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Jammu: साहित्यिक उत्सव के रूप में मनाई दीनू भाई पंत की जयंती, लोगों ने भी पसंद किया

डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने अपने परिचयात्मक संबोधन में कहा कि दीनू भाई पंत की जयंती मनाने का विशेष महत्व है क्योंकि डोगरी साहित्य की प्रारंभिक लोकप्रियता और विकास में पंत का बहुत योगदान रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 09:33 AM (IST)
Jammu: साहित्यिक उत्सव के रूप में मनाई दीनू भाई पंत की जयंती, लोगों ने भी पसंद किया
मगोत्रा ने कहा कि उन्होंने कई कविताएं लिखीं, जिन्हें लोक गीतों का दर्जा मिला।

जम्मू, जागरण संवाददाता: डोगरी के नामवर कवि दीनू भाई पंत की 104वीं जयंती पर डोगरी संस्था की ओर से साहित्यिक उत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें उनकी कविताओं का पाठ किया गया एवं संगीतवद्द कर प्रस्तुत किया गया।

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पंत की कविताओं का आनलाइन कविता पाठ और संगीतमय प्रस्तुति को पसंद किया गया। पंत की चुनिंदा कविताओं को प्रसिद्ध रेडियो और थिएटर कलाकार साहिबा बशीर और पवन वर्मा ने सुनाया। इसके अलावा लवली चंद्रा और जम्मू की स्टार गायिका वंशिका जराल ने पंत के दो लोकप्रिय गीत गाए। इन गीतों की संगीत रचना प्रसिद्ध संगीतकार बृजमोहन ने की थी।

डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने अपने परिचयात्मक संबोधन में कहा कि दीनू भाई पंत की जयंती मनाने का विशेष महत्व है क्योंकि डोगरी साहित्य की प्रारंभिक लोकप्रियता और विकास में पंत का बहुत योगदान रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पंत को आधुनिक डोगरी कविता का जन्मदाता और प्रवर्तक कहा जाता है। उनकी कविता शहर पहलो-पहल गए ने पूरे साहित्यिक परिदृश्य को बदल दिया।

उनकी यह ऐसी रचना थी, जो बच्चे-बच्चे की जुबान पर थी।आज भी लोग उनकी रचनाओं का पूरा लुत्फ उठाते हैं।इस कविता ने उस समय के लेखकों की मानसिकता में क्रांति ला दी। इस सरल कविता की अभूतपूर्व और अभूतपूर्व लोकप्रियता ने उस युग के कई लेखकों को अपनी मातृभाषा में लिखने के लिए प्रेरित किया।उनकी प्रारंभिक कविताओं ने डोगरी साहित्य के पुनर्जागरण के लिए बीज के रूप में काम किया। जिसने बाद में एक आंदोलन का रूप ले लिया।

मगोत्रा ने कहा कि उन्होंने कई कविताएं लिखीं, जिन्हें लोक गीतों का दर्जा मिला। इतना ही नहीं, यहां तक कि उनका नाटक ‘सरपंच’ भी नाटक लेखन की कला में एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है।

कार्यक्रम में लवली चंद्रा ने दीनू भाई पंत का गीत ‘मेरे देसा दा शलैपा...’ गाया। वंशिका जराल ने पंत के बच्चों के लिए लिखे गीत ‘मखनो मखानो...’ गा कर सुनाया। साहिबा बशीर और पवन वर्मा ने प्रभावशाली और पेशेवर तरीके से पंत की कई लोकप्रिय और आधुनिक कविताओं का पाठ किया। डोगरी संस्था की इस ऑन लाइन प्रस्तुति को लोगों ने खूब पसंद किया।


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