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Coronavirus Effect in Jammu Kashmir: कोरोना की दूसरी लहर ने रोके सामुदायिक शिक्षा के कदम

जम्मू-कश्मीर के कई दूरदराज इलाके मोबाइल नेटवर्क से दूर है इसलिए वहां पर विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने में परेशानी पेश आती है। ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में बढ़ी संख्या में विद्यार्थी ऐसे है जिनके पास स्मार्ट मोबाइल भी नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 09:51 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 09:51 AM (IST)
Coronavirus Effect in Jammu Kashmir: कोरोना की दूसरी लहर ने रोके सामुदायिक शिक्षा के कदम
हर काम अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही करना होगा।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार सामुदायिक शिक्षा के कदम रोक दिए हैं। इसका अधिक असर दूरदराज व ग्रामीण इलाकों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। पढ़ाई की भरपाई के लिए आन लाइन शिक्षा तो उपलब्ध करवाई जा रही है मगर जम्मू-कश्मीर के दूरदराज के इलाके में नेटवर्क की समस्या और सभी विद्यार्थियों के पास स्मार्ट मोबाइल फोन का न होना, उनको पीछे छोड़ रहा है।

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कोरोना से उपजे हालात के कारण पिछले साल सामुदायिक शिक्षा को बहुत बढ़ावा मिला था। तब शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव असगर सेमून काफी सक्रिय रहे और स्थानीय अध्यापकों के विशेष प्रयासों से चार लाख से अधिक विद्यार्थियों ने सामुदायिक शिक्षा हासिल की थी। जब सारे शिक्षण संस्थान बंद थे, आन लाइन शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही थी तो उस समय बढ़ी संख्या में स्थानीय अध्यापकों, स्थानीय पढ़े लिखे लोगों ने सामने आकर स्थानीय बच्चों को सामुदायिक शिक्षा उपलब्ध करवाई थी।

कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला, अनतंनाग, कुलगाम के दूरदराज इलाकों और जम्मू संभाग के पुंछ, राजौरी, कठुआ के दूर दराज इलाकों में बच्चों की कक्षाएं खुले में लगाकर पढ़ाया गया। इस दौरान बच्चों ने मास्क पहने थे और खुले वातावरण में शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित बनाया गया। सामुदायिक शिक्षा के लिए इतनी बढ़ी संख्या में अध्यापकों और पढ़े लिखे लोगों ने स्वयं सामने आना शुरू किया था कि विभाग को इसके लिए अलग से एसओपी जारी करनी पड़ी।

अध्यापकों व बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए सेमून नियमित तौर पर फोटो अपने टि्वटर पर डालते रहे। इस बार भी शिक्षण संस्थान बंद है मगर सामुदायिक शिक्षा नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर सामुदायिक शिक्षा के लिए न तो शिक्षा विभाग पहल कर रहा है और न ही स्थानीय अध्यापक आगे आ रहे है। इस समय हर कोई अपनी सुरक्षा को आगे रखकर चल रहा है।

मोबाइल नेटवर्क से दूर हैं कई गांव: जम्मू-कश्मीर के कई दूरदराज इलाके मोबाइल नेटवर्क से दूर है, इसलिए वहां पर विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने में परेशानी पेश आती है। ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में बढ़ी संख्या में विद्यार्थी ऐसे है जिनके पास स्मार्ट मोबाइल भी नहीं है। इस बार भी सामुदायिक शिक्षा की उतनी ही जरूरत है जितनी पिछले साल थी। जम्मू-कश्मीर में पंद्रह मई तक शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के आदेश दिए गए है। जिस तरह से कोराेना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, उससे लगता है कि शिक्षण संस्थान अभी खुलने वाले नहीं है इसलिए दूरदराज व ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। शिक्षाविद् अजीत अंगराल का कहना है कि सामुदायिक शिक्षा काफी फायदा बच्चों को मिला है। इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए मगर अपनी जान जोखिम में डाल कर नहीं। शिक्षाविद् प्रो. यशपाल शर्मा ने भी सामुदायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि नेटवर्क से दूर इलाकों में विद्यार्थियों की परेशानियों को समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर काम अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही करना होगा।

बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना ही प्राथमिकता: स्कूल शिक्षा विभाग जम्मू के निदेशक डा. रवि शंकर शर्मा का कहना है कि इस समय कोरोना की चुनौती बनी हुई है। हम स्थिति सामान्य होने पर सामुदायिक कक्षाएं शुरू करेंगे। फिलहाल सामुदायिक शिक्षा को शुरू करना काफी कठिन है। इस समय बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना ही प्राथमिकता है। हमारी कोशिश है कि ऑनलाइन शिक्षा को अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचाया जाए।


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