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Kashmiri Pandits : विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने केंद्र सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

टिक्कू ने कहा कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरियों में लगे कश्मीरी पंडित युवाओं के लिए सरकार नए नए फरमान जारी कर रही है। अब नया फरमान यह निकाला है कि पैकेज के तहत नौकरी पर लगने वाले कश्मीरी पंडितों को दो साल मूल वेतन पर ही काम करना पड़ेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 02:56 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 02:56 PM (IST)
Kashmiri Pandits : विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने केंद्र सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन
कश्मीरी पंडित समुदाय बड़े तौर पर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा।

जम्मू, जागरण संवाददाता: मासिक राहत में बढ़ोतरी की मांग कर रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आंदोलन 291 वे दिन में प्रवेश कर गया है। सोमवार को यह विस्थापित जगटी के नगरोटा में एकत्र हुए और केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

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इन कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझ कर मूक बनी हुई है क्योंकि विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए यह सरकार गंभीर नही। प्रदर्शन जगटी टेनिमेंट कमेटी व सोन कश्मीर के बैनर तले किया गया। इन कश्मीरी पंडितों ने कहा कि हम अपना हक मांग रहे हैं। 1989 में कश्मीर में जो हालात उपजे, के कारण उनको विस्थापित होना पड़ा।

उनकी सारी संपति , मकान सब घाटी में छूट गया। लेकिन आज हालत यह है कि यह विस्थापित कश्मीरी पंडित अपनी गुजर बसर तक नही कर पा रहा। कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा कि वर्तमान समय में सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार को 13 हजार रुपये की नकद मासिक राहत देती है। लेकिन इससे परिवार का गुजारा नही हो सकता।

हम मांग कर रहे हैं कि प्रति परिवार कम से कम 25 हजार रुपये तो मिलने चाहिए। मगर सरकार को हमारी मांगों से कोई लेना देना नही है। इसलिए हमारा धरना प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक कि इस सरकार की आंखें नही खुल जाती।

वहीं राज कुमार टिक्कू ने कहा कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरियों में लगे कश्मीरी पंडित युवाओं के लिए सरकार नए नए फरमान जारी कर रही है। अब नया फरमान यह निकाला है कि पैकेज के तहत नौकरी पर लगने वाले कश्मीरी पंडितों को दो साल मूल वेतन पर ही काम करना पड़ेगा।

टिक्कू ने कहा कि तरह के फरमान बेईमानी है। इसे कश्मीरी पंडित समुदाय कभी भी सहन नही करेगा। अगर जल्दी ही सरकार ने इस तरह के फरमान वापिस नही लिए तो कश्मीरी पंडित समुदाय बड़े तौर पर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा। 


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