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कश्मीर में खौफ के लिए IED धमाकों की साजिश, इस साल कश्मीर में इतनी बार लगा चुके IED

वैसे कश्मीर में सक्रिय आतंकियों द्वारा आइईडी का इस्तेमाल कोई नया नहीं है। आतंकी अकसर सुरक्षा बलों पर हमला करने उनके शिविरों में दाखिल होने या फिर किसी नागरिक को निशाना बनाने की अपनी रणनीति के आधार पर ही अधिकांश वारदात को अंजाम देते हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 07:28 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 07:28 AM (IST)
कश्मीर में खौफ के लिए IED धमाकों की साजिश, इस साल कश्मीर में इतनी बार लगा चुके IED
सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियानों के दौरान छह जगहों से आइईडी को समय रहते बरामद किया है।

श्रीनगर, नवीन नवाज । नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते पर पुनर्सहमति और कश्मीर में अधिकांश कमांडरों के मारे जाने से हताश पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में शांति भंग करने के लिए आइईडी धमाकों की साजिशें बुन रहा है। शनिवार को भी ग्रीष्मकालीन राजधानी के छन्नपोरा में पुलिस चौकी से मात्र 100 मीटर की दूरी पर मिली आइईडी भी आतंकियों की इसी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने यह रणनीति सुरक्षा बलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हुए आम लोगों में डर पैदा करने को अपनाई है।

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हताश आतंकी के सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने का कर रहे प्रयास

वैसे कश्मीर में सक्रिय आतंकियों द्वारा आइईडी का इस्तेमाल कोई नया नहीं है। आतंकी अकसर सुरक्षा बलों पर हमला करने, उनके शिविरों में दाखिल होने या फिर किसी नागरिक को निशाना बनाने की अपनी रणनीति के आधार पर ही अधिकांश वारदात को अंजाम देते हैं। आइईडी का इस्तेमाल हमेशा स्थानीय आतंकी या ओवरग्राउंड वर्करों के जिम्मे रहता है। हिजबुल मुजाहिदीन और जैश ए मुहम्मद के आतंकी ही आइईडी का ज्यादातर इस्तेमाल करते रहे हैं। अब टीआरफ जिसे लश्कर का हिट स्क्वाड भी कहते हैं, भी आइईडी का इस्तेमाल करने लगा है। इस साल अब तक कश्मीर में आतंकी संगठन 14 बार आइईडी लगा चुके हैं। इनमें से आठ में धमाका हुआ और सात को बरामद कर लिया।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले के बाद आतंकी संगठनों ने कश्मीर में आइईडी का इस्तेमाल बंद कर दिया था। 2014 तक आतंकी लगभग हर माह औसतन दो बार आइईडी से वारदात करते रहे हैं। 2015 से 2017 तक वादी में शायद ही कोई बड़ा आइईडी धमाका हुआ था। जनवरी, 2018 में तीन साल बाद वादी में पहला आइईडी धमाका हुआ था। सोपोर में हुए धमाके में चार पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।

14 जनवरी, 2019 तक छोटे बड़े पांच आइईडी धमाके हुए थे। बीते मई के पहले सप्ताह में श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक आइईडी मिली थी जिसे नकारा बनाया। फिर 15 मई को भी दक्षिण कश्मीर में। इससे पूर्व 31 मई को पुलवामा के पंजगाम और त्राल में दो आइईडी बरामद की गई। इससे एक दिन पहले शोपियां में एक आइईडी में सुरक्षाबलों के पहुंचने से चंद मिनट पहले धमाका हुआ था। पांच अप्रैल को श्रीनगर के खनयार इलाके में एक टिफिन आइईडी मिली थी। 10 मार्च को भी एक आइईडी मिली थी। 22 फरवरी को श्रीनगर में नौगाम रेलवे स्टेशन के पास आइईडी बरामद हुई थी।

10 मार्च को पांपोर में पुलिस ने साहिल नजीर नामक एक छात्र को पकड़ा था जो एक वाहन आइईडी तैयार कर चुका था और हमले की तैयारी में था। उसके साथ कुछ और लोग भी पकड़े गए। इसी दौरान नालाबल पांपोर में मुसैब अहमद गोजी को आइईडी ओर 25 किलो अमोनिया पाउडर संग पकड़ा गया था। वह म्यूनिसिपल कमेटी अवंतीपोर का उड़ाने की फिराक में था। 16 फरवरी को बिजबिहाड़ा में कबाड़ टिप्पर में आइईडी लगाई गई थी। फरवरी में भी सुरक्षा बलों ने दो आइईडी को निष्क्रिय किया था। जनवरी में शमसीपोरा कुलगाम में आतंकियों के आइईडी धमाके में एक सैैन्यकर्मी शहीद हो गया था। इसी धमाके से चंद दिन बाद अनंतनाग में भी आतंकियों न एक आइईडी धमाका किया था। इसके अलावा वादी में सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियानों के दौरान छह जगहों से आइईडी को समय रहते बरामद किया है।

आतंकी अत्यंत दबाव में : आइजी

आइजीपी कश्मीर विजय कुमार के मुताबिक, इस समय कश्मीर में आतंकी अत्यंत दबाव में हैं। हथियारों की कमी है, पैसा भी नहीं है। कैडर लगातार घटता जा रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगनाओं का कश्मीर में बड़ी वारदात को अंजाम देने का दबाव भी बहुत ज्यादा है, इसलिए आइईडी उनके लिए एक आसान विकल्प है। हमने आइईडी धमाकों को नाकाम बनाने की एक रणनीति तैयार की है।  


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