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जम्मू श्रीनगर नेशनल हाईवे पर 5 किलोमीटर का हिस्सा बन रहा है मौत का कुआं

जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रामबन जिले में पहाड़ दरकने के कारण हाईवे मौत का कुआं साबित हो रहा है। 270 किलोमीटर का सफर अब न तो सुरक्षाबलों के लिए सुरक्षित है

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 10:48 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 10:48 AM (IST)
जम्मू श्रीनगर नेशनल हाईवे पर 5 किलोमीटर का हिस्सा बन रहा है मौत का कुआं
जम्मू श्रीनगर नेशनल हाईवे पर 5 किलोमीटर का हिस्सा बन रहा है मौत का कुआं

जम्मू, अवधेश चौहान । जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रामबन जिले में पहाड़ दरकने के कारण हाईवे मौत का कुआं साबित हो रहा है। 270 किलोमीटर का सफर अब न तो सुरक्षाबलों के लिए सुरक्षित है और न ही आम जनता के लिए। सबसे खतरनाक इलाका रामबन जिले का डिगडोल, मगरकोट, रनसू, खूनी नाला और चश्मा बैटरी है।

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नेशनल हाईवे का करीब पांच किलोमीटर का हिस्सा मुसाफिरों के लिए मौत का जबड़ा बन गया है। यहां भूस्खलन के कारण हाईवे के दोनों तक वाहनों अवरुद्ध हो जाना कोई नई बात नहीं है। यही कारण है कि श्रीनगर नार्थ में डीआइजी के पद पर तैनात डीआइजी शैलेंद्र कुमार और उनके ड्राइवर नवीन कुमार की डिगडोल इलाके में भूस्खलन और चट्टान गिरने से मौत हो गई।

आंकड़ों के मुताबिक मौत का कुआं कहे जाने वाले इस क्षेत्र में पांच साल में कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग चार दिन से यातायात के लिए बंद है, क्योंकि डिगडोल इलाके में भारी भूस्खलन हुआ है।

सीआरपीएफ के डीआईजी शैलेंद्र कुमार को किन परिस्थितियों में हाईवे से जाने की अनुमति दी गई यह अभी जांच का विषय हैं। विडंबना यह है हाईवे हालत में है। बारिश के मौसम में उत्तर भारत के कई पहाड़ दरक रहे है। नवंबर माह में बारिश सामान्य से अधिक होने की वजह से हाईवे डेढ़ माह में केवल 20 दिन ही यातायात के लिए खुला रहा। सर्दी के मौसम में जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग चार दिन से बंद है।

रेतीले पहाड़ को डायनामाइट से उड़ाना हुआ खतरनाक

जम्मू विश्वविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर जीएम भट्ट का कहना है कि हिमालयन फुट हिल्स के पहाड़ों की संरचना रेतीली है। इन पहाड़ों को पर मलबे को हटाने के लिए अक्सर डायनामाइट विस्फोटक का इस्तेमाल होना और जंगलों की अंधाधुंध कटाई भूस्खलन का कारण बन रहा है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हाईवे के पहाड़ों की संरचना रेतीली है। इन पहाड़ों की अनदेखी का ही नतीजा है, जिस कारण ऐसी घटनाएं सामने आ रही है।

100 किलोमीटर का हिस्सा तैयार होने पर सैलानी हो जाएंगे सुरक्षित

ऐतिहासिक मुगल रोड जो कश्मीर घाटी को जम्मू से जोड़ता है, सुरक्षा दृष्टि से यातायात के लिए सही नहीं है। यह रास्ता आतंकवादग्रस्त दक्षिण कश्मीर से होकर गुजरता है और सर्दी के दिनों में बर्फबारी के कारण यह बंद रहता है। सरकार को चाहिए कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे को फोरलेन बनाने का काम जल्द पूरा करे। यह अच्छी बात है कि यह काम जम्मू से लगभग सौ किलोमीटर तक पूरा कर लिया गया है। केवल नाशरी से बनिहाल के बीच काम पूरा हो जाता है तो सैलानी बेहिचक कश्मीर की वादियों में सैर सपाटे के लिए आ सकेंगे।

रेल मार्ग से जुड़ जाने के बाद सुरक्षित हो जाएगा सफर

केंद्रीय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड के आला अधिकारियों को रविवार को जम्मू दौरे के दौरान निर्देश दिए हैं कि कटड़ा से बनिहाल के बीच करीब 80 किलोमीटर रेल लाइन को शीघ्र पूरा किया जाए। इस रेलवे लाइन के तैयार हो जाने से जम्मू-श्रीनगर का सफर सुगम और सुरक्षित हो जाएगा।

295 किलोमीटर पर चुनौतियां बरकरार

जम्मू से श्रीनगर का 295 किलोमीटर लंबा राजमार्ग वषों से प्रशासन के लिए चुनौती है। अगर दक्षिण कश्मीर को राजौरी और पुंछ के साथ जोडऩे वाले मुगल रोड को छोड़ दिया जाए तो यही एक इकलौता राजमार्ग है जो कि कश्मीर को जम्मू से जोड़ता है। मगर यह राजमार्ग भी आए दिन बंद रहता है। इसी राजमार्ग से होकर बाबा अमरनाथ की वाषिर्क यात्रा भी होकर गुजरती है। यह राजमार्ग जम्मू से लेकर ऊधमपुर तक तो अब सही बन गया है। मगर ऊधमपुर के आगे इस राजमार्ग पर अब हमेशा ही चुनौती रहती है। विशेकर बारिश और बर्फबारी के बीच। यहां हादसों पर रोक के लिए प्रशासन ने कभी भी गंभीर प्रयास नहीं किए गए। पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए गंभीरता दिखाई थी। उन्होंने रोड सेफ्टी काउंसिल की पहली बार बैठक आयोजित की थी और हाईवे पर ट्रामा अस्पतालों की सुविधा देने के निर्देश दिए थे। राजमार्ग पर क्रिटिकल केयर एंबुलेंस तैनात करने के निर्देश दिए थे। अब उपराज्यपाल जीसी मुर्मू भी सड़क हादसों पर गंभीर नजर आ रहे हैं। अब देखना यह है कि इस राजमार्ग की चुनौती को पार करने में वर्तमान प्रशासन कितना कारगर साबित होता है।

जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर कुछ हादसे

17 जुलाई 2017

- अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही बस खाई में गिर गई, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई जबकि 35 अन्य यात्री घायल हो गए हैं। घटना जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रामबन के पास हुई।

छह अक्टूबर 2018

-जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बनिहाल-रामबन के बीच क्षमता से काफी अधिक यात्रियों को ले जा रही एक मिनी बस के गहरी खाई में गिर जाने से 20 लोगों की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए।

तीन नवंबर 2019

जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर समरोली के पास हुई एक सड़क दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि सात अन्य लोग घायल हो गए।

छह फरवरी 2019

जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक वाहन बोल्डर से टकरा गया जिससे उसमें सवार एक महिला समेत 12 यात्री घायल हो गए। रामबन जिले के मोउमपासी-रामसू में राजमार्ग पर यह दुर्घटना घटी।

22 जुलाई 2019

रामबन जिला में दो अलग-अलग हादसों में तीन लोगों की मौत हुई।

दो मार्च 2019

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर, किश्तवाड़ और रामबन जिले में हुए अलग-अलग सड़क हादसों में दो महिलाओं सहित 10 लोगों की मौत हो गई और 34 अन्य लोग घायल हुए हैं। 


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