India-China Border: लद्दाख में चीनी सेना के तेवर नरम, गलवन में दो किलोमीटर पीछे हटी
लद्दाख में चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारतीय सेना का हौसला सातवें आसमान पर है। चीनी सेना मई के पहले सप्ताह में दौलत-बेग ओल्डी गलवन घाटी और पैंगोंग लेक क्षेत्र में आगे आ गई
राज्य ब्यूरो, जम्मू : लद्दाख सीमा विवाद में कूटनीतिक दबाव असर दिखाने लगा है। छह जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बैठक से पहले चीनी सेना ने कदम पीछे खींच लिए हैं। भारतीय सेना भी उस पर सकारात्मक जवाब दिया है। गलवन घाटी में चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास टेंट लगाने शुरू कर दिए थे। साथ ही सैनिकों का जमावड़ा भी बढ़ा दिया था। भारतीय सेना ने भी इसके अनुरूप तैयारियां आरंभ कर दी थी।
सूत्रों के अनुसार गलवन में गतिरोध समाप्त करने की दिशा में प्रयासों के बीच चीनी सेना दो किलोमीटर पीछे हट गई है। भारतीय सेना ने भी उचित कार्रवाई करते हुए अपने कदम एक किलोमीटर पीछे खींच लिए हैं। चीनी सेना ने गलवन क्षेत्र से टेंट उखाड़कर भी पीछे किए हैं। लद्दाख में चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारतीय सेना का हौसला सातवें आसमान पर है। चीनी सेना मई के पहले सप्ताह में दौलत-बेग ओल्डी, गलवन घाटी और पैंगोंग लेक क्षेत्र में आगे आ गई थी। इसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था। स्थिति बिगड़ने की आशंका जताई जा रही थी। इससे पहले दोनों सेनाओं के बीच ब्रिगेडियर स्तर की कई बैठकें बेनजीता साबित हो चुकी हैं। अब लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बैठक से उम्मीदें लगी हैं। लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली उत्तरी कमान की 14 कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह, चीनी सेना के अपने समकक्ष अधिकारी से बैठक कर विवाद को कम करने की कोशिश करेंगे।
उत्तरी कमान प्रमुख लद्दाख में डटे : सूत्रों के अनुसार ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात में जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए सेना की उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने भी लद्दाख में डेरा डाल रखा है। आर्मी कमांडर बनने से पहले जनरल जोशी लद्दाख के कोर कमांडर रहे हैं। इन हालात में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने भी पूर्वी लद्दाख का दौरान कर ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लेने के साथ जवानों का हौसला बढ़ा चुके हैं।
रोड़े अटकाते हैं चीनी: चीनी सेना लद्दाख में भारतीय सेना को मजबूत होते देख वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विकास के प्रोजेक्टों में रोड़े अटका रही है। ऐसे में उसने गलवन घाटी, पैंगोंग त्सो समेत तीन जगहों पर आक्रामक तेवर दिखाते हुए घुसपैठ की थी। इसके बाद भारतीय सेना ने भी चीन को कड़े तेवर दिखकर बाज आने का स्पष्ट संकेत दिया है।