क्रिकेटर इरफान पठान भी कश्मीर छोड़कर अपने साथियों संग घरों की ओर लौटे
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन मेंटर इरफान पठान सहित कोच मिलाप मीवाड़े ट्रेनर सुदर्शन वीपी अन्य चयनकर्ताओं के साथ कश्मीर छोड़कर अपने घरों की ओर रवाना हो गए हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ अमरनाथ श्रद्धालुओं, पर्यटकों और बाहरी राज्यों के छात्रों के घाटी छोड़ने के बाद अब टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर एवं जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन मेंटर इरफान पठान सहित कोच मिलाप मीवाड़े, ट्रेनर सुदर्शन वीपी अन्य चयनकर्ताओं के साथ कश्मीर छोड़कर अपने घरों की ओर रवाना हो चुके हैं।
आगामी घरेलू क्रिकेट सीजन को मद्देनजर रखते हुए श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में पिछले दो सप्ताह से अंडर-16, अंडर-19, रणजी सहित अन्य आयु वर्गों की टीम के चयन हेतु सिलेक्शन ट्रॉयल प्रक्रिया जारी थी। इसमें जम्मू संभाग से 110 के करीब खिलाड़ियों सहित जेकेसीए के मेंटर इरफान पठान, कोच मिलाप आैर अन्य स्पोर्टिंग स्टॉफ मौजूद था। कश्मीर में बने हालात के उपरांत जेकेसीए के चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर सैयद आशिक हुसैन बुखारी ने तुरंत सभी खिलाड़ियों को अपने घरों की ओर लौटने के दिशा निर्देश जारी किए। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों की जिंदगी वे दांव पर नहीं लगा सकते हैं इसलिए सभी को जल्द से जल्द घरों की ओर लौटने के लिए कहा है।
घरेलू क्रिकेट सीजन का आगाज आगामी 17 अगस्त से शुरू होने वाली दिलीप ट्रॉफी से हो रहा है। इसके उपरांत विजय हजारे, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी सहित रणजी और अन्य घरेलू क्रिकेट श्रृंखला के मुकाबले शुरू होने वाले हैं। इसमें जम्मू-कश्मीर के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लिए शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में कैंप का आयोजन किया गया था लेकिन अब सभी तैयारियां बीच में ही छोड़नी पड़ रही हैं। जम्मू-कश्मीर को कई घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिताओं की मेजबानी भी मिली है लेकिन अब राज्य के हालात को मद्देनजर रखते हुए आगामी प्रतियोगिताओं में जम्मू-कश्मीर की टीम के भाग लेने और उसके प्रदर्शन को लेकर प्रश्नचिन्ह लग गया है। राज्य में स्थिति सामान्य होने के उपरांत ही अब टीम चयन की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती ने किया ट्वीट
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती ने ट्वीट किया कि कश्मीर से यात्रियों, पर्यटकों, श्रमिकों, विद्यार्थियों और क्रिकेटरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है। कश्मीरियों को राहत प्रदान करने या सुरक्षा देने के लिए जहमत नहीं उठा जा रही है। कहां गई इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत?
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