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Coronavirus Lockdown effect: अगले बरस फिर आने का वादा कर जाने को तैयार ट्यूलिप

लॉकडाउन के कारण एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में लगे 13 लाख से अधिक फूलों को देखने कोई नहीं आया-साल में एक ही माह खुलने वाला बाग कोरोना के करण इस बार बंद रहा

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 09:19 AM (IST)
Coronavirus Lockdown effect: अगले बरस फिर आने का वादा कर जाने को तैयार ट्यूलिप
Coronavirus Lockdown effect: अगले बरस फिर आने का वादा कर जाने को तैयार ट्यूलिप

श्रीनगर, रजिया नूर। श्रीनगर की विश्व प्रसिद्ध डल झील के किनारे जबरवान की पहाडि़यों की तलहटी में स्थित एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में लॉकडाउन के कारण भले ही इस वर्ष घूमने कोई नहीं आया, लेकिन विदाई ले रहे फूल मानो कर रहे हों कि अगले बरस फिर मिलेंगे। इस बाग में नीले, पीले, गुलाबी व नारंगी ट्यूलिप सहित करीब 13 लाख फूल लगे हैं, जो अब मुरझाने वाले हैं।

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दरअसल, पूरे साल में केवल एक महीने के लिए ही यहां ट्यूलिप के फूल खिलते हैं।30 हेक्टेयर जमीन पर फैला ट्यूलिप गार्डन वर्ष 2008 को लोगों को समर्पित किया गया था। तब से कश्मीर आने वाले पयर्टकों की यह पहली पसंद बना है। हर वर्ष इस बाग की सतरंगी बहार देखने के लिए लाखों देशी व विदेशी पयर्टक आते हैं। सालभर में मात्र एक महीने ही यहां ट्यूलिप के फूल खिलते हैं। इसलिए सभी को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है, लेकिन इस बार कोरोना ने इस बाग के कपाट खुलने ही नहीं दिए।

इस वर्ष गार्डन को 24 मार्च को खोलने की योजना थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं हो पाया।गार्डन की देखरेख कर रहे बागबानी विभाग के अधिकारी मुबसिर रफीक ने कहा कि गार्डन में अब ट्यूलिप ब्लूम समाप्त होने वाला है। इस वर्ष मौसम व तापमान ट्यूलिप के बिल्कुल अनुकूल रहा और मार्च के अंतिम सप्ताह में ही अधिकांश ट्यूलिप खिल गए थे। अप्रैल के आरंभ में लगभग 60 प्रतिशत ट्यूलिप खिल गए थे।

पयर्टकों के आकर्षण को ध्यान में रखकर इस बार गार्डन को हालैंड के ट्यूलिप गार्डन की तरह आकर्षित आकार दिया गया था। साथ ही इसमें ट्यूलिप व अन्य फूलों की पांच नई प्रजातियों की भी बढ़ोतरी की थी। कोरोना वायरस से फैली महामारी के चलते वह 13 लाख ट्यूलिप व अन्य फूलों से सजे नए आकार के खूबसूरत बाग को लोगों के लिए खोल ही नहीं पाए।

उन्होंने बताया कि बाग की देखरेख के लिए लगभग 100 के करीब बागबान व अन्य कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन कोरोना के चलते केवल पांच प्रतिशत कर्मचारी ही काम पर आ सके। उन्होंने कहा कि अब ट्यूलिप मुरझाने लगे हैं और ब्लूम अब केवल 30 प्रतिशत रह गया है और अगले चंद दिनों तक यह ब्लूम भी खत्म हो जाएगा।

एक माह में 80-90 लाख रुपये तक आता था राजस्व :

बागबानी विभाग के निदेशक फारूक अहमद राथर ने कहा कि कोरोना की मार हमारे ट्यूलिप गार्डन को भी झेलनी पड़ी। ट्यूलिप गार्डन यहां आने वाले पयर्टकों की पहली पसंद रहता है। हर वर्ष एक महीने मार्च के अंतिम सप्ताह से 22-23 अप्रैल तक ट्यूलिप ब्लूम रहता है। इस दौरान यहां लाखों पयर्टक आते हैं। प्रति वर्ष इस गार्डन से हमें 80-90 लाख रुपये तक राजस्व आता था। इस वर्ष हमें इससे ज्यादा की उम्मीद थी, क्योंकि हमने इस वर्ष कुछ नई किस्में भी लगाई थी, लेकिन कुदरत कुछ और ही ठान के बैठी थी। अलबत्ता, राथर ने उम्मीद जताई कि कोरोना जल्द खत्म हो जाएगा और हालात सामान्य हो जाएंगे। अगले वर्ष फिर से ट्यूलिप के यह फूल लहलहाएंगे और इनको निहारने के लिए फिर से लाखों की संख्या में पयर्टक आएंगे।

ट्यूलिप गार्डन देखने किस साल कितने पर्यटक आए :वर्ष 2019 : लगभग 2,58,000वर्ष 2018 : लगभग 1,19,000वर्ष 2014 : लगभग 2,75,000


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