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Jammu : राहत राशि बढ़ाने व हर घर में एक सरकारी नौकरी की मांग पर विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने किया प्रदर्शन

उनकी सिर्फ इतनी मांग है कि सरकार राहत राशि को 13 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये करें और हर विस्थापित परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे। पंडिता ने कहा कि चार सदस्यों के परिवार को महीने भर के लिए मात्र 13 हजार रुपये दिए जाते है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 01:42 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 01:42 PM (IST)
Jammu : राहत राशि बढ़ाने व हर घर में एक सरकारी नौकरी की मांग पर विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने किया प्रदर्शन
शादी लाल पंडिता ने कहा कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत विस्थापित कश्मीरी पंडितों को रोजगार दिया गया है।

 जम्मू, जागरण संवाददाता : मासिक राहत राशि बढ़ाने तथा हर विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग को लेकर 400 से अधिक दिनों से नगरोटा के जगटी विस्थापित कालोनी में धरने पर बैठे कश्मीरी पंडितों ने वीरवार को शहर के प्रदर्शनी मैदान में प्रदर्शन किया। जगटी टेनमेंट कमेटी व सोन कश्मीर फ्रंट जेएंडके के बैनर तले एकत्रित हुए इन विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए केंद्र सरकार से अपील की कि आगामी लोकसभा सत्र में उनकी जायज मांगों को पूरा करने की घोषणा की जाए।

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जगटी टेनमेंट कमेटी व सोन कश्मीर फ्रंट जेएंडके के प्रधान शादी लाल पंडिता ने इस मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि वह पिछले एक साल से अधिक समय से जगटी में धरने व क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे है। उनकी सिर्फ इतनी मांग है कि सरकार उनकी मासिक राहत राशि को 13 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये करें और हर विस्थापित परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे। पंडिता ने कहा कि चार सदस्यों के परिवार को महीने भर के लिए मात्र 13 हजार रुपये दिए जाते है। आज महंगाई के इस दौर में 13 हजार रुपये में परिवार का पोषण कर पाना काफी मुश्किल हो गया है, लिहाजा उनकी मांग है कि इसे कम से कम 25 हजार किया जाए ताकि विस्थापित कश्मीरी पंडित अपने बच्चों का पेट पाल सके।

सरकारी नौकरी की मांग करते हुए शादी लाल पंडिता ने कहा कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत विस्थापित कश्मीरी पंडितों को रोजगार दिया गया है। कई परिवारों के एक से ज्यादा सदस्यों को भी इस पैकेज के तहत सरकारी नौकरी मिली है लेकिन कई परिवार ऐसे हैं जिनके किसी सदस्य को इस पैकेज के तहत नौकरी नहीं मिली। ऐसे में उनकी मांग है कि हर विस्थापित परिवार के कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।


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