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Drugs in Kashmir: कश्मीर में लाकडाउन में हावी रहा नशा, बढ़ी नशेड़ियों की तादाद; 3538 करवा रहे इलाज

Drugs in Kashmir यूथ डेवलपमेंट एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के निदेशक व क्लिनिकल सायकालोजिस्ट डा. मुजफ्फर खान ने कहा कि जब लाकडाउन शुरू हुआ तो हमने समझा कि इससे नशेडिय़ों में कमी आएगी। नशीले पदार्थाें का कारोबार रुकेगा। हुआ ठीक इसके विपरीत।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 07:21 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 07:21 AM (IST)
Drugs in Kashmir: कश्मीर में लाकडाउन में हावी रहा नशा, बढ़ी नशेड़ियों की तादाद; 3538 करवा रहे इलाज
कुछ लोगों की नशे की ओवरडोज से भी मृत्यु हुई है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: मखदूम साहब की जियारत पर बेटे की सलामती की दुआ मांग रही नुजहत बेगम (बदला हुआ नाम) को उम्मीद थी कि राशिद (बदला हुआ नाम) को एमबीए की डिग्री मिलने के बाद घर के हालात सुधर जाएंगे। घर के हालात नहीं सुधरे, लेकिन राशिद बिगड़ गया। अब वह नशा उन्मूलन केंद्र में उपचाराधीन है। नुजहत ने कहा कि 20 साल पहले मेरे पति की मौत हुई थी। बीए करने के बाद बेटे को शिक्षा ऋण लेकर एमबीए करने भेजा था। सबकुछ ठीक चल रहा था, फिर पिछले साल जब कोरोना शुरू हुआ तो वह घर लौटा। पता नहीं कहां से उसे नशे की लत लग गई। घर में जो बचा था, कुछ उसने बेच दिया और कुछ मुझे उसके इलाज के लिए बेचना पड़ा।

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नुजहत और राशिद जैसे हालात का सामना करने वाले इस समय कश्मीर में सैकड़ों हैं। इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस के वरिष्ठ डाक्टर यासिर राथर ने राशिद के केस को स्टडी किया। लाकडाउन जब शुरू हुआ तो निजी क्षेत्र में नौकरियां घटने की खबरों ने उसके मन पर नकारात्मक असर किया। वह तनाव सह नहीं पाया और कुछ दोस्तों के साथ हेरोइन लेने लगा। इस समय वह हमारे पास उपचाराधीन है।

नौहट्टा का लतीफ अहमद (बदला नाम) श्रीनगर के दस्तकारी के शोरूम में सेल्समैन था। मार्च 2020 के बाद से शोरूम मात्र तीन से चार माह खुला। अधिकांश कॢमयों की छुट्टी कर थी। लतीफ समेत तीन सेल्समैन बचे हुए थे। बीते अप्रैल में दोबारा लाकडाउन शुरू हो गया। वेतन बंद, नौकरी जाने का खतरा। तनाव हावी होने लगा। इससे बचने के लिए उसने नशे का सहारा लिया। उसके स्वजन ने उसे डाक्टरों तक पहुंचाया। अब उसकी हालत कुछ बेहतर है।

पहले छोड़ा फिर जकड़ में आए : इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस के डाटा का अगर अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि वादी में नशा करने वालों की तादाद लगातार बढ़ा रहा है। संस्थान में एक साल में 3538 नशा पीडि़तों को भर्ती किया गया है। इनमें कुछ अवसाद से पीडि़त हैं तो कई को हेपेटाइटिस सी ने जकड़ रखा है। एक साल में ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में से 12 फीसद वे नशा पीडि़त हैं, जिन्होंने पहली बार नशा किया। हालत बिगडऩे पर अस्पताल पहुंचे। 24 फीसद वह मरीज हैं जिन्होंने नशे से किनारा कर लिया था, लेकिन गत एक साल के दौरान फिर से इसकी चपेट में आ गए। डा. यासिर राथर ने कहा कि लाकडाउन से लोगों की पूरी दिनचर्या, आजीविका प्रभावित हुई है। अकेलापन बढ़ा है। पारिवारिक कलह बढ़ी है। नौकरियां जा रही हैं। लोगों की आॢथक स्थिति बिगड़ रही है। ऐसे हालात में कई लोग नशे में सुकून तलाश रहे हैं। कश्मीर में नशीले पदार्थ आसानी से मिल रहे हैं।

कइयों की नशे के ओवरडोज से हो चुकी मौत : यूथ डेवलपमेंट एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के निदेशक व क्लिनिकल सायकालोजिस्ट डा. मुजफ्फर खान ने कहा कि जब लाकडाउन शुरू हुआ तो हमने समझा कि इससे नशेड़ियों में कमी आएगी। नशीले पदार्थाें का कारोबार रुकेगा। हुआ ठीक इसके विपरीत। नशेडिय़ों की संख्या क साथ साथ इससे छुटकारा पाने के इच्छुकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ लोगों की नशे की ओवरडोज से भी मृत्यु हुई है।

पुलिस का अभियान जारी : पुलिस महानिरीक्षक (आइजीपी) कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि पूरी वादी में पुलिस ने नशीले पदार्थाें के कारोबारियों को खिलाफ अभियान चला रखा है। रोजाना सात से आठ नशा कारोबारियों को पकड़ा जा रहा है, भारी मात्रा में नशीले पदार्थ बरामद किए जा रहे हैं। भांग और अफीम की खेती को तबाह किया जा रहा। लाकडाउन में हमने अपना यह अभियान जारी रखा हुआ है। 


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