Move to Jagran APP

Jammu Kashmir: हस्तशिल्पियों का क्लस्टर नूरबाग क्रिवल अब प्रदेश की पहली निर्माता स्वामित्व कंपनी बनी

महिला कारीगर मैमूना ने कहा कि मैंने तो यह काम छोड़ दिया था क्योंकि मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिलते थे। नए डिजायन भी कई बार तैयार करने में मुश्किल होती थी। क्लस्टर से जुडऩे के बाद हमें हमारे सामान को बेचने में सरकार का भी सहयोग मिला है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 07:54 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 08:08 AM (IST)
Jammu Kashmir: हस्तशिल्पियों का क्लस्टर नूरबाग क्रिवल अब प्रदेश की पहली निर्माता स्वामित्व कंपनी बनी
नूरबाग क्लस्टर अब नूरारी क्राफ्ट्स कंपनी लिमिटेड हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: प्रदेश सरकार द्वारा स्थानीय हस्तशिल्पियों और सदियों पुरानी हस्तकला के संरक्षण, विकास के प्रयास अब रंग दिखाने लगे हैं। श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके में स्थित नूरबाग क्रिवल हस्तशिल्पियों का क्लस्टर प्रदेश की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसके मालिक क्लस्टर में शामिल हस्तशिल्पी हैं। यह निर्माताओं के स्वामित्व वाली पहली कंपनी है और नाम है नूरारी क्राफ्ट्स प्रोड्यूसर कंपनी।

loksabha election banner

वर्ष 2014 की विनाशकारी बाढ़ के बाद केंद्र सरकार की मदद से जम्मू कश्मीर में आजीविका बहाली मिशन के तहत स्थानीय हस्तशिल्पियों, कारीगीरों की स्थिति बेहतर बनाने की योजना शुरू की गई थी। झेलम तवी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट (जेटीएफआरपी) के तहत यह पूरी योजना विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित है।

जेटीएफआरपी के तहत प्रदेश सरकार ने हस्तशिल्पियों के सामाजिक-आॢथक उत्थान और उनकी कला के संरक्षण-प्रोत्साहन के लिए कश्मीर समेत प्रदेश के कई हिस्सों में हस्तशिल्पियों के क्लस्टर तैयार किए हैं। ऐसा ही एक क्लस्टर क्रिवल व चेन स्टिच कारीगरों का नूरबाग में तैयार किया गया है। इसमें करीब 600 कारीगर शामिल हैं। जेटीएफआरपी के सीईओ डा. सैयद आबिद रशीद शाह ने बताया कि कार्पाेरेट मामले मंत्रालय ने नूरबाग स्थित क्रिवल व चेन स्टिच क्लस्टर को निर्माता स्वामित्व कंपनी के रूप में पंजीकृत किया है।

यह एक बड़ी उपलब्धि है। यह कंपनी नूरारी क्राफ्ट्स प्रोड्यूसर है। उन्होंने बताया कि यह क्लस्टर तीन साल पुराना है।। हमने यहां किसी कला विशेष से जुड़े कारीगरों को एक छत के नीचे लाने के इरादे से ही उनके क्लस्टर तैयार किए हैं। इनमें कारीगरों की दक्षता में विकास किया जाता है। वह बाजार की मांग के डिजायन तैयार करने और कच्चा माल उपलब्ध कराने से लेकर तैयार सामान को बेचने में भी मदद की जाती है।

महिलाओं को मिला काम: नूरारी क्राफ्ट्स में काम कर रही शाहीना ने कहा कि उनका तलाक हो चुका है। मेरे बच्चे हैं। मैंने यहां नूरबाग के कलस्टर में आकर पहले क्रिवल और चेन स्टिच के अपने हुनर को कुछ निखारा और फिर यहीं पर काम करने लगी। आज मैं प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार रुपये तक कमा लेती हूं। अब मैं दूसरों पर बोझ नहीं हूं। महिला कारीगर मैमूना ने कहा कि मैंने तो यह काम छोड़ दिया था, क्योंकि मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिलते थे। नए डिजायन भी कई बार तैयार करने में मुश्किल होती थी। क्लस्टर से जुडऩे के बाद हमें हमारे सामान को बेचने में सरकार का भी सहयोग मिला है।

नूरबाग क्लस्टर अब नूरारी क्राफ्ट्स कंपनी लिमिटेड हैं। इस कंपनी में करीब 80 फीसद महिलाएं हैं। पुरुष मुख्यत: डिजायन का खाका तैयार करने, ऊन तैयार करने जैसे काम ही करते हैं। सुई के जरिए कढ़ाई का काम महिलाओं के ही हाथ में है। महिला कारीगरों को कच्चा माल व अन्य सभी साजोसामान उनके दरवाजे पर ही उपलब्ध कराया जाताा है। बीते एक साल के दौरान 30 लाख रुपये मूल्य का सामान बेचा है। इस साल के अंत तक एक करोड़ रुपये का सामान बेचने का लक्ष्य है। -मोहम्मद अजहर, जनसंपर्क अधिकारी, जेटीएफआरपी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.