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पीएम की सर्वदलीय बैठक का जमीनी सतह पर कोई नतीजा नहीं : फारूक

फारूक अब्दुल्ला ने 24 जून की सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री का जम्मू कश्मीर के लोगों का दिल जीतने के लिए दिल की दूरी व दिल्ली की दूरी के बयान का जिक्र करते कहा कि यह एक स्वागत योग्य बयान था

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 09:25 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 09:26 PM (IST)
पीएम की सर्वदलीय बैठक का जमीनी सतह पर कोई नतीजा नहीं : फारूक
डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जमीनी सतह पर कोई नतीजा नजर नहीं आ रहा है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के एक महीने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जमीनी सतह पर कोई नतीजा नजर नहीं आ रहा है। फारूक अब्दुल्ला ने 24 जून की सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री का जम्मू कश्मीर के लोगों का दिल जीतने के लिए दिल की दूरी व दिल्ली की दूरी के बयान का जिक्र करते कहा कि यह एक स्वागत योग्य बयान था, लेकिन लोगों का दिल जीतने के लिए जमीनी सतह पर कुछ नहीं किया गया। 

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दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के दवसर में आयोजित पार्टी के कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोगों को अभी भी बंद रखा गया है। हम जमीनी सतह पर बदलाव चाहते हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को अचानक से हटा दिया गया। हम विश्वास बहाली चाहते हैं। फारूक ने कहा कि कश्मीर में विश्वास की कमी है। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी ने वायदे किए तो विश्वास बहाल किया। उन्होंने कहा कि नेकां ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया, क्योंकि प्रधानमंत्री ने बुलाया था, लेकिन कोई उम्मीद नहीं थी।

डा. फारूक ने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाए और उसके बाद ही चुनाव करवाए जाएं। राज्य का दर्जा बहाल किए बिना चुनाव कराने पर उसमें नेकां के भाग लेने संबंधी सवाल पर फारूक ने कहा कि जब चुनाव का बिगुल बजेगा तो उस समय हम फैसला करेंगे। हम मिल बैठकर फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि गुपकार डिक्लरेशन एकजुट है। यह गठबंधन उस समय जल्दबाजी में बनाया था, जब अनुच्छेद 370 को हटाया जा रहा था।

पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति के लिए करते रहेंगे संघर्ष : फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमें पता है कि इस सरकार के रहते हुए पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल नहीं होगी, लेकिन हम कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करते रहेंगे। परिसीमन आयोग के दौरे के दौरान संसद सदस्याें को नहीं बुलाया गया, हालांकि वे एसोसिएट सदस्य थे। भारत की विडंबना यह है कि विपक्ष बिखरा हुआ है। जब तक विपक्ष लोकतंत्र की बहाली के लिए एकजुट नहीं होगा, तब तक हम लोकतांत्रिक ढांचे को वापस नहीं ला सकते। लोकतंत्र की मजबूती के लिए हमारी पार्टी हर समय विपक्ष के साथ है। अब कोरोना से हालात सामान्य हो रहे हैं। अब बड़े पैमाने पर राजनीतिक गतिविधियां होगी।


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