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ऑनलाइन कक्षाओं में पिछड़ रहे सरकारी स्कूलों के बच्चे, विद्यार्थियों के पास नहीं है लैपटॉप या स्मार्टफोन

लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग 10वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को कम बजट वाले 2500 टैबलेट उपलब्ध करवाएगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2020 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2020 11:52 AM (IST)
ऑनलाइन कक्षाओं में पिछड़ रहे सरकारी स्कूलों के बच्चे, विद्यार्थियों के पास नहीं है लैपटॉप या स्मार्टफोन
ऑनलाइन कक्षाओं में पिछड़ रहे सरकारी स्कूलों के बच्चे, विद्यार्थियों के पास नहीं है लैपटॉप या स्मार्टफोन

जम्मू, जागरण संवादाता। लॉकडाउन के चलते बंद हुए स्कूलों के बच्चों के लिए शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा शुरू तो कर दी है, लेकिन इसमें सरकारी स्कूलों के बच्चे पिछड़ रहे हैं। कारण है इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों के पास लैपटॉप, एंड्रायड या स्मार्टफोन न होना। इन हालात में ये बच्चे वाट्सएप या अन्य माध्यमों से पाठ्य सामग्री हासिल नहीं कर पाए हैं।लॉकडाउन के चलते पहली से नौवीं और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है।

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वर्तमान हालात में परीक्षाओं को लिया जाना संभव भी नहीं था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन ही पढ़ाने का फैसला लिया। इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने अपनी वेबसाइट पर पोर्टल बनाया। शिक्षकों से बच्चों के वाट्सएप ग्रुप बनाने को कहा ताकि उन्हें असाइनमेंट दिए जा सकें। शिक्षकों का भी मानना है कि उनके पास पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे जिस पृष्ठभूमि से आते हैं, उनके लिए स्मार्टफोन अब भी एक सपना है। ऐसे में उन तक असाइनमेंट कैसे पहुंचेंगे। अगर वे बच्चे किसी एक के पास ग्रुप बनाकर पढ़ने भी चले जाएं तो इसमें शारीरिक दूरी कहां रहेगी?

टूजी इंटरनेट पर रफ्तार नहीं पकड़ पा रही ऑनलाइन पढ़ाई

ऑनलाइन पढ़ने में बच्चों को स्लो नेटवर्क भी परेशान कर रहा है। जम्मू कश्मीर में वर्तमान में 4जी इंटरनेट सेवा बंद है। टूजी नेटवर्क में न तो कुछ ठीक से डाउनलोड कर पा रहे हैं और न ही वीडियो असेस हो रहा है। इसके कारण उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है। दोमाना में रहने वाले जतिन का कहना है कि उनके इलाके में मोबाइल नेटवर्क का बुरा हाल है। ऊपर से ग्रुप में टीचर इतना ज्यादा काम डाल रहे हैं जितना कभी स्कूल में नहीं मिला। उन्हें समझ ही नहीं आता कि क्या पढ़ें और कैसे पढ़ें।

ऑनलाइन शिक्षा अच्छा कदम

ऑनलाइन शिक्षा अच्छा कदम है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या बच्चों के पास स्मार्टफोन न होना है। अधिकतर इससे वंचित हैं। शिक्षक रोज वाट्सएप ग्रुप में असाइनमेंट डाल रहे हैं। वह कहीं भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन समस्या उन बच्चों की है जिनके साथ संपर्क नहीं हो पा रहा। सरकारी स्कूलों में कई बच्चे प्रवासी श्रमिकों के भी पढ़ते थे जो यहां से पलायन कर चुके हैं। उनके फोन बंद आ रहे हैं। कुलदीप बंदराल, प्रधान, जम्मू कश्मीर टीचर्स फोरम

निजी चैनल पर भी शुरू की गई हैं कक्षाएं

विद्यार्थियों की समस्या को देखते हुए निजी टीवी चैनल पर भी कक्षाएं शुरू की गई हैं। बच्चे उस शेड्यूल को फॉलो करें। जिस विषय को पढ़ाया जा रहा है, उसकी किताब सामने रखें। अगर इसके बाद कोई परेशानी आती है, तो फोन पर सीधे अपने शिक्षक से संपर्क कर सकते हैं। उनकी हर परेशानी को हल किया जाएगा। शिक्षा विभाग बच्चों की हर समस्या को हल करने का प्रयास कर रहा है। अनुराधा गुप्ता, स्कूल शिक्षा निदेशक जम्मू

10वीं से 12वीं तक छात्रों को मिलेंगे 2500 टैबलेट

लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग 10वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को कम बजट वाले 2500 टैबलेट उपलब्ध करवाएगा। टैबलेट में पाठ्य पुस्तकें, प्रश्नों को हल करने की तकनीकी और अन्य आवश्यक सामग्री को लोड की हुई होगी। विभाग की कोशिश है कि बच्चों को घर बैठे शिक्षा हासिल हो जाए। डिस्ट्रिक इंस्टीट्यूट आफ एजूकेशन एंड ट्रेनिंग के जरिए विद्यार्थियों को पहले और दूसरे यूनिट की असाइनमेंट बांट दी गई है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डा. असगर सेमून ने सोमवार को ऑनलाइन शिक्षा के प्रयासों की समीक्षा की। सेमून ने कहा कि दूरदर्शन पर रोजाना शाम चार बजे से लेकर साढ़े पांच बजे तक टेली क्लास शुरू की गई हैं। डायरेक्टर स्कूल एजूकेशन कश्मीर की तरफ से काशीर चैनल पर अलग से टेली क्लास लगाई जा रही हैं। निजी चैनलों पर भी कक्षाएं लगाई जा रही है। विभाग ने अपनी वेबसाइट पर भी लैसन के वीडियो अपलोड किए है।


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