Kashmiri Pandits : बिजली का किराया वसूलने की मंशा से खफा हैं विस्थापित कश्मीरी पंडित
पिछले दिनों राहत आयुक्त शरणार्थी ने मीडिया में यह कहा था कि सरकारी आदेश है कि अब शरणार्थियों को बिजली का किराया देना पड़ेगा। इसको लेकर इस विस्थापित कश्मीरी पंडितों के खेमे में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: नगरोटा के जगटी माईग्रांट कैंप में रहने वाले विस्थापित कश्मीरी पंडितों से बिजली का किराया वसूलने की सरकार की मंशा को लेकर शरणार्थी लोगों में रोष पनपने लगा है। कश्मीरी विस्थापित पंडितों ने कहा कि अगर इस तरह की योजना बनाती है तो सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी ।
विस्थापित लोग सरकार से ही राशन लेकर सरकार के दिए क्वार्टर में ही गुजर बसर कर रहे हैं। ऐसे में वे बिजली किराया कहां से देंगे। पिछले दिनों राहत आयुक्त शरणार्थी ने मीडिया में यह कहा था कि सरकारी आदेश है कि अब शरणार्थियों को बिजली का किराया देना पड़ेगा। इसको लेकर इस विस्थापित कश्मीरी पंडितों के खेमे में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। जगटी में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के 4224 क्वार्टर हैं जहां 20 हजार विस्थापित कश्मीरी रह रहा है।
2011 में भी सरकार ने विस्थापितों से बिजली का किराया बसूलने की मंसूबा बनाया था मगर कश्मीरी पंडित विरोध पर उतर आए थे। इसके उपरांत प्रशासन को कदम पीछे खींचने पड़े थे। पूरे मामले को लेकर जगटी टेनेमेंट कमेटी की एक बैठक भी हुई जिसमें इस मामले पर चर्चा की गई।
कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता का कहना है कि कश्मीरी पंडित आज शरणार्थी कर्वाटरों में रहने को मजबूर हैं क्योंकि वे अपने घरों से उजड़े हुए हैं। सरकार आज तक इन कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास नहर कर पाई। यही कारण है कि यह लोग सरकार के दिए क्वार्टरों में रहने को मजबूर हैं। सरकार से मिले राशन से ही यह लोग गुजारा करते हैं।
फिर बिजली का किराया कहां से देंगे। पहले कश्मीरी विस्थापितों का पुनर्वास किया जाए, फिर इनसे बिजली का किराया लिया जाना चाहिए। आर के टिक्कू ने मौके पर कहा कि सराकर विस्थापित कश्मीरी पंडितों की राहत राशि बढ़ाने की दिशा में कोई काम नही कर रही, उल्टे विस्थापित लोगों पर खर्च बढ़ाने की मंशा बना रही है, जिसे सफल नही होने दिया जाएगा।