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DSP Devinder Singh Case: निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह की केस ट्रांसफर करने की याचिका खारिज

जम्मू-कश्मीर में केवल तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय जम्मू को ही एनआइए कोर्ट का दर्जा मिली है और इसी विशेष अदालत के पास एनआइए केसों पर सुनवाई का अधिकार है। लिहाजा किसी भी सूरत में केस की सुनवाई ट्रांसफर नहीं की जा सकती।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 11:19 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 11:19 AM (IST)
DSP Devinder Singh Case: निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह की केस ट्रांसफर करने की याचिका खारिज
एनआइए की ओर से पेश हुए वकीलों ने दलील दी कि याची की मांग पूरी तरह से निराधार है।

जम्मू, जेएनएफ: आतंकवादी संगठनों तक पैसा पहुंचाने के आरोप मे सस्पेंड किए गए जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह ने उनके खिलाफ दर्ज केस की सुनवाई जम्मू कोर्ट से श्रीनगर कोर्ट में शिफ्ट करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि एसआरओ 149 के तहत श्रीनगर में स्थापित विशेष कोर्ट के पास एनआइए केसों पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि इस केस में चार्जशीट पेश हो चुकी है और कानून के तहत अब चार्जशीट की सुनवाई जम्मू से श्रीनगर ट्रांसफर नहीं की जा सकती।

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हाईकोर्ट के जस्टिस संजय धर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में जम्मू के अलावा कोई अन्य विशेष कोर्ट आता भी नहीं और अगर यह मान भी लिया जाए कि याचिका में कोई तर्क है, तब भी हाईकोर्ट याची को कोई राहत प्रदान नहीं की जा सकती। याची देवेंद्र सिंह ने मांग की थी कि एनआइए कोर्ट जम्मू में चल रही उसके केस की सुनवाई को श्रीनगर में ट्रांसफर किया जाए।

आरोपित की याचिका में तर्क दिया गया कि इस मामले में जितने भी गवाह है, उनमें से अधिकांश कश्मीर के रहने वाले हैं, ऐसे में अगर कश्मीर में मामले की सुनवाई होती है तो इससे आसानी रहेगी। आरोपित ने कहा कि वह भी श्रीनगर के इंदिरा नगर का रहने वाला है और उसका पूरा परिवार भी वहां रहता है। उसका जम्मू में कोई नहीं है। याचिका ने आगे कहा गया कि जम्मू में कई वकील याची का केस लेने से भी इंकार कर चुके है और ऐसे में याची के लिए कश्मीर से वकील करना और उसे हर बार जम्मू में सुनवाई के दौरान पेश करवाना काफी महंगा पड़ेगा, लिहाजा इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए केस की सुनवाई श्रीनगर में ट्रांसफर की जाए।

एनआइए की ओर से पेश हुए वकीलों ने दलील दी कि याची की मांग पूरी तरह से निराधार है। अगर केस के कुछ गवाह कश्मीर के निवासी है तो उसे आधार बनाकर केस की सुनवाई श्रीनगर ट्रांसफर नहीं की जा सकती। दूसरा अगर जम्मू के वकील उसका केस लड़ने को तैयार नहीं तो याची निशुल्क कानूनी मदद का हकदार है। इन सबके अलावा पूरे जम्मू-कश्मीर में केवल तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय जम्मू को ही एनआइए कोर्ट का दर्जा मिली है और इसी विशेष अदालत के पास एनआइए केसों पर सुनवाई का अधिकार है। लिहाजा किसी भी सूरत में केस की सुनवाई ट्रांसफर नहीं की जा सकती।


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