Rahul Gandhi Jammu Visit : राहुल गांधी के जम्मू दौरे से पार्टी मजबूत होने के दावे कम-सवाल ज्यादा
Rahul Gandhi Jammu Visit राहुल गांधी करीब 27 घंटे तक जम्मू-कश्मीर में रहेंगे। उनके दौरे का पहला दिन कटरा और श्री माता वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी तक सीमित रहा। अधिकारिक तौर पर कांग्रेस की संगठनात्मक गतिविधियों के लिए वह सिर्फ दो से तीन घंटे ही उपलब्ध रहेंगे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी दो दिन के लिए जम्मू दौरे पर हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भले ही राहुल गांधी के दौरे से प्रदेश में पार्टी संगठन में मजबूती का दावा कर रहे हैं परंतु कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए स्पष्ट रोडमैप चाहिए। सिर्फ रैलियाें से संगठन मजबूत नहीं होता। मौजूदा हालात में कांग्रेस के पास जम्मू-कश्मीर में खुद को फिर से खड़ा करने का एक सुनहरा मौका है, लेकिन पार्टी के पास कोई योजना नहीं है।
राहुल गांधी करीब 27 घंटे तक जम्मू-कश्मीर में रहेंगे। उनके दौरे का पहला दिन कटरा और श्री माता वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी तक सीमित रहा। अधिकारिक तौर पर कांग्रेस की संगठनात्मक गतिविधियों के लिए वह सिर्फ दो से तीन घंटे ही उपलब्ध रहेंगे। एक से डेढ़ घंटा वह पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में रहेंगे जहां सिर्फ भाषण होंगे। केंद्र सरकार की आलोचना होगी और संगठन को मजबूत बनाए रखने की परंपरागत अपील। इतना ही समय वह दिल्ली लौटने से पूर्व दोपहर के भोजन के समय कुछ खास नेताओं के साथ गुफ्तगु में बिताएंगे। कार्यकर्ताओं की सुनने के लिए उनके पास समय नहीं होगा। हां, इस दौरान उनके साथ कांग्रेस में बागी कहे जा रहे पूर्व मुख्यमत्री गुलाम नबी आजाद भी रहेंगे। गुलाम नबी आजाद आज शु़क्रवार को जम्मू पहुंच रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में 1947 के बाद कांग्रेस ने भी कभी अकेले तो कभी गठबंधन की सियासत के आधार पर सत्ता सुख उठाया है। अलबत्ता, जम्मू कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस की स्थिति अत्यंत दयनीय है। कई वरिष्ठ नेताओं ने खुद को संगठनात्मक गतिविधियों से लगभग दूर कर लिया है। जो नजर आ रहे हैं, वे जनता के बीच जाने से कतराते हैं। कांग्रेस बीते दो सालों के दौरान जम्मू-कश्मीर में कहीं भी किसी भी मुद्दे पर प्रभावी नजर नहीं आयी।
बीते माह राहुल गांधी जब कश्मीर आए उन्होंने उस समय जम्मू का दौरा करने का भी यकीन दिलाया। उन्होंने अपना यह वादा निभाया है। वह संगठन को मजबूत बनाने के लिए गंभीर नजर आ रहे थे, लेकिन उनके तौर तरीकों से नहीं लगता कि कांग्रेस को हुए नुक्सान से अवगत हैं।
राहुल गांधी के दौरे को लेकर प्रदेश कांग्रेस के एक वर्ग विशेष में काफी उत्साह नजर आ रहा था। यह वर्ग उम्मीद लगाए हुए था कि राहुल गांधी सभी प्रमुख पदाधिकारियों से मिलेंगे। उनके साथ संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करते हुए जम्मू-कश्मीर के बदले हालात में पार्ट को फिर से मजबूत बनाने की रणनीति तय करेंगे। लेकिन अब वे भी निराश नजर आ रहे हैं। सभी दबे मुंह कह रहे हैं कि राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य भागों में संगठन को मजबूत बनाने के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप के साथ आते तो बेहतर होता। सिर्फ रैलियों से संगठन मजबूत नहीं हाेता। मौजूदा हालात में कांग्रेस के पास जम्मू-कश्मीर में खुद को फिर से खड़ा करने का एक सुनहरी मौका है, लेकिन कोई योजना नहीं है। रैलियां सिर्फ कुछेक नेताओं के शक्ति प्रदर्शन का जरिया है, जो वोट नहीं दिला सकती।