ले अथवा कालोनी में रहते हैं, क्या वह सुरक्षा की दृष्टि से सही है, अगर उन्होंने कहीं मकान किराये पर लिया है, या कहीं उन्हें मकान आबंटित हुआ है तो क्या उसकी सिक्योरिटी क्लीयरेंस प्राप्त है। इसके अलावा संबधित चौकी प्रभारी और थाना प्रभारी को भी कहा गया है कि अगर उसके कार्यधिकार क्षेत्र में कोई संरक्षित व्यक्ति रहता है तो वह वहां नियमित तौर पर उसके अंगरक्षकों की उपस्थिति को यकीनी बनाने के लिए जांच करे। इसके अलावा डीएसपी,एसपी स्तर के अधिकारी या पुलिस का वह विंग जिसके द्वारा किसी संरक्षित व्यक्ति को अंगरक्षक जारी किए गए हैं, के वरिष्ठ अधिकारी भी ऑलराउंड अंगरक्षकों की स्थिति का पता करने के लिए जांच करेंगे। अगर किसी संरक्षित व्यक्ति का अंगरक्षक बिना अपने अधिकारियों को सूचित किए बिना कहीं जाता है या हथियार के बिना पाया जाता है तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के अलावा उसके हथियार भी जब्त किए जाएंगे।
घाटी में करीब 1500 लोगों को सुरक्षा
कश्मीर घाटी में नेताओं, अधिकारियों समेत करीब 1500 लोगों को जम्मू कश्मीर पुलिस से सुरक्षा मिली हुई है। करीब 6 हजार पुलिस कर्मचारी केवल वीआइपी सुरक्षा में ही तैनात हैं।