J&K: डॉक्टरों को पीजी करने से पहले लेनी होगी एचओडी से इजाजत, नहीं तो होगी कार्रवाई
अगर कोई डॉक्टर अपने स्तर पर चयन प्रक्रिया में भाग लेता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
जम्मू, रोहित जंडियाल। डॅक्टरों की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा के लिए सरकारी नौकरी कर रहे डॉक्टरों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत डॉक्टरों को आवेदन भरने से पहले अपने विभागाध्यक्ष की इजाजत लेनी होगी। अगर कोई डॉक्टर अपने स्तर पर ही आवेदन दाखिल करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए डॉक्टरों की कमी पर चिंता जाहिर की थी। इसमें दूरदराज के क्षेत्रों में रिक्त पड़े पदों को लेकर कहा गया था कि इन क्षेत्रों में डॉक्टर न होने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
इसका एक कारण बड़ी संख्या में चयनित डॉक्टरों का पोस्ट ग्रेजुएशन करना या फिर मेडिकल कॉलेजों में रजिस्ट्रारशिप, डिमांस्ट्रेटर होना था। इसके बाद सरकार ने नई नीति बनाई, जिसमें कहा गया कि चयनित होने वाले डॉक्टर या उच्च शिक्षा हासिल करें या फिर नौकरी करें। दो में से एक ही काम करने की उन्हें इजाजत होगी। अब पहले से सरकारी नौकरी कर रहे डॉक्टरों के लिए भी नए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत अगर कोई भी डॉक्टर नीट के माध्यम से पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहता है या फिर वह रजिस्ट्रारशिप करना चाहता हो उसे न्यूनतम तीन साल की नौकरी करनी होगी। उसे अपना प्रोबेशन पीरियड पूरा करना होगा।
डाक्टर के जाने से मरीजों को नहीं होनी चाहिए परेशानी: डिमांस्ट्रेटर, पीजी डिग्री और डिप्लोमा करने के लिए भी यही नियम होंगे। यही नहीं अगर किसी योग्य डॉक्टर को इस कोर्स के लिए वे भेजना भी चाहते हैं तो एचओडी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उक्त अस्पताल में पद खाली न रहे और मरीजों को कोई परेशानी हो। अंतरिम प्रबंध करना होगा। संबंधित योग्य डॉक्टर को एचओडी के माध्यम से ही अपना केस आगे भेजना होगा। उसे अपनी सर्विस के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी। एचओडी को यह प्रमाणपत्र देना होगा कि डॉक्टर सेवा के दौरान अनुशासन में रहा और उसने अपना फर्ज सही तरीके से निभाया। अगर कोई डॉक्टर अपने स्तर पर चयन प्रक्रिया में भाग लेता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अटल ढुल्लु ने यह दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि इसका मकसद मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना है।
173 पीजी की सीटें: मेडिकल कालेज जम्मू में ही इस समय पोस्ट ग्रेजुएशन की 173 सीटें हैं। इसी तरह मेडिकल कालेज श्रीनगर में पीजी की 171 सीटें हैं। इनमें बड़ी संख्या में वे भी शामिल होते हैं जिनका हाल ही में मेडिकल आफिसर के पद पर चयन हुआ हो। अब नए निर्देशों के तहत कई पीजी नहीं कर पाएंगे। इस सत्र से दो के स्थान पर छह मेडिकल कालेजों में रजिस्ट्रारशिप करेंगे डाक्टर। जीएमसी जम्मू और श्रीनगर के अलावा कठुआ, राजौरी, बारामुला और अनतंनाग मेडिकल कालेज इसी सत्र से खुल रहे हैं।
सैकड़ों डॉक्टरों ने छोड़ी नौकरी, समस्या बरकरार: राज्यपाल के निर्देशों के बाद स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 921 डॉक्टरों का चयन किया था। एसआरओ 202 के तहत नियुक्त हुए इन डॉक्टरों के समक्ष भी यह शर्त थी कि वे पांच साल तक उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर सकते। चयनित कई डॉक्टरों ने नौकरी ही ज्वाइन नहीं की थी। सैकड़ों ने नौकरी ज्वाइन करने के बाद नौकरी छोड़ दी थी। इस कारण विभाग में डॉक्टरों की जो कमी बनी हुई थी, वह अभी भी बरकरार है। नए दिशा निर्देंशों में इस कमी को दूर करने का प्रावधान रखा गया है।
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