कोरोना के खिलाफ जारी जंग में सहायक साबित हो सकती है 4जी इंटरनेट स्पीड, जल्द करें शुरू: भल्ला
भल्ला ने कहा कि इंटरनेट के अधिकार को भारत सरकार ने स्वयं एक आवश्यक सेवा के रूप में मान्यता दी है। इंटरनेट स्पीड की कमी जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव डाल रही है।
जम्मू, जेएनएन। पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमन भल्ला ने जम्मू-कश्मीर में 4 जी इंटरनेट स्पीड की बहाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के कमजोर बचाव का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन घोषित है, ऐसे समय में जम्मू-कश्मीर में 2जी स्पीड इंटरनेट सुविधा होने की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। इंटरनेट स्पीड न होने की वजह से कई लोग महामारी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाने में भी असमर्थ हैं। यही नहीं लॉकडाउन के कारण बच्चों की पढ़ाई को हो रहे नुकसान को कुछ हद तक पूरा करने के लिए शुरू की गई ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ भी बच्चे नहीं उठा पा रहे हैं।
भल्ला ने कहा कि कोविड-19 के प्रसार के बीच लॉकडाउन ने घरों में सिमटे लोग पूरी तरह इंटरनेट की उपलब्धता पर निर्भर हैं। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस समय सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक कोविड-19 के उपचार, प्रबंध व नवीनतम अध्ययन, प्रोटोकॉल आदि की बातें पहुंचा रहे हैं परंतु इन बातों का कोई औचित्य नहीं है। मोबाइल इंटरनेट स्पीड न होने की वजह से ये सभी बातें लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। 2जी-स्पीड के साथ घरों में बैठे लोग हर सुविधा से महरूम हैं। न तो बच्चे स्कूलों से पढ़ाई से संबंधित दी जा रही असाइनमेंट, कार्ययोजना को डाउन लोड कर पा रहे हैं और न ही ऑनलाइन क्लास में शामिल हो पा रहे हैं।
यही नहीं डॉक्टरों द्वारा आए दिन स्वास्थ्य संबंधित दी जा रही जानकारी, टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन परामर्श जैसी सुविधाएं भी लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। भल्ला ने कहा कि सरकार का यह तर्क कि इंटरनेट स्पीड बढ़ाने से आतंकवादी गतिविधियां, सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार को बढ़ावा मिलेगा, यही नहीं है। यह काम क्या 2-जी स्पीड पर नहीं हो सकता है? इंटरनेट स्पीड को कम करने के बजाय केंद्र व राज्य प्रशासन को इस पर रोकथाम के लिए साइबर सैल को मजबूत करना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इंटरनेट के अधिकार को भारत सरकार ने स्वयं एक आवश्यक सेवा के रूप में मान्यता दी है। इंटरनेट स्पीड की कमी जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव डाल रही है। उन्होंने तर्क दिया कि 2 जी इंटरनेट स्पीड के साथ स्कूल ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने में असमर्थ हैं, कर्मचारी घर से काम करने में असमर्थ हैं। अब तो न्यायालय ने भी आम लोगों को जल्द इंसाफ देने के लिए ऑनलाइन सुविधा शुरू की है परंतु फिक्स्ड लाइन इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना जम्मू-कश्मीर के लोग तत्काल राहत के लिए संचार / वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाअों का लाभ उठाते हुए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने में असमर्थ हो सकते हैं।