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कोरोना संक्रमण में उलझ गया जम्मू कश्मीर के तीन जीएमसी का काम

ऊधमपुर कॉलेज को अक्टूबर और हंदवाड़ा को दिसबंर महीने में मंजूरी मिली थी। यह दोनों कॉलेज भी इसी सत्र से शुरू होने थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 04:04 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:07 AM (IST)
कोरोना संक्रमण में उलझ गया जम्मू कश्मीर के तीन जीएमसी का काम
कोरोना संक्रमण में उलझ गया जम्मू कश्मीर के तीन जीएमसी का काम

रोहित जंडियाल, जम्मू

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कोरोना वायरस ने अन्य क्षेत्रों की तरह ही जम्मू-कश्मीर में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र को भी प्रभावित किया है। इस साल जम्मू कश्मीर में दो और लेह में एक मेडिकल कॉलेज नहीं खुल पाया। अब यह मेडिकल कॉलेज अगले सत्र से खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।

केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले 2014 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के लिए पांच मेडिकल कॉलेज मंजूर किए थे। इनमें से चार मेडिकल कॉलेज राजौरी, कठुआ, बारामुला और अनतंनाग पिछले साल खुल गए थे। इन सभी कॉलेजों में एमबीबीएस की 100-100 सीटें मिलीं। तब मेडिकल कॉलेज डोडा को फैकल्टी की कमी के कारण मंजूरी नहीं मिल पाई थी, लेकिन अब एक दिन पहले ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने इसे इसी सत्र से शुरू करने को मंजूरी दे दी है।

पिछले साल केंद्र सरकार ने जम्मू संभाग में ऊधमपुर और कश्मीर में हंदवाड़ा में मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी थी। ऊधमपुर कॉलेज को अक्टूबर और हंदवाड़ा को दिसबंर महीने में मंजूरी मिली थी। यह दोनों कॉलेज भी इसी सत्र से शुरू होने थे। हंदवाड़ा जिला अस्पताल को भी मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड करना था। इसके लिए केंद्र सरकार ने 325 करोड़ रुपये भी मंजूर किए थे। जगह का चयन भी किया गया था। मगर कोरोना के चलते कॉलेज का काम शुरू नहीं हो पाया। इस कॉलेज का राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने निरीक्षण ही नहीं किया। इसी तरह ऊधमपुर मेडिकल कॉलेज के लिए भी 325 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं। यह कॉलेज भी इसी सत्र से शुरू होना था, लेकिन कोरोना के कारण कॉलेज का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। कोरोना के कारण इस कॉलेज का भी निरीक्षण नहीं हो पाया।

सबसे अधिक नुकसान लद्दाख को उठाना पड़ा। इस प्रदेश में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही वहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं को अपग्रेड करने की मांग तेज होने लगी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने लेह के लिए भी मेडिकल कॉलेज मंजूर किया। मगर इस कॉलेज को भी मंजूरी नहीं मिल पाई। अब नीट का परीक्षा परिणाम भी आ गया है और एमबीबीएस के लिए प्रवेश भी शुरू होने जा रहा है। ऐसे में अब किसी भी मेडिकल कॉलेज को इस सत्र में इजाजत मिलने की उम्मीद न के बराबर है। लेह के विद्यार्थियों को एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर के मेडिकल कॉलेजों में ही पढ़ाई के लिए निर्भर रहना होगा। यह है कॉलेज का प्रस्ताव

जम्मू कश्मीर में दो और लेह में एक कॉलेज 325-325 करोड़ की लागत से बनेंगे। इन कॉलेजों पर 90 फीसद रुपये केंद्र सरकार और 10 फीसद जम्मू कश्मीर प्रशासन खर्च कर रहा है। कुल 325 करोड़ में से 115 करोड़ प्रशासनिक और एकेडमिक ब्लॉक के निर्माण पर खर्च होंगे। 80 करोड़ रुपये हॉस्टल और आवासीय सुविधाओं पर खर्च होंगे। 60 करोड़ रुपये वर्तमान जिला अस्पतालों में टीचिग फैकल्टी को अपग्रेड करने पर खर्च होंगे। 70 करोड़ से मशीनरी और उपकरणों की खरीदारी होगी। कठुआ में एम्स की है तैयारी

इसी सत्र से कठुआ मेडिकल कॉलेज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल कॉलेज को शुरू करने की उम्मीद है। यह मेडिकल कॉलेज ऋषिकेश एम्स के तत्वावधान में चलेगा। इस कॉलेज को इसी सत्र से शुरू करवाने के लिए एमबीबीएस की पचास सीटों को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। ऐसा होगा तो दो साल में जम्मू कश्मीर में यह छठा मेडिकल कॉलेज होगा।


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