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फारूक बोले वाटर कैनन या टीयर गैस का इस्तेमाल होता तो बच सकते थे लोग

पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने पुलवामा में गत दिनों नागिरकों की मौतों पर कहा कि सेना गोली की जगह वाटर कैनन या टीयर गैस का इस्तेमाल कर सकती थी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 10:37 AM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 10:37 AM (IST)
फारूक बोले वाटर कैनन या टीयर गैस का इस्तेमाल होता तो बच सकते थे लोग
फारूक बोले वाटर कैनन या टीयर गैस का इस्तेमाल होता तो बच सकते थे लोग

जम्मू, राज्य ब्यूरो। नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान ओर पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने पुलवामा में गत दिनों नागिरकों की मौतों पर कहा कि सेना गोली की जगह वाटर कैनन या टीयर गैस का इस्तेमाल कर सकती थी। इसमें बेगुनाह लोग मारे गए। इंसान चला जाता है वापिस नहीं आता लेकिन दिलों में दाग पड़ जाता है। इससे लोगों में आजादी की जनून बढ़ जाता है।

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श्रीनगर में गुपकार रोड़ स्थित अपने निवास पर पीडीपी से निष्काषित किए पूर्व मंत्री बशारत बुखारी और पीर मोहम्मद हुसैन का नेशनल कांफ्रेंस में स्वागत करते हुए फारूक ने कहा कि इन नेताओं के पार्टी में शामिल होने से पार्टी मजबूत होगी। जो भी नेक कदम होता है, हम उसका स्वागत करते है। रियासत इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। पुलवामा में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सेना और पुलिस फिर ऐसी कार्रवाई नहीं करेगी। हम चाहते है कि केंद्र सरकार और राज्यपाल भी ऐसा सुनिश्चित बनाए कि ऐसी कार्रवाई न हो। हम लोग इंसान है। इंसान से गलतियां हो जाती है। गलतियों से इंसान सीखता है।

फारूक ने कहा कि देश में जो हुकुमत बने, वो इंसानियत को आगे लेकर जाए। रियासत के मसलों का समाधान बातचीत से ही संभव है। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने और राज्यपाल की तरफ कुछ बड़े फैसले लिए जाने संबंधी पूछे गए प्रश्न के जवाब में फारूक ने कहा ि राष्ट्रपति शासन तानशाही शासन होता है। इसमें राज्यपाल को हर के तरह के अधिकार होते है। यह लोकतंत्र शासन नहीं होता है। मुझे नहीं पता कि राज्यपाल कैसे आदेश केंद्र को रेफर कर रहे है लेकिन हम चाहते है कि राज्यपाल कोई एेसा कदम न उठाए जो लोकतंत्र को धक्का देता हो। हम चुनाव चाहते है। लोगों का फैसला हो कि वे किसे चुनते है। क्या नेकां भाजपा के साथ सरकार बनाएगी, के प्रश्न के जवाब में फारूक ने कहा कि इसका फैसला चुनावी नतीजों के बाद ही होता है। 


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