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Doctors Day 2022 : दबाव भी झेलते हैं और गुस्सा भी...फिर भी डटे रहते हैं डाक्टर

अब बाबा अमरनाथ की यात्रा में किसी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो इसके लिए लखनपुर से लेकर भवन तक डाक्टर तैनात हैं। इस दुर्गम और पहाड़ी यात्रा में कई चुनौतियां होने के बावजूद डाक्टर डयूटी पर हैं। जम्मू संभाग से 19 डाक्टर यात्रा मार्ग पर डयूटी दे रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 12:07 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 12:07 PM (IST)
Doctors Day 2022 : दबाव भी झेलते हैं और गुस्सा भी...फिर भी डटे रहते हैं डाक्टर
कोविड के समय में कई चुनौतियों के बावजूद हमने हजारों मरीजों का इलाज किया।

जम्मू, रोहित जंडियाल : जम्मू संभाग के सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों के तीस से चालीस प्रतिशत पद खाली होने के बावजूद डाक्टर पिछले कई वर्ष से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि दूरदराज के क्षेत्रों में अभी भी डाक्टरों की कमी बनी हुई है लेकिन पहले कोविड संक्रमण और अब बाबा अमरनाथ की यात्रा में डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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जम्मू-कश्मीर में अभी तक स्टेट मेडिकल काउंसिल के साथ 18 हजार के करीब डाक्टरों ने अपना पंजीकरण करवाया है। यह डाक्टर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में सेवाएं देने के साथ-साथ देश व विदेश में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार मेडिकल कालेज जम्मू में चालीस प्रतिशत फैकल्टी के पद खाली हैं। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 70 प्रतिशत पद खाली हैं। मेडिकल कालेज में फैकल्टी सदस्यों को एमबीबीएस के विद्यार्थियों को पढ़ाने के अलावा इमरजेंसी, ओपीडी और वाडों में भी मरीजों की जांच करनी पड़ती है।

कोविड के समय में यह अकेला अस्पताल था जहां पर एक समय में कोविड के 900 से अधिक मरीज भर्ती थे। पूरे जम्मू संभाग का बोझ इस अस्पताल पर था लेकिन डाक्टरों ने मरीजों व तीमारदारों के गुस्से के बीच इलाज किया और जम्मू को इस संक्रमण से बाहर निकाला। प्रिंसिपल जीएमसी जम्मू डा. शशि सूदन का कहना है कि डाक्टरों के लिए मरीज की जिंदगी ही प्राथमिकता पर होती है। कोविड के समय में कई चुनौतियों के बावजूद हमने हजारों मरीजों का इलाज किया। किसी से कोई शिकायत नहीं है।

वहीं अब बाबा अमरनाथ की यात्रा में किसी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो, इसके लिए लखनपुर से लेकर भवन तक डाक्टर तैनात हैं। इस दुर्गम और पहाड़ी यात्रा में कई चुनौतियां होने के बावजूद डाक्टर डयूटी पर डट गए हैं। जम्मू संभाग से 19 डाक्टर यात्रा मार्ग पर डयूटी दे रहे हैं। यह पूरी यात्रा के दौरान तैनात रहेंगे। यही नहीं डाक्टरों को पिछले दो साल में महीनों लगातार डयूटी देने के लिए भी आना पड़ा है। एक बार फिर से बाबा अमरनाथ की यात्रा को देख उनकी छुट्टियों को रद कर दिया गया है।

कोविड को संभालने में निभाई भूमिका : स्टेट मेडिकल काउंसिल के सदस्य डा. राजेश्वर शर्मा जम्मू के दोमाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। दो साल पहले जब कोविड संक्रमण फैला तो वह सीडी अस्पताल जम्मू के मेडिकल सुपरिटेंडेंट थे। इसी अस्पताल को नोडल अस्पताल बनाया गया था जहां पर सभी मरीजों की प्राथमिक जांच के बाद उन्हें अन्य अस्पतालों में भेजा जाता था। इस बड़ी चुनौती को सफलता से निभाने के लिए उन्होंने तीनों लहरों में एक भी छुट्टी नहीं ली और लगातार डयूटी पर आते रहे। इस दौरान वह स्वयं भी संक्रमित हुए लेकिन परवाह नहीं की। वह पूरे जम्मू संभाग का दबाव होने के बावजूद अपने मधुर स्वभाव के लिए मरीजों व तीमारदारों में लोकप्रिय रहे। सरकार ने उनकी इसी सेवा को देख उन्हें स्टेट अवार्ड के अलावा कोविड संक्रमण के बेहतर प्रबंधन के लिए भी पुरस्कार दिया।

मरीजों में नहीं होने दी आक्सीजन की कमी : कोविड की पहली लहर में जब मेडिकल कालेज जम्मू में आक्सीजन की शिकायतें होने लगी तो स्वास्थ्य विभाग ने डा. हरजीत राय को नेशनल हेल्थ मिशन से जीएमसी जम्मू भेजा। उन्हें सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट के पद पर नियुक्त करने के अलावा आक्सीजन सप्लाई के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया। डा. हरजीत इसके बाद घंटों जीएमसी जम्मू में रहते और उन्होंने आक्सीजन प्लांट स्थापित करवाने में अहम भूमिका निभाने के अलावा सभी सहायक अस्पतालों में बेहतर समन्वय भी स्थापित किया। यही कारण था जब पूरे देश में आक्सीजन के लिए हाहाकर मचा था, जम्मू में आक्सीजन की कमी नहीं हुई। डा. हरजीत राय को उनकी इस उत्कृष्ट सेवा के लिए सरकार ने सम्मानित भी किया।

मरीजों की करते हैं मदद : जम्मू के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कार्डियालोजी विभाग के एचओडी डा. सुशील शर्मा उन चुनिंदा डाक्टरों में शामिल हैं जो निजी प्रेक्टिस नहीं करते हैं। कोविड के दौरान भी उन्होंने किसी मरीज को कोई परेशानी नहीं आने दी। पूरे विभाग को चौबीस घंटे चलाते रहे। वह जम्मू के इकलौते सरकारी डाक्टर हैं जो कि अपनी डयूटी देने के बाद हर रविवार को दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप आयोजित कर मरीजों को निशुल्क सेवाएं दे रहे हैं। उनका कहना है कि कैंप से मरीजों के स्वास्थ्य की जांच के अलावा उनमें रोगों के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है। मूलत वह पुंछ जिले के रहने वाले हैं। अपने व्यवहार और मरीजों की सेवा के लिए वे पूरे प्रदेश में लोकप्रिय हैं।


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