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Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन आयोग की पहली बैठक 18 फरवरी को, डॉ. जितेंद्र-फारूक समेत 5 सांसद आमंत्रित

6 मार्च 2020 को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। मंत्रालय ने उल्लेख किया था कि आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष की अवधि के लिए होगा जो 5 मार्च 2021 को समाप्त होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 10:46 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 11:09 AM (IST)
Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन आयोग की पहली बैठक 18 फरवरी को, डॉ. जितेंद्र-फारूक समेत 5 सांसद आमंत्रित
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा चुनाव परिसीमन की प्रक्रिया पूरा होने के बाद ही होंगे।

जम्मू, जेएनएन: जम्मू-कश्मीर के परिसीमन आयोग ने 18 फरवरी को नई दिल्ली में अपने कार्यालय में एसोसिएट सदस्यों के साथ पहली बैठक बुलाई है। इस बैठक में केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर चर्चा होगी। परिसीमन आयोग की चेयरपर्सन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने 18 फरवरी सुबह 11 बजे नई दिल्ली में होटल अशोका में सदस्यों की बैठक बुलाई है। इसी होटल में उन्होंने अपना कार्यालय स्थापित किया है।

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प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार न्यायमूर्ति देसाई के अलावा, परिसीमन आयोग के सदस्यों में सुशील चंद्र, चुनाव आयुक्त, राज्य चुनाव आयुक्त केके शर्मा शामिल हैं। इसके अलावा बैठक में सहयोगी सदस्य प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ. फारूक अब्दुल्ला, जुगल किशोर शर्मा, मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी, जम्मू से सभी लोकसभा सदस्यों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि जब आयोग ने नेशनल कांफ्रेंस के तीन सदस्यों को सहयोगी सदस्य के रूप में नामित किया था, उस दौरान नेकां ने आयोग से अलग होने की घोषणा की थी।

आपको बता दें कि आयोग की यह बैठक अध्यक्ष के एक साल के कार्यकाल के पूरा होने से पहले बुलाई जा रही है। 6 मार्च, 2020 को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। मंत्रालय ने उल्लेख किया था कि आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष की अवधि के लिए होगा। यह अवधि 5 मार्च, 2021 को समाप्त हो रही है। आयोग की अपने सहयोगी सदस्यों के साथ यह पहली बैठक है। आयोग ने अब तक जम्मू-कश्मीर का दौरा भी नहीं किया है।

केंद्र शासित प्रदेश के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करने के लिए ही जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और परिसीमन अधिनियम, 2002 के भाग V के प्रावधानों के अनुसार आयोग का गठन किया गया था। पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों में सात सीटों की वृद्धि करते हुए इसकी संख्या 114 कर दी जबकि 24 सीटें गुलाम कश्मीर (पीओके) के लिए आरक्षित है। विधानसभा चुनाव 90 सीटों के लिए ही होगा।

अनुच्छेद 370 हटाने से पहले जम्मू-कश्मीर में पीओके के लिए आरक्षित 24 सीटों समेत 111 सीटें थीं। यहां 87 सीटों के लिए ही चुनाव करवाए जाते रहे हैं। अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के निर्माण के बाद इसमें चार सीटें और कम हो गई। विधानसभा में 83 सीटें रह गई। हालांकि, सात सीटों की वृद्धि के बाद अब विधानसभा की कुल सीटें 90 कर दी गई हैं। इसके अलावा पहले की तरह सदन में दो महिला विधायकों को नामित किया जाएगा।

आपको बता दें कि पिछली विधानसभा में कश्मीर में 46, जम्मू 37 और लद्दाख में चार सीटें थी। इससे पहले 1994-95 में राष्ट्रपति शासन के दौरान भी विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन हुआ था। उस दौरान राज्य विधानसभा की सीटें 76 से बढ़ाकर 87 कर दी गई थीं। जम्मू क्षेत्र की सीटें 32 से बढ़ाकर 37, कश्मीर की 42 से 46 और लद्दाख की दो से चार कर दी गई। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने परिसीमन करने का प्रयास किया था परंतु डॉ फारूक अब्दुल्ला की अगुवाई वाली तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा चुनाव परिसीमन की प्रक्रिया पूरा होने के बाद ही होंगे।


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