Kashmiri Pandit: विस्थापित कश्मीरी पंडितों का धरना 139 दिन में प्रवेश, सुनवाई न होने से हैं खफा
1989 में कश्मीर से विस्थापित होकर कश्मीरी पंडित जम्मू व ऊधमपुर के विस्थापित शिविरों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर है। छोटी सी रकम से इस परिवार को गुजारा नही हो सकता। सरकार का काम है कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों का जीवन सुधारना लेकिन सुविधाएं तक नही दी जा रही।
जम्मू, जागरण संवददाता: विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए मासिक राहत में बढ़ोतरी की मांग को लेकर जगटी में चल रहा आंदोलन 139 वे दिन में प्रवेश कर गया है। लंबे संघर्ष के बाद भी मांगे नहीं मानी जानी जाने के कारण विस्थापित कश्मीरी पंडित खफा है।
बुधवार को भी इन विस्थापितों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही। ऐसे में कश्मीरी पंडित अब अपने आंदोलन को गति देने जा रहे हैं। जम्मू में राज्यपाल भवन के बाहर धरना देने, राष्ट्रीय राजमार्ग रोकने की तैयारी के बारे में जगटी टेनिमेंट कमेटी के सदस्य योजना बना रेह हैं।
प्रधान शादी लाल पंडिता का कहना है कि हमारी इतनी सी मांग है कि विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार की मासिक राहत राशि 13 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये की जाए। लेकिन केंद्र सरकार इस पर कोई विचार करने को राजी नही।
मुझे बताया जाए कि विस्थापित कश्मीरी पंडित इस महंगाई के दौर में कैसे अपना गुजारा कर सकेंगे। इसलिए हम लोग धरने प्रदर्शन पर उतरे हुए हैं लेकिन हमारी मांगों को गंभीरता से नही लिया जा रहा। 1989 में कश्मीर से विस्थापित होकर कश्मीरी पंडित जम्मू व ऊधमपुर के विस्थापित शिविरों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर है। छोटी सी रकम से इस परिवार को गुजारा नहीं हो सकता। सरकार का काम है कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों का जीवन सुधारना लेकिन यहां तो मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दी जा रही।
आरके टिक्कू ने कहा कि अगर सरकार इन विस्थापित परिवारों का जीवन सुधारना चाहती है तो हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे दी जाए। यह लोग बेहतर हो जाएंगे और अपना व अपने परिवार का बेहतरी से पालन पोषण कर सकेंगे। इसलिए सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडित के हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में ले।