Coronavirus In Jammu: कई बार मरीजों से बन जाते हैं भावनात्मक संबंध, जल्दी सब कुछ ठीक हो जाए
कांता का कहना है कि वह अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती है। लाकडाउन के कारण पति का व्यापार बंद पड़ा हुआ है। वह बच्चों की देखभाल कर रहे हें। अब यह संतोष है कि बच्चों की देखभाल उनके पिता कर रहे हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: जब भी किसी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत होती है तो वहां पर नियुक्त स्वास्थ्य कर्मी अपने आप को दुखी और हारा हुआ मानते हैं लेकिन अच्छे समय की उनकी उम्मीद कभी खत्म नहीं होती। हाई डिपैंडेंसी वार्ड की प्रभारी सीनियर स्टाफ नर्स कांता देवी ने अपना अनुभव सांझा करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि उनकी डयूटी चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, वह इससे भागना नहीं चाहती हैं। वह बस यह कहना चाहती है कि महामारी जल्दी खत्म हो जाए। अभी बहुत से मरीजों की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है। वह प्रार्थना करती हैं कि जल्दी सब कुछ ठीक हो जाए।
कांता देवी इकलौती नर्स हैं जिन्हें उत्कृष्ट सेवाओं के लिए गणतंत्र दिवस पर स्टेट अवार्ड मिला है। दूसरी लहर आने से पहले हाई डिपैेंडेसी वार्ड में कोरोना के तीन मरीज ही बचे थे। कांता का कहना है कि उस समय उन्हें यह लग रहा था कि महामारी खत्म हो गई है और अब सामान्य जिंदगी शुरू हो गई है। लेकिन फिर से तेजी के साथ मामले आने लगे। कांता का कहना है कि कई बार मरीजों के साथ भावनात्मक संबंध बन जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर के बाहर का एक मरीज था। वह हमेशा हमसे बात करता रहता था। अपने घर की बातें बताता रहता था। लेकिन दो महीने के बाद वह जिंदगी से जंग हार गया। हमें लगा कि हम हार गए हैं। मुझे लगा कि काश हम उसके परिवार के साथ अपनी संवेदनाएं प्रकट कर सकें। कांता का कहना है कि वह अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती है। लाकडाउन के कारण पति का व्यापार बंद पड़ा हुआ है। वह बच्चों की देखभाल कर रहे हें। अब यह संतोष है कि बच्चों की देखभाल उनके पिता कर रहे हैं।