Jammu Kashmir: डीआइजी अमित कुमार आठ माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे, राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र देकर उनकी बहादुरी को किया सलाम
शहीद अब्दुल रशीद कलास की पत्नी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द से कीर्ति चक्र प्राप्त किया। डीआइजी अमित कुमार जो इस मुठभेड़ में जख्मी होने के बाद लगभग आठ माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे के सीने पर राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र लगाकर बहादुरी को सलाम किया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रपति भवन में उस समय पूरा माहौल पूरी तरह संजीदा हो गया, जब अपने शहीद पुत्र एसपीओ बिलाल अहमद का नाम पुकारे जाने पर सारा बेगम रो पड़ीं। शहीद की मां को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने खुद आगे बढ़कर उसे उसके वीर पुत्र के सम्मान में शौर्य चक्र प्रदान किया। मंगलवार को राष्ट्रपति ने जम्मू कश्मीर पुलिस के डीआइजी अमित कुमार समेत चार पुलिस कर्मियों को शौर्य चक्र प्रदान किया है। इंस्पेक्टर अरशद खान, एसपीओ बिलाल अहमद मागरे और कांस्टेबल गुलाम मुस्तफा बराह को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया गया है। इनके अलावा पुलवामा आतंकी हमले के सूत्रधारों में शामिल जैश कमांडर कामरान को उसके दो साथियों संग मार गिराते हुए शहीद हुए हैड कांस्टेबल अब्दुल रशीद कलास को मरणोपरांत कीर्ति चक्र प्रदान किया गया है।
आतंकियों को मारने कमरे में घुस गए बिलाल मागरे
एसपीओ बिलाल अहमद मागरे पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने के बाद कश्मीर के बारामुला में सुरक्षाबलों और आतंकियों संग हुई पहली मुठभेड़ में 22 अगस्त को शहीद हुए थे। आतंकी एक मकान में छिपा हुआ था और उसने कुछ लोगों को भी बंधक बना लिया था। बिलाल अहमद मागरे ने स्वेच्छा से आगे आकर अपने कमांडर से कहा था... जनाब, मैं अगले दस्ते में जाऊंगा और मकान में जहां भी आतंकी होगा, उससे निपट लूंगा। उसके साथ सब इंस्पेक्टर अमरदीप रूम इंटरवेंशन में जुट गए। इस दौरान दोनों आतंंकी की फायरिंग में जख्मी हो गए। इसके बावजूद उन्होंने वहां मकान में फंसे सभी लोगों का बाहर निकाला। एसपीओ बिलाल अहमद अपनी अंतिम गोली तक आतंकी का मुकाबला करते रहे, लेकिन जख्मी होने के बावजूद पीछे नहीं हटे। इस अभियान में वह शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया गया है जो उनकी मां सारा बेगम ने प्राप्त किया। शौर्य चक्र प्राप्त करने के बाद जब वह अपनी सीट की तरफ लौट रही थीं तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें सांत्वना दी।
डीआइजी अमित को कीर्ति चक्र और हैड कांस्टेबल अब्दुल रशीद कलास को शौर्य चक्र
पुलवामा आतंकी हमले के लगभग चार दिन बाद 18 फरवरी को पुलिस को पता चला था कि आतंकी कामरान अपने दो अन्य साथियों संग दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में एक जगह विशेष पर छिपा हुआ है। इसका पता चलते ही पुलिस ने सेना के जवानों के साथ मिलकर एक अभियान चलाया था। इस दौरान हुई मुठभेड़ में डीएसपी अमन कुमार, हैड कांस्टेबल अब्दुल रशीद कलास और एक सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। डीआइजी अमित कुमार और एक ब्रिगेडियर जख्मी हो गए थे। आतंकी कामरान अपने दो साथियों संग मारा गया। हैड कांस्टेबल अब्दुल रशीद और डीआइजी अमित कुमार ने जिस तरह से अपनी बहादुरी का परिचय दिया, उसे देखते हुए उन्हें क्रमश: कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र प्रदान किया गया। शहीद अब्दुल रशीद कलास की पत्नी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द से कीर्ति चक्र प्राप्त किया। डीआइजी अमित कुमार जो इस मुठभेड़ में जख्मी होने के बाद लगभग आठ माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे, के सीने पर राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र लगाकर उनकी बहादुरी को सलाम किया।
शहीद इंस्पेक्टर अरशद खान
शहीद इंस्पेक्टर अरशद खान की पत्नी और मां ने राष्ट्रपति से शौर्य चक्र प्राप्त किया। इंस्पेक्टर अरशद खान 12 जून 2019 को अनंतनाग में शहीद हुए थे। उस समय वह अनंतनाग के थाना सदर प्रभारी थे। आतंकियों के एक आत्मघाती दल ने 12 जून की शाम को अनंतनाग के एक बाजार में सुरक्षाबलों पर हमला किया था। सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए। हमले की सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर अरशद खान मौके पर पहुंचे और उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर वहां घायल पड़े सीआरपीएफ कर्मियों को उठाते हुए आतंकियों की गोली का जवाब गोली से दिया। इस दौरान वह खुद घायल हो गए। गोलियां उनके सीने में लगी थीं, लेकिन वह डटे रहे और एक आत्मघाती आतंकी को उन्होंने अपनी पिस्तौल की गोली से ढेर किया था। अरशद को उपचार के लिए दिल्ली ले जाया गया था, जहां वह चल बसे। उन्हें उनके अदम्य साहस के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया गया। उनकी पत्नी और मां ने सम्मान हासिल किया।
कांस्टेबल मुस्तफा ने गोलियों की बौछार के बीच लोगों को सुरक्षित निकाला
28 फरवरी 2019 को उत्तरी कश्मीर के बाबगुंड हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल गुलाम मुस्तफा बराह ने न सिर्फ गोलियों की बौछार के बीच आम नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया बल्कि जख्मी होने के बावजूद एक आतंकी को भी ढेर करने में अहम भूमिका निभाई। अस्पताल ले जाते समय वह वीरगति को प्राप्त हो गए। उनकी शहादत पर उनके एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि अगर गुलाम मुस्तफा हमारी बात मानकर मोर्चे से हट जाता तो उसकी जान बच जाती, लेकिन उसने कहा था कि जब तक आतंकी को नहीं मार लेता, पीछे नहीं हटना है। उसने मुझे गोली मारी है, हिसाब चुकता करने के बाद ही अस्पताल जाऊंगा। उनकी पत्नी ने राष्ट्रपति से शौर्य चक्र प्राप्त किया।