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शाह फैसल ने जेकेपीएम प्रधान पद से दिया इस्तीफा, फिर से प्रशासन में आने की उम्मीदें बढ़ी

पार्टी प्रधान के पद्भार से मुक्त होते ही शाह फैसल ने अपने ट्वीटर हैंडल से अपना पॉलिटिकल बॉयो भी हटा दिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 04:24 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 04:57 PM (IST)
शाह फैसल ने जेकेपीएम प्रधान पद से दिया इस्तीफा, फिर से प्रशासन में आने की उम्मीदें बढ़ी
शाह फैसल ने जेकेपीएम प्रधान पद से दिया इस्तीफा, फिर से प्रशासन में आने की उम्मीदें बढ़ी

श्रीनगर, जेएनएन। नौकरशाही छोड़ जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपना कैरियर तलाशने गए डॉ शाह फैसल के फिर से प्रशासन में आने की अटकलें एक बार फिर तेज हो गई हैं। डॉ शाह फैसल ने अपने हाथों से बनाई राजनीतिक पार्टी जेएंडके पीपुल्स मूवमेंट से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी प्रधान की जिम्मेदारी छोड़ते हुए पार्टी नेताओं को यह सूचित किया है कि वह मौजूदा हालात में राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखने की स्थिति में नहीं है। इसीलिए वह संगठन की राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते हैं।

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डॉ. शाह फैसला के इस आग्रह के बाद आज सोमवार को जेकेपीएम की राज्य कार्यकारिणी की एक ऑनलाइन बैठक बुलाई गई जिसमें डॉ शाह फैसल के इस आग्रह और मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा हुई। पार्टी नेताओं ने डॉ फैसल के इस अनुरोध को ध्यान में रखते हुए उसे स्वीकार करने का निर्णय लिया। यही नहीं पार्टी का नया प्रधान चुने जाने तक सभी ने सर्वसम्मति से उपप्रधान फिरोज पीरजादा को नया प्रधान घोषित किया। पार्टी प्रधान के पद्भार से मुक्त होते ही शाह फैसल ने अपने ट्वीटर हैंडल से अपना पॉलिटिकल बॉयो भी हटा दिया है।

आपको जानकारी हो कि यह क्यास उसी दिन से लगना शुरू हो गए थे जब वर्ष 2014 में सरकारी नौकरी से स्वच्छिक इस्तीफा देकर पीडीपी की सियासत में सक्रिय हुए पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के भतीजे और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के चचेरे भाई आइएफएस अधिकारी सज्जाद हुसैन मुफ्ती को दो साल बाद फिर से नौकरी पर बहाल कर दिया गया।

दरअसल प्रशासन ने मुफ्ती के इस्तीफा पर इन दो सालों में कोई फैसला नहीं लिया था। वर्ष 2009 में यूपीएससी की परीक्षा में टॉप करने वाले डॉ शाह फैसल का मामला भी कुछ ऐसा ही है। डॉ. फैसल ने जनवरी 2019 में कश्मीरियों की हत्या का आरोप केंद सरकार पर लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दो माह बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नामक एक संगठन तैयार किया। संगठन बनाने के बाद उन्होंने टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद के साथ चुनाव गठजाेड़ भी किया परंतु खुद चुनाव नहीं लड़ा। इन सब गतिविधियों के बावजूद आज तक डॉ शाह फैसल का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है।

अब जबकि डॉ. फैसल ने राजनीति से नाता तोड़ दिया है तो यह संभावनाएं और भी बढ़ गई हैं कि वह प्रशासन में वापस आ सकते हैं। केंद्र सरकार उन्हें भी मौका दे सकती है। आपको जानकारी हो कि गत पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनगर्ठन अधिनियम लागू किए जाने के बाद 14 अगस्त 2019 को उन्हें दिल्ली स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पकड़ा गया था। उस समय उन्होंने दावा किया था कि वह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे थे जबकि सुरक्षा एजेंसियों का दावा था कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने जा रहे थे। इसके बाद उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया। गत माह ही वह रिहा हुए हैं। फिलहाल, वह अपने घर में नजरबंद हैं।

जेकेपीएम के वरिष्ठ नेताओं की आज हुई ऑनलाइन बैठक में डॉ. शाह फैसल द्वारा उन्हें संगठनात्मक जिम्मेदारियों से अलग करने के अनुरोध पर चर्चा की गई। कार्यकारी सदस्यों ने उनके इस अनुरोध को स्वीकारने का निर्णय लेते हुए कहा कि मौजूदा हालात में वह राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखने की स्थिति में नहीं हैं। यह भी फैसला लिया गया कि जब तक प्रधान पद के औपचारिक चुनाव नहीं हो जाते आंतरिक रूप से पार्टी के निर्णय वर्तमान उपप्रधान फिरोज पीरजादा की प्रधान पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके अलावा कमेटी ने पार्टी के चेयरमैन जावेद मुस्तफा मीर का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया है। मीर भी 5 अगस्त 2019 से घर में नजरबंद हैं।


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