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Jammu Kashmir: गुरू पूर्णिमा पर गुरुओं के सामने नतमस्तक हुए श्रद्धालु

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालु गुरुओं के सामने नतमस्तक हुए। जगह-जगह गुरुओं के आश्रम में श्रद्धालुओं ने गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त किया और आभार व्यक्त किया। साहिब बंदगी संत आश्रम रांजड़ी में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया गया।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 06:34 PM (IST)
Jammu Kashmir: गुरू पूर्णिमा पर गुरुओं के सामने नतमस्तक हुए श्रद्धालु
इस अवसर पर एक विशेष ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया गया।

जम्मू, जागरण संवाददाता । गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालु गुरुओं के सामने नतमस्तक हुए। जगह-जगह गुरुओं के आश्रम में श्रद्धालुओं ने गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त किया और आभार व्यक्त किया। साहिब बंदगी संत आश्रम रांजड़ी में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया गया।

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आमतौर पर यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष कोविड-19 महामारी प्रतिबंधों के कारण केवल ऑनलाइन माध्यम से ही मनाया गया।इस अवसर पर एक विशेष ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें देश-विदेश से लाखों अनुयायी शामिल हुए।

आध्यात्मिक प्रवचन के दौरान साहिब जी ने जीवन में आध्यात्मिक गुरु के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के सभी पवित्र धर्म ग्रंथ और शास्त्र गुरु के महत्व तथा गुरु और शिष्य के बीच के असाधारण बंधन को निर्धारित करते हैं। जीवन के हर छोटे से छोटे क्षेत्र में हमें गुरु की आवश्यकता पड़ती है।शिष्य के जीवन में गुरु का बड़ा महातम है।

मधुपरमहंस ने विस्तार से बताया कि मोक्ष तभी संभव हो सकता है।जब विभिन्न दोषों काम, क्रोध, लोभ मोह आदि को नियंत्रित किया जाए। जीव अपनी ताकत से अपने इन दोषों को नियंत्रित नहीं कर सकता। हमारे महान ऋषि, मुनि और देवता तक भी इन दोषों से प्रभावित हुए। ये सभी विकार विभिन्न जंजालों के माध्यम से जीवन भर सक्रिय रहते हैं ताकि आत्मा को जन्म और मृत्यु के चक्र में बांधा जा सके।

साहिब जी ने सच्चे गुरु अर्थात सद्गुरु के महत्व पर बोलते हुए कहा कि जब सद्गुरु दीक्षा के दौरान शिष्य में आध्यात्मिक किरणों का संचार करते हैं तो शिष्य को इन विभिन्न प्रकार के दोषों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जिससे जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस संसार सागर में केवल सतगुरु ही शिष्य को मोक्ष प्रदान कर सदा-सदा के लिए इस भवसागर से पार करता है। जिसके बाद जीव जन्म मरण के चक्र से सदा सदा के लिए मुक्त हो जाता है।


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