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सीआरपीएफ डीआइजी की सड़क हादसे में मौत की जांच के आदेश, रामबन में चट्टान गिरने से हुई थी मौत

सिग्नल संदेश में सभी डीआइजी व कमांडेंट को कहा गया था कि वह श्रीनगर से अपने वाहन व एस्कार्ट को बुलाएं और एक काफिले के रूप में सड़क के रास्ते जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हों।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 11:09 AM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 11:09 AM (IST)
सीआरपीएफ डीआइजी की सड़क हादसे में मौत की जांच के आदेश, रामबन में चट्टान गिरने से हुई थी मौत
सीआरपीएफ डीआइजी की सड़क हादसे में मौत की जांच के आदेश, रामबन में चट्टान गिरने से हुई थी मौत

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सीआरपीएफ प्रशासन ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय मार्ग पर दो दिन पहले भूस्खलन में सीआरपीएफ के डीआइजी व उनके चालक की मौत की उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। जांच का जिम्मा आइजी सीआरपीएफ जम्मू सेक्टर चारू सिन्हा को सौंपा गया है। वह 1994 बैच की आइपीएस अधिकारी हैं।

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सूत्रों के अनुसार, जांच का आदेश उन खबरों का संज्ञान लेते हुए दिया गया है, जिनमें कहा गया है कि दिल्ली और जम्मू में ट्रेनिंग या फिर अवकाश पर गए अधिकारियों को तुरंत श्रीनगर लौटने का निर्देश दिया गया था। इस पूरे मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की मूवमेंट के लिए निर्धारित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का कथित तौर पर उल्लंघन होने की शिकायत है।

बता दें कि गत रविवार (15 दिसंबर) को जम्मू से श्रीनगर लौट रहे उत्तरी कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के डीआइजी ऑपरेशंस शैलेंद्र विक्रम सिंह के वाहन पर रामबन के आगे डिगडोल के पास भूस्खलन के दौरान चट्टान गिरी थी। इसमें डीआइजी और उनके चालक नवीन कुमार की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि उनका अंगरक्षक सरीर खान गंभीर रूप से घायल हो गया था। डीआइजी शैलेंद्र विक्रम सिंह लखनऊ के रहने वाले थे।

यातायात के लिए बंद था हाईवे : सूत्रों के अनुसार, शनिवार को जम्मू-श्रीनगर हाईवे भूस्खलन के कारण यातायात के लिए बंद था। मौसम में आंशिक सुधार को देखते हुए सड़क को यातायात योग्य बनाया जा रहा था और कुछ फंसे वाहन भी निकाले जा रहे थे। इसी दौरान रामबन स्थित सीआरपीएफ की 84वीं वाहिनी मुख्यालय में सीआरपीएफ के तीन डीआइजी अपने वाहनों और एस्कार्ट दस्ते के साथ रामबन से बनिहाल के लिए निकले।

दो और डीजाइजी अपने वाहनों पर थे सवार : सूत्रों की मानें तो डीआइजी शैलेंद्र विक्रम सिंह के वाहन के आगे डीआइजी आपरेशंस इंटेलीजेंस श्रीनगर सेक्टर अशोक समयाल और डीआइजी ग्रुप सेंटर श्रीनगर जगदीश नारायण मीणा के वाहन थे। ये दोनों अधिकारी अपने वाहन व एस्कार्ट दस्ते के साथ घटनास्थल से जैसे ही निकले, पीछे पत्थर गिरने लगे, जिनकी चपेट में डीआइजी शैलेंद्र विक्रम सिंह का वाहन आ गया।

सड़क के रास्ते जम्मू से श्रीनगर पहुंचने को कहा गया था : सूत्रों के अनुसार, 12 दिसंबर को आइजी सीआरपीएफ कश्मीर के कार्यालय से एक आवश्यक सिग्नल संदेश कश्मीर में तैनात उन सभी डीआइजी व कमांडेंट रैंक के अधिकारियों को भेजा गया था, जो अवकाश पर या ट्रेनिंग के सिलसिले में कश्मीर से बाहर थे। बताया जा रहा है कि इन लोगों को सीआरपीएफ की चार्टड विमान उड़ानों का इंतजार करने के बजाय तत्काल श्रीनगर पहुंचने को कहा गया था। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि गत सप्ताह छह दिसंबर से 14 दिसंबर की दोपहर बाद तक जम्मू-श्रीनगर सेक्टर की सभी विमान सेवाएं खराब मौसम के चलते लगभग ठप रहीं। सिग्नल संदेश में सभी डीआइजी व कमांडेंट को कहा गया था कि वह श्रीनगर से अपने वाहन व एस्कार्ट को बुलाएं और एक काफिले के रूप में सड़क के रास्ते जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हों।

चार्टड विमान सेवा से जाने के लिए बुक किए थे टिकट : निर्देशानुसार तीनों डीआइजी दिल्ली से जम्मू पहुंचे थे। उन्होंने वहीं पर अपने वाहन और एस्कार्ट बुलाए थे। रविवार, 15 दिसंबर को श्रीनगर-जम्मू सेक्टर में सभी चार्टड व नियमित विमान सेवाएं पूरी तरह बहाल रही हैं। तीनों डीआइजी ने भी जम्मू से श्रीनगर के लिए चार्टड विमान सेवा से जाने के लिए टिकट बुक किए थे। इसके बावजूद वह सड़क के रास्ते श्रीनगर के लिए रवाना हुए। सूत्रों ने बताया कि इन तीनों ने अपने बोर्डिंग पास भी प्राप्त कर लिए थे। माना जा रहा है कि इन तीनों ने विमान सेवा के स्थगित होने की आशंका के चलते सड़क के रास्ते निकलना बेहतर समझा होगा।

माऊंट आबु में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद लौटे थे तीनों डीआइजी : ये तीनों डीआइजी कुछ समय पहले ही माऊंट आबु राजस्थान में अपनी ट्रेङ्क्षनग पूरी करने के बाद दिल्ली लौटे थे। डीआइजी शैलेंद्र विक्रम सिंह अपनी पत्नी के साथ नयी दिल्ली में ही थे, जब उन्हें श्रीनगर पहुंचने का संदेश मिला था। शैलेंद्र की एक ही बेटी है और वह उस समय न्यूजीलैंड में थी। वह 13 दिसंबर को जम्मू पहुंचे और उन्होंने उसी दिन श्रीनगर से अपना वाहन व एस्कार्ट मंगवाया था। रविवार की दोपहर को वह अन्य दो डीआइजी संग रामबन पहुंचे और वहां करीब एक घंटे तक बटालियन मुख्यालय में सड़क खुलने का इंतजार करते रहे। इसके बाद वह आगे श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे। 


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