Kashmir: सरकारी सेवा में फिर बहाल हो सकते हैं डॉ फैसल, अभी तक सरकार ने इस्तीफा नहीं किया है मंजूर
IFS सज्जाद हुसैन नेवर्ष 2014 के दौरान सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था। करीब दो साल पहले उन्होंने गुपचुप दोबारा ड्यूटी पर रिपोर्ट कर दिया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: नौकरशाही छोड़ सियासत में अपना कैरियर तलाशने गए डाॅ शाह फैसल का इस्तीफा आज तक मंजूर नहीं हुआ है। क्यास लगाया जा रहा है कि शाह फैसल इस्तीफा वापस ले सकते हैं। केंद्र सरकार भी उन्हें मौका दे सकती है। उनके सरकारी सेवा में लौटने की अटकलों को बीते दिनों भारतीय वन सेवा के अधिकारी मुफ्ती सज्जाद हुसैन की सेवा बहाली से भी बल मिला है।
सज्जाद हुसैन मुफ्ती पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के भतीजे और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के चचेरे भाई हैं। उन्होंने वर्ष 2014 के दौरान सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद वह पीडीपी की सियासत में सक्रिय गए। करीब दो साल पहले उन्होंने गुपचुप दोबारा ड्यूटी पर रिपोर्ट कर दिया था। वर्ष 2009 में यूपीएससी की परीक्षा में टाॅप कर सुर्खियों में आने वाले डाॅ शाह फैसल ने करीब तीन साल पहले सियासत में शामिल होने का संकेत देना शुरु कर दिया था।
उन्होंने सोशल मीडिया पर कई भड़काऊ ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर कश्मीर व मुस्लिम विरोधी होने के आरोप भी लगाए। अपने एक ट्वीट में उन्होंने आरोप लगाया था कि हिंदुवादी ताकतों ने करीब 20 करोड़ मुस्लिमों को दूसरी श्रेणी का नागरिक बना दिया है। जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट पहचान पर आघात किए जा रहे हैं। जुलाई 2018 में शाह फैसल की भड़ाकाऊ बयानबाजी को लेकर डीओपीटी ने भी जांच शुरु की थी।
इस बीच जनवरी 2019 में उन्होंने कश्मीरियों की हत्या का आरोप लगाते हुए अपने इस्तीफे का एलान कर दिया। इसके दो माह बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नामक एक संगठन भी तैयार किया। इसके बाद उन्होंने टेरर फंडिंग के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद के साथ चुनाव गठजोड़ भी किया, लेकिन खुद चुनाव नहीं लड़ा। पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनगर्ठन अधिनियम लागू किए जाने के बाद 14 अगस्त 2019 को उन्हें दिल्ली स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पकड़ा गया था। उस समय उन्होंने दावा किया था कि वह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे थे जबकि सुरक्षा एजेंसियों का दावा था कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने जा रहे थे। इसके बाद उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया। गत माह ही वह रिहा हुए हैं। फिलहाल, वह अपने घर में नजरबंद हैं।
डाॅ शाह फैसल के पिता को आतंकियों ने कत्ल किया था। आतंकियों को मासूम बताकर और कश्मीर के लिए अलग निशान-अलग विधान व अलगाववाद की नींव पर अपना सियासी करियर बनाने का प्रयास करने वाले शाह फैसल फिलहाल पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। संबधित सूत्रों के मुताबिक, शाह फैसल का इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। इस मामले पर केंद्र सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है। इस सिलसिल में जब शाह फैसल से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो पाए। अलबत्ता, उनके करीबियों के मुताबिक शाह फैसल अब अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंंगे बल्कि कश्मीरियों के मुद्दों के समाधान के लिए सियासत व समाज से नाता जोड़े रहेंगे।