Move to Jagran APP

25 हजार करोड़ के रोशनी एक्ट घोटाले में फैसला सुरक्षित

रोशनी एक्ट की आड़ में 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के बहुचर्चित मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जम्मू कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़े इस घोटाले की सीबीआइ जांच करवाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को दोनों तरफ की बहस संपन्न हो गई लेकिन बेंच ने अपना फैसला नहीं सुनाया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 08:02 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:02 AM (IST)
25 हजार करोड़ के रोशनी एक्ट घोटाले में फैसला सुरक्षित
25 हजार करोड़ के रोशनी एक्ट घोटाले में फैसला सुरक्षित

जेएनएफ, जम्मू : रोशनी एक्ट की आड़ में 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के बहुचर्चित मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जम्मू कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़े इस घोटाले की सीबीआइ जांच करवाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को दोनों तरफ की बहस संपन्न हो गई, लेकिन बेंच ने अपना फैसला नहीं सुनाया। छह साल पूर्व दायर मौजूदा जनहित याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जांच कर रहे एंटी करप्शन ब्यूरो दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में सक्षम नहीं है, लिहाजा इसकी सीबीआइ से निष्पक्ष जांच करवाई जाए, क्योंकि इस मामले में जम्मू कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल हैं।

loksabha election banner

एडवोकेट अंकुर शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में प्रदेश की बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा होने व रोशनी एक्ट के तहत ये सरकारी भूमि कौड़ियो के भाव बेचे जाने का आरोप लगाया है। अंकुर शर्मा ने मामले की सुनवाई के दौरान एक बार फिर यह दलील दी कि पिछले छह सालों में एंटी करप्शन ब्यूरो इस मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं कर पाया। इस मामले में चूंकि कई पूर्व मंत्री, नेता, आइएएस व केएएस अधिकारी शामिल हैं और एंटी करप्शन ब्यूरो इनके खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने दलील दी कि एक सोची समझी साजिश के तहत 25 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। ऐसे में जरूरी है कि जनता को इंसाफ देने के लिए इस मामले की सीबीआइ जैसी एजेंसी से जांच करवाई जाए।

इसी मामले में पेश हुए एडवोकेट शेख शकील अहमद ने कहा कि इस मामले में पूर्व सरकारों ने सहयोग नहीं किया और जम्मू कश्मीर के अकाउंटेंट जनरल ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि 2013 से लेकर 2020 तक केवल दो एफआइआर में चालान पेश हुए जबकि दस एफआइआर में जांच लंबित है। तीन एफआइआर में ब्यूरो को कार्रवाई की मंजूरी नहीं मिली है और दो एफआइआर को यह कह कर बंद कर दिया गया कि उसमें कोई सुबूत नहीं मिले।

मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट शेख शकील ने जम्मू के डिल्ली में जेडीए की 154 कनाल जमीन पर हुए कब्जे का भी उल्लेख किया। सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल एसएस नंदा ने कहा कि कमेटी ने अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है और अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें एक महीने की मोहलत दी जाए। इसके बाद हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस राजेश बिदल ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.