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Jammu Kashmir:...मेरी तरफ नहीं, आतंकी की तरफ देखो, पहले टास्क पूरा करना है, इलाज बाद में भी हो जाएगा

सीने व पेट में गोली लगने के बावजूद सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट ने दो आतंकियों को किया ढेर रक्त बहता रहा और साथी जवानों का मनोबल बढ़ाते रहे राहुल माथुर

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 04:39 PM (IST)
Jammu Kashmir:...मेरी तरफ नहीं, आतंकी की तरफ देखो, पहले टास्क पूरा करना है, इलाज बाद में भी हो जाएगा
Jammu Kashmir:...मेरी तरफ नहीं, आतंकी की तरफ देखो, पहले टास्क पूरा करना है, इलाज बाद में भी हो जाएगा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। '...घबराओ मत, मैं ठीक हूं। यह मामूली जख्म है। मेरी तरफ नहीं, आतंकी की तरफ देखो। पहले मुझे अपना टास्क पूरा करना है, इलाज तो बाद में भी हो जाएगा ...। श्रीनगर के बटमालू में वीरवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सीने व पेट में गोली लगने के बाद फूटी रक्त की धार देखकर सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट राहुल माथुर अपने लिए एंबुलेंस मंगवाने के बजाए साथियों का मनोबल बढ़ाते रहे।

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इस दौरान अपने एक घायल साथी को सुरक्षित मुठभेड़स्थल से निकलवाने के साथ दो आतंकियों को ढेर कर राहुल माथुर अचेत हो गए। जब उनकी आंखें खुलीं तो वह बादामी बाग स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में उपचाराधीन थे। यही नहीं, मुठभेड़ शुरू होने पर राहुल माथुर ने गोलीबारी के बीच अपनी टीम के साथ मुठभेड़स्थल के आसपास घरों में फंसी महिलाओं और बच्चों को भी सुरक्षित निकाला। इस मुठभेड़ में कुल तीन आतंकी मारे गए।

बटमालू के फिरदौसाबाद में मुठभेड़ के दौरान राहुल माथुर ने अपने दस्ते का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ पहले एक आतंकी की पोजीशन का अंदाजा लगाया और उसे ठिकाने लगाने में जुट गए। वह उसे मार गिराने में कामयाब रहे, लेकिन अन्य आतंकियों द्वारा दागी गई गोलियां उनके सीने को भेद गई। उनका एक साथी भी इस दौरान जख्मी हुआ, लेकिन मुठभेड़स्थल से हटने और अपने लिए डॉक्टर तलाशने के बजाय उन्होंने पहले अपने जख्मी साथी को सुरक्षित वहां से निकलवाया। इसके बाद वह अन्य आतंकियों के साथ मुकाबले मे जुट गए।

उन्होंने अपने अधीनस्थ साथियों को निर्देश दिया कि मेरी तरफ देखने के बजाय आतंकी की तरफ देखो। इसके साथ ही उन्होंने दोबारा अपनी एसाल्ट राइफल संभाली और जख्मों की परवाह किए बिना उस कमरे के ठीक बाहर पहुंच गए, जहां ङ्क्षजदा बचे दो आतंकी छिपकर फायर कर रहे थे। अचेत होने से पहले उन्होंने दूसरे आतंकी को भी ढेर कर दिया। मुठभेड़स्थल पर मौजूद रहे एक अधिकारी ने कहा कि राहुल माथुर के जख्मी होने की खबर मिलते ही जब उनके रेडियो सेट पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, मैं ठीक हूं। वह चाहते तो उसी समय वहां से हट जाते, लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा।

आज शुक्रवार को सलाहकार (बी) आरआर भटनागर, पुलिस महानिदेशक जम्मू-कश्मीर दिलबाग सिंह, आइजीपी सीआरपीएफ कश्मीर, चारू सिन्हा और आइजीपी कश्मीर विजय कुमार मटमालू मुठभेड़ के दौरान घायल हुए सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट राहुल माथुर का हाल जानने के लिए 92 बेस अस्पताल पहुंचे। उन्होंने डिप्टी कमांडेंट के स्वास्थ्य के बारे जानकारी ली और उनकी बहादुरी की सराहना भी की।

'आ रहे हैं तो आने दीजिए, हम उन्हें मार गिराएंगे :

सीआरपीएफ की 117वीं वाहिनी के कमांडेंट पंकज ङ्क्षसह ने कहा कि राहुल माथुर बहुत बहादुर है। हमारे पास बीते कुछ दिनों से सूचना आ रही थी कि आतंकी श्रीनगर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए आ रहे हैं। इसे लेकर जब भी बैठक होती थी तो राहुल यही कहता था, 'आ रहे हैं तो आने दीजिए। हम आतंकियों के ठिकाने को दहलाते हुए उन्हें मार गिराएंगे। आज तड़के जैसे ही पता चला कि आतंकी बटमालू में अपने सेफ हाउस में है, राहुल माथुर अपने दस्ते के साथ तैयार नजर आया। उसने जख्मी होने के बावजूद मैदान नहीं छोड़ा। वह यही कह रहा था कि 'डोंट वरी, आय एम फाइन। इट्स ए ङ्क्षसपल इंज्यूरी। वह गंभीर रूप से घायल होने क बावजूद लड़ा और इस समय अस्पताल में हैं। दुआ करें कि वह जल्द स्वस्थ होकर अस्पताल से निकले।

आतंकरोधी अभियानों में अहम भूमिका निभा चुके राहुल :

श्रीनगर में करीब डेढ़ वर्ष से सीआरपीएफ की 117वीं वाहिनी में डिप्टी कमांडेंट राहुल माथुर सीआरपीएफ के उन कुछ चुङ्क्षनदा अधिकारियों में एक गिने जाते हैं, जो किसी भी आतंकरोधी अभियान में अग्रिम मोर्चे पर लड़ते नजर आते हैं। राहुल मिश्रा ने गत दिनों पंथाचौक में सीआरपीएफ के नाके पर हमला कर भागे लश्कर के तीन आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। पांडच क्षेत्र में बीएसएफ के जवानों पर हमला कर उनके हथियार लूटने वाले तीन आतंकियों को जब सुरक्षाबलों ने जडीबल में घेरा तो उस समय भी राहुल सीआरपीएफ की एक क्विक एक्शन टीम का नेतृत्व कर रहे थे। डाउन-टाउन के नवाकदल में हिजब कमांडर जुनैद सहराई को मार गिराने के अभियान में भी वह शामिल रहे। 


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