प्रस्तावित आबकारी नीति के विरोध में किया प्रदर्शन
फोटो 19 जागरण संवाददाता जम्मू मंदिरों के शहर में शराब की और दुकानें खोलने के वि
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जागरण संवाददाता, जम्मू : मंदिरों के शहर में शराब की और दुकानें खोलने के विरोध में बुधवार को डोगरा फ्रंट शिवसेना ने प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि अभी प्रस्तावित आबकारी नीति अमल में भी नहीं आई है और शराब माफिया ने अपना रंग दिखाना आरंभ कर दिया है। शराब की छोटी बोतलें शहर में दिखने लगी हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू को शराबियों का शहर नहीं बनने दिया जाएगा। यह मंदिरों का शहर है और यहां पर शराब के अड्डे खुलने नहीं दिए जाएंगे। कार्यकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर में नई बन रही एक्साइज नीति का पूरी तरह से विरोध किया। प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि जम्मू मंदिरों का शहर है। माता वैष्णोदेवी जी का स्थान है तो वहीं शहर में बाबे वाली माता का मंदिर है। हमारी पहचान मंदिरों के शहर से है और यहां पर किसी भी हाल में नशा पनपने नहीं दिया जाएगा। प्रदर्शन में राकेश, कुमार, राजू, अभिषेक, काला आदि शामिल थे।
वहीं, चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू ने आबकारी विभाग की ओर से वित्त वर्ष 2021-22 के लिए प्रस्तावित की गई आबकारी नीति का विरोध करते हुए कहा है कि ये नीति जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले और यहां तक कि जेएंडके एक्साइज एक्ट 1958 के भी खिलाफ है। चैंबर का कहना है कि विभाग ने कानून के विरुद्ध जाकर यह नीति तैयार की है, जिसके तहत लाइसेंस आवंटित करने के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जबकि जेएंडके एक्साइज एक्ट 1958 में लाइसेंस की नीलामी का कोई प्रावधान नहीं।
आबकारी नीति को लेकर मची उथल-पुथल के बीच चैंबर के प्रधान अरुण गुप्ता ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि हाईकोर्ट ने 28 दिसंबर 2020 को एक फैसला दिया था, जिसमें साफ कहा था कि कोई भी नीति किसी कारोबार के लिए बनाए गए कानून से ऊपर नहीं हो सकती। अरुण गुप्ता ने कहा कि कानून में एक तय फीस के आधार पर स्थायी लाइसेंस का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया था कि जेएंडके एक्साइज एक्ट 1958 के तहत नई नीति तैयार की जाए लेकिन विभाग ने लाइसेंस जारी करने व इन्हें रिन्यू करने की बुनियादी व्यवस्था में ही बदलाव करके नीलामी करने का प्रस्ताव लाया है जोकि हाईकोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन है। गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कानून इजाजत देता है तो कानून के तहत लाइसेंस रिन्यू किए जाए लेकिन यहां तो विभाग सभी लाइसेंस रद कर नीलामी की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस कारोबार से हजारों लोग जुड़े है जो पिछले पांच-छह दशकों से ये कारोबार कर रहे हैं। नई आबकारी नीति लागू होने की सूरत में शराब माफिया पनपने की संभावना जताते हुए अरुण गुप्ता ने कहा कि जब नीलामी होगी तो एक ही परिवार के सदस्य कई-कई लाइसेंस लेंगे। कई दूसरे लोगों के नाम पर भी लाइसेंस लिए जाएंगे। ऐसे में यह पूरा कारोबार कुछ ताकतवर लोगों के हाथ में आ जाएगा जो आने वाले दिनों में मिलावट से लेकर कालाबाजारी तक करेगा। गुप्ता ने कहा कि नीलामी कोई नई प्रक्रिया नहीं है। वर्ष 2000 में सरकार ने देसी शराब के लाइसेंसों की नीलामी की थी जिसके परिणाम विभाग को पता है। आज तक 100 करोड़ रुपये की देनदारी है जो विभाग को आज तक नहीं मिली और दूसरी तरफ इन दुकानदारों पर आज तक एक रुपये की भी देनदारी नहीं है। इसलिए सरकार ऐसा कोई भी फैसला करने से पहले हर पहलू पर विस्तार से विचार करें।