Militancy in Kashmir : कश्मीर में आतंक का खतरनाक 'Game Plan', चुपचाप ट्रेनिंग लो और घर चले जाओ
कश्मीर में आतंकी संगठनों ने खतरनाक गेम प्लान बनाया है। अब आतंकी संगठन किसी लड़के को चिन्हित करते हैं और उसे भर्ती कर कुछ दिन हथियार चलाने मुखबिरी की ट्रेनिंग देकर घर भेज देते हैं। घर आकर वे सामान्य जिंदगी में घुल मिल जाते हैं।
श्रीनगर, नवीन नवाज : कश्मीर में आतंकी संगठनों ने खतरनाक 'गेम प्लान' बनाया है। अब आतंकी संगठन किसी लड़के को चिन्हित करते हैं और उसे भर्ती कर कुछ दिन हथियार चलाने, मुखबिरी की ट्रेनिंग देकर घर भेज देते हैं। घर आकर वे सामान्य जिंदगी में घुल मिल जाते हैं। वह कोई ऐसी हरकत नहीं करता जिससे लगे कि वे गलत रास्ते पर हैं। परिवार, मोहल्ले वाले, दोस्त भी उसे मासूम समझते हैं। वह सिर्फ वारदात के लिए निकलते हैं और अंजाम देकर चुपचाप घर आ जाते हैं। वे तभी पकड़े जाते जब आतंकी गतिविधि के सुबूत मिलते हैं। हाल ही में श्रीनगर में कृष्णा ढाबे के मालिक के बेटे पर हुए हमले में संलिप्त उवैस, सुहैल हो या अन्य मामले में अतहर।
केस -1
डांगरपोरा (नौगाम) में दिनभर दुकान पर बैठने के बाद मंजूर अहमद सोफी बुधवार रात जैसे ही घर पहुंचे तो पुलिस दस्ता आया। उन्होंने बेटे उवैस के बारे में पूछा तो जवाब दिया कि वह दोस्तों के साथ घूमने गया है, रात को नहीं लौटेगा। पुलिस कॢमयों ने बताया कि उनका बेटा दो दिन पहले श्रीनगर के कृष्णा ढाबे पर हुए हमले के कारण गायब है तो परिवार को यकीन नहीं हुआ। पुलिसकॢमयों ने कुछ सुबूत भी दिखाए, लेकिन वह मानने को तैयार ही नहीं थे कि उवैस दोस्त सुहैल के साथ आतंकी बन चुका है। यही हालत सुहैल के पिता फतेह मोहम्मद मीर की थी।
केस-2
लालचौक से करीब 12 किलोमीटर दूर डांगरपोरा नौगाम में मंजूर सोफी और फतेह मोहम्मद मीर जिस सदमे का शिकार बुधवार को हुए,उसी का शिकार पुलवामा में अतहर मुश्ताक के पिता पहली जनवरी को हुए थे। अतहर दो साथियों संग श्रीनगर के होकरसर में मुठभेड़ में मारा गया था। एजाज के पिता को पुत्र के आतंकी होने का आभास नहीं था। मुठभेड़ के बाद जब पुलिस ने अतहर, एजाज व जुबैर की पूरी कुंडली निकाली तो सब हैरान रह गए।
170 का पता तब चला जब मुठभेड़ में फंसे थे :
कश्मीर में एक साल में 200 लड़के आतंकी बने हैं। इनमें 170 लड़कों के आतंकी बनने का पता तभी चला जब वह किसी मुठभेड़ में फंसे और मारे गए या फिर जिंदा पकड़े गए। पुलिस आंकड़े बताते हैं कि बीते साल मारे गए 221 आतंकियों में से 175 स्थानीय थे। मारे गए स्थानीय आतंकियों में 131 बीते साल बने थे। उन्होंनेे कभी इंटरनेट मीडिया पर तस्वीर वायरल नहीं की थी। 10 युवकों के आतंकी बनने का पता वारदात के बाद पता चला है।
इंटरनेट मीडिया पर आतंकी बनने का एलान 2010 से शुरू :
आतंकी बनने का इंटरनेट मीडिया पर एलान करने या वीडियो वायरल करने के मामले 2010 में पहली बार देखने को मिले। वर्ष 2014 के बाद यह सिलसिला जोर पकड़ गया। वर्ष 2016 में मारे गए हिजबुल मुजाहिद्दीन आतंकी बुरहान ने इंटरनेट मीडिया पर साथियों की तस्वीरें वायरल कर कई नए लड़कों को आतंकी बनने के लिए गुमराह किया। हालत यह हो गई थी कि जब कोई लड़का गायब होता तो सुरक्षाबल भी इंटरनेट मीडिया की स्केनिंग शुरू कर देते ताकि यह पता चले कि लापता लड़का आतंकी बना है या नहीं। कई लड़के दो से तीन माह बाद आतंकी बनने का एलान करते थे।
स्थानीय आतंकियों की भर्ती का जो ट्रेंड सामने आया है, वह ज्यादा खतरनाक है। कृष्णा ढाबा पर हमला करने वाले आतंकियों में विलायत के बारे में पता थाकि वह आतंकी है,अन्य दो लड़के घर में थे। अगर यह लड़के किसी मुठभेड़ में मारे जाते तो सभी ने पुलिस पर सवाल उठाना था कि निर्दाेष मारे गए हैं। होकरसर की घटना की सच्चाई परिजन जानते हैं। आतंकी संगठनों को नए प्लान में यह फायदा है, उनके लिए हमेशा एक कैडर तैयार रहता है।
विजय कुमार, आइजीपी कश्मीर